नई दिल्ली । किसान नेता राकेश टिकैत ने मुजफ्फरनगर में कहा कि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का बड़ा मुद्दा लंबित है।उन्होंने केंद्र सरकार की मंशा और नीतियों पर भी सवाल उठाया। भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने दिल्ली की सीमा पर गाजीपुर में 383 दिनों के विरोध के बाद घर लौटने पर केंद्र पर अपना हमला जारी रखा। आपको बता दें कि संसद के द्वारा दिल्ली की सीमाओं और देश के कुछ अन्य हिस्सों में किसानों के निरंतर विरोध के बीच तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया गया था। बीकेयू किसान सामूहिक संयुक्त किसान मोर्चा का एक हिस्सा है, जिसने नवंबर 2020 में सिंघू, टिकरी और गाजीपुर सीमाओं पर शुरू हुए और पिछले सप्ताह समाप्त हुए विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया। मुजफ्फरनगर में सर्व-खाप के मुख्यालय सोरम गांव में आधी रात के बाद एक भीड़ को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा, “देश में एमएसपी का बड़ा मुद्दा बना हुआ है। एमएसपी मिलने से बड़ी राहत मिलेगी।’ उन्होंने कहा, “फसलों या खेतों को कोई समस्या नहीं है। आप फसलों के उत्पादन के लिए खेतों में कड़ी मेहनत करते हैं, आपकी ओर से कोई कमी नहीं है। अगर कोई कमी है, तो वह सरकारों की ओर से है। देश के किसान और युवा अब इसे समझ चुके हैं। टिकैत ने कहा अगर कोई समस्या है, तो वह दिल्ली में नीति निर्माताओं के साथ है। वहां के किसान अपना काम बखूबी कर रहे हैं।’ 383 दिनों के बाद बुधवार की देर रात मुजफ्फरनगर लौटे टिकैत ने युवाओं से “युद्ध के लिए तैयार” रहने का आह्वान किया क्योंकि “ज़मीन और ज़मीर” की लड़ाई जारी रहेगी। बीकेयू नेता ने बैंकों के निजीकरण पर बैंकिंग पेशेवरों द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल के समर्थन की घोषणा करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। उन्होंने कहा, ‘मैं बैंकरों की दो दिवसीय हड़ताल का पूर्ण समर्थन करता हूं। मैं देशवासियों से भी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ इस लड़ाई में शामिल होने की अपील करता हूं।”