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UP: संगम के साथ-साथ बड़ी तादाद में बनारस के घाटों पर भी स्नान कर रहे श्रद्धालु

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प्रयागराज में महाकुंभ का भव्य आयोजन हुआ है, जिसमें हर दिन करोड़ों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं और संगम में डुबकी लगा रहे हैं। महाकुंभ में इतनी बड़ी संख्या में पहुंच रहे श्रद्धालु और पर्यटकों के कारण प्रयागराज में काफी भीड़ हो गई है। इससे सड़क मार्ग और रेल मार्ग पर भी प्रभाव पड़ रहा है। प्रयागराज और आसपास के जिलों में फ्लाइट और ट्रेन के टिकट महंगे हो गए हैं। इसके अलावा कंफर्म टिकट भी नहीं मिल पा रहे हैं। सड़क मार्ग बाधित है। हालांकि ऐसा माहौल केवल प्रयागराज में नहीं बल्कि कुछ अन्य जगहों पर भी देखने को मिल सकता है। प्रयागराज से करीब बनारस है। बनारस गंगा तट के किनारे बसा शहर है। बनारस शहर में भगवान शिव की प्रिय नगरी काशी है, जहां वह काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के तौर पर विराजमान है।

प्रयागराज जाने वाले श्रद्धालु महाकुंभ संगम स्नान के साथ ही बनारस में गंगा स्नान के लिए भी जा रहे हैं। वहीं जो लोग प्रयागराज नहीं पहुंच पा रहे, वो बनारस की ओर रुख कर रहे हैं। ऐसे में बनारस में भी पर्यटकों की भीड़ काफी अधिक है। रिपोर्ट्स के मुताबिक महज एक दिन में 11 लाख श्रद्धालुओं ने काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन किए। यही हाल अयोध्या में भी है। अयोध्या के रामलला मंदिर में भी लोग दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।

प्रशासन और पुलिस महाकुंभ, बनारस और अयोध्या को लेकर तत्पर हैं लेकिन जो यात्री यहां पहुंच रहे हैं, उन्हें तीर्थ स्थान के माहौल की पूरी जानकारी होनी चाहिए ताकि उनकी यात्रा में समस्या न आए। अगर आप बनारस जाने की योजना बना रहे हैं तो यहां बनारस यात्रा की पूरी जानकारी दी जा रही है। पूरी डिटेल जानकारी काशी यात्रा पर गए श्रद्धालु के अनुभव के आधार पर तैयार की गई है।
वाराणसी में मुख्य रुप से तीन रेलवे स्टेशन है। पहला वाराणसी जंक्शन, दूसरा बनारस रेलवे स्टेशन और तीसरा वाराणसी सिटी। इसमें लोग कंफ्यूज हो जाते हैं कि उनकी ट्रेन किस रेलवे स्टेशन पर है और उन्हें अपनी यात्रा कहां से शुरू करनी है। वाराणसी जंक्शन को कैंट रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जाता है। अगर आप शहर में आटो या ई रिक्शा आदि ले रहे हैं तो कैंट बोलना ज्यादा सुविधाजनक हो सकता है। वाराणसी रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन पर BSB लिखा होगा। वहीं बनारस रेलवे स्टेशन का नाम मंडुआडीह है। आपके रेल टिकट पर BSBS लिखा हो तो आप बनारस रेलवे स्टेशन पहुंचें।
बनारस रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 6 किलोमीटर है, जहां पहुंचने में लगभग 50 मिनट का वक्त लग सकता है। वहीं कैंट रेलवे स्टेशन (वाराणसी जंक्शन) से लगभग 4 किमी दूर काशी विश्वनाथ मंदिर है। हालांकि मंदिर द्वार तक गाड़ियों का प्रवेश प्रतिबंधित है। विश्वनाथ गली तक पहुंचने के लिए कोई भी सड़क परिवहन पा सकते हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर सकरी गलियों के बीच बना है, जिसके एक ओर घाट और दूसरी ओर बनारस शहर बसा है। ऐसे में भीड़ की स्थिति यहां अधिक हो जाती है। वहीं मंदिर परिसर के इर्द-गिर्द बाजारें और दुकाने भी सजी हैं। भीड़ की स्थित और ट्रैफिक को देखते हुए मंदिर के पास तक गाड़ियों के आने की मनाही है। अगर आपको मंदिर जाना है तो ई-रिक्शा, टैक्सी या आटो से जा सकते हैं जो आपको मंदिर से लगभग 500 मीटर या एक किलोमीटर दूर चौराहे तक ही छोड़ेंगे। आगे का रास्ता आपको पैदल तय करना है।
रेलवे स्टेशन से मंदिर तक आटो के जरिए आप गेट नंबर 1 या गेट नंबर 4 पर पहुंच सकते हैं। गेट नंबर एक गंगा घाट के नजदीक है। यहां से आप गंगा घाट पर पहुंच कर नाव से गंगा द्वार तक जा सकते हैं और इस गेट से एंट्री ले सकते हैं। गेट नंबर चार को विश्वनाथ द्वार कहा जाता है, जहां सबसे अधिक भीड़ हो सकती है।

गेट 4 के पास स्थित चौराहे तक आटो चालक पहुंचा देते हैं, यहां से 500 मीटर की दूरी तय करके आप मंदिर द्वार पर पहुंच सकते हैं। अंदर मंदिर परिसर में भी लंबी कतार देखने को मिलेगी। हालांकि प्रशासन की बेहतर व्यवस्था के कारण दर्शन में कठिनाई नहीं होती है।
मान्यता है कि जो भी भक्त बाबा काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए आता है, उसे काल भैरव के दर्शन के लिए भी जरूर जाना चाहिए। काल भैरव मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर से 600 मीटर की दूरी पर है, जहां पैदल जाया जा सकता है। हालांकि भीड़ के कारण रूट डायवर्जन करके गली-गली होते हुए आपको मंदिर तक जाने को मिलेगा। इसलिए काल भैरव के दर्शन के लिए भी काफी चलना पड़ सकता है।

इसके अलावा आप संकट मोचन हनुमान मंदिर के दर्शन के लिए भी जा सकते हैं। हालांकि ये मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर और काल भैरव मंदिर से कुछ दूर है, जिसके लिए सार्वजनिक परिवहन से जा सकते हैं।
मंदिर में कुछ भी नहीं ले जा सकते हैं। मोबाइल, जूते, पेन, पान-मसाला समेत सभी सामान बाहर ही छोड़ना होता है। वहां चेकिंग के दौरान सारा सामान बाहर रखवा दिया जाता है। आप सिर्फ प्रसाद, दूध, गंगा जल, फूल आदि की टोकरी ले जा सकते हैं। इसके अलावा नकद रख सकते हैं।
मंदिर परिसर से बाहर बाजार में बनी दुकानें आपको लाॅकर सुविधा देती हैं, जहां आप अपने चप्पल-जूते, मोबाइल और अन्य सामान को सुरक्षित रखवा सकते हैं। अधिकतर दुकानवाले लाॅकर सुविधा मुफ्त देने की बात कहते हैं और इसके बदले में आपके 200, 500 या इससे अधिक का प्रसाद लेने का विकल्प देते हैं।

सबसे पहले तो ध्यान रखें कि मंदिर परिसर के अंदर भी लाॅकर की व्यवस्था है। इसलिए जरूरी नहीं कि आप मंदिर के बाहर सामान रख कर आएं।
अगर दुकान वाले आपको भ्रमित करने का प्रयास करें, जैसे अंदर के लाॅकर महंगे हैं, भीड़ के कारण परिसर के अंदर के लाॅकर भर चुके हैं तो बहकावे में न आएं। अंदर भी बाहर की तरह ही प्रसाद लेने पर लाॅकर की सुविधा मिल जाती है। ये प्राइवेट लाॅकर के विकल्प हैं।
वहीं अगर आप घाट की ओर से आ रहे हैं तो वहां आपको मंदिर परिसर के भी लाॅकर मिलेंगे, जहां आप मोबाइल और जूते-चप्पल रख सकते हैं।
इस बात का भी ध्यान रखें कि कई मीटर पैदल चलना पड़ सकता है, इसलिए परिसर में ही सामान रखें ताकि अधिक दूर तक बिना सामान या चप्पलों के न चलना पड़े।
वहां मौजूद पुलिसकर्मियों से ये जानकारी प्राप्त करें कि आपको किस गेट से बाहर भेजा जाएगा। उसी के मुताबिक लाॅकर ले सकते हैं।

बनारस यात्रा के दौरान किन बातों का रखें ध्यान
अगर महाकुंभ या महाशिवरात्रि के दौरान बनारस जा रहे हैं तो आपको बहुत अधिक भीड़ का सामना करना पड़ सकता है।
भीड़ के कारण बनारस की गलियों में कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ेगा।
अगर आपको आटो या ई रिक्शा मिल भी रहा है तो वह 2-3 किमी दूरी पर रिजर्व करने पर आपसे 300 से 500 रुपये तक ले सकते हैं।
अगर आपको गंगा आरती देखनी है तो एक-डेढ़ घंटे पहले घाट पर पहुंच जाएं, क्योंकि काफी भीड़ होने के कारण आपको पसंदीदा स्थान नहीं मिल पाएगा।
नाव यात्रा कर रहे हैं तो दशाश्वेध घाट से 40 घाटों की सैर कराकर वापसी के लिए 100 रुपये प्रति व्यक्ति ले सकते हैं।
अगर घाटों की सैर के साथ ही गंगा आरती भी देखना चाहते हैं तो डबल वाली बोट के लिए आपको 300 से 500 रुपये देने पड़ सकते हैं। हालांकि सभी का रेट फिक्स है।
रहने के लिए होटल-धर्मशालाओं की व्यवस्था है लेकिन इस दौरान होटल महंगे मिलेंगे और बुकिंग भी पहले से ही करानी पड़ सकती है।

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दिल्ली

पूरा भारत आपका आभारी रहेगाः पीएम मोदी

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अचानक एयरबेस पहुंचकर सेना के जवानों से मिले पीएम

नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर पर राष्ट्र को संबोधित करने के बाद पीएम मोदी आज सुबह आदमपुर एयरबेस पहुंचे। वहां उन्होंने वायुसेना के जवानों से मुलाकात की और उनका हौसला बढ़ाया। पीएम मोदी ने जवानों से बातचीत की जिन्होंने उन्हें जानकारी दी। बहादुर जवानों से मिलकर पीएम मोदी खुश दिखे और उनका जोश बढ़ाया।
जवानों का बढ़ाया जोश इस बीच पीएम मोदी सेना के जवानों से बातचीत भी करते दिखे। जवानों ने उन्हें जानकारी दी और वो बहादुर जवानों से बातचीत करते हुए खुश दिखे। पीएम का यह दौरा पूरी तरह से गोपनीय रखा गया था और इसकी किसी को पूर्व सूचना नहीं थी।

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हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के लिए मुर्शिदाबाद जाएंगी CM ममता

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि वह मई के पहले सप्ताह में हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले का दौरा करेंगी. एक सरकारी कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि मैं मई के पहले सप्ताह में मुर्शिदाबाद के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करूंगी. वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में मुर्शिदाबाद में हिंसा भड़क उठी, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग अपने घरों से भाग गए.

बाद में यह विरोध प्रदर्शन मालदा, दक्षिण 24 परगना और हुगली सहित कई अन्य जिलों में फैल गया. यहां आगजनी, पथराव और सड़क जाम की खबरें आईं. पिछले हफ्ते, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने ममता के न जाने के अनुरोध को नज़रअंदाज़ करते हुए मुर्शिदाबाद का दौरा किया था.

पीड़ित चाहते हैं सुरक्षा
आनंद बोस ने शनिवार को मुर्शिदाबाद का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि पीड़ित सुरक्षा की भावना चाहते हैं और उन्होंने केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के समक्ष अपनी चिंताओं को उठाने का वादा किया. आनंद बोस ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि वे सुरक्षा की भावना चाहते हैं और निश्चित रूप से कुछ अन्य मांगें और सुझाव भी हैं.

उन्होंने कहा कि इन सभी पर विचार किया जाएगा. हम उनके संपर्क में रहेंगे. निश्चित रूप से, बहुत प्रभावी सक्रिय कदम उठाए जाएंगे. मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर विपक्ष ने ममता पर निशाना साधा है. इस बीच, मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर राजनीति शुरू हो गई है, विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर तीखे हमले किए हैं और सत्ता में आने पर कार्रवाई करने की कसम खाई है.

जनता को गुमराह कर रही हैं
बीजेपी ने ममता की है सुवेंदु अधिकारी ने हिंसा के पीछे लोगों के खिलाफ बुलडोजर से न्याय की धमकी दी है. उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद से हिंदुओं को खदेड़ा जा रहा है और उनसे एकजुट होने की अपील की गई है. बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ममता बनर्जी की स्थिति को गलत तरीके से संभालने के लिए दोषी ठहराया और उन पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि पुलिस रिपोर्ट उनके इस दावे का खंडन करती है कि बाहरी लोग जिम्मेदार थे.

माकपा ने न्यायिक जांच की मांग की है, जिसमें भाजपा और टीएमसी दोनों पर बेरोजगारी और मुद्रास्फीति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए प्रतिस्पर्धी सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. कोलकाता में एक रैली को संबोधित करते हुए माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने दावा किया कि दोनों पार्टियां 2026 के राज्य चुनावों से पहले मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए मिलीभगत कर रही हैं. शक्ति प्रदर्शन में वामपंथी दल ने ब्रिगेड परेड मैदान में एक बड़ी रैली के साथ अपने अभियान की शुरुआत की.

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‘पांच दिन में हटाएं वीडियो…’, रामदेव के ‘शरबत जिहाद’ वाले बयान को दिल्ली हाईकोर्ट ने बताया अक्षम्य और अविश्वसनीय

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नई दिल्ली। हमदर्द के रूह अफजा के खिलाफ बाबा रामदेव की शरबत जिहाद टिप्पणी पर दिल्ली हाई कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि टिप्पणी ने अदालत की अंतरात्मा को झकझोर दिया है और यह अक्षम्य है। कोर्ट ने रामदेव के खिलाफ हमदर्द के मुकदमे की सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की है।
किसी ब्रांड या समुदाय का नाम नहीं लिया- रामदेव
हाल ही में रामदेव ने पतंजलि के गुलाब के शरबत का प्रचार करते हुए दावा किया था कि हमदर्द के रूह अफजा से अर्जित धन का उपयोग मदरसे और मस्जिद बनाने में किया जाता है। बाद में, रामदेव ने अपनी टिप्पणी का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने किसी ब्रांड या समुदाय का नाम नहीं लिया।
रामदेव के खिलाफ मुकदमा दायर
बता दें कि हमदर्द ने रामदेव के वीडियो को सोशल मीडिया से हटाने की मांग करते हुए रामदेव के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। हमदर्द की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह एक चौंकाने वाले के साथ ही सांप्रदायिक विभाजन का मामला भी है। उन्होंने कहा कि रामदेव की टिप्पणी नफरत फैलाने वाले भाषण के समान है।

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