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MPPSC महाआंदोलन में पूरी रात क्या हुआ और इसके परिणाम, अंत क्यों आवश्यक था

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मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (पीएससी) के बाहर बुधवार सुबह 11 बजे से शुरू हुए महाआंदोलन का समापन रविवार सुबह चार बजे हो गया है। इस दौरान तीन मुख्य मांगों पर सहमति बनी, जिसकी औपचारिक घोषणा रविवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा की जाएगी। अब आंदोलन में शामिल युवाओं के मन में सवाल है कि इस आंदोलन से हमें क्या हासिल हुआ और क्यों हम धरना समाप्त कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया और अधिकारियों से बात करके समाधान निकालने के लिए दिशा-निर्देश दिए, जो सफल रहे।

सीएम से मिला प्रतिनिधिमंडल

रविवार सुबह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ प्रतिनिधिमंडल की बैठक हुई, जिसमें नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन (एनईवाययू) ने अपनी मांग पत्र उन्हें सौंपा। मुख्यमंत्री ने सभी सदस्यों की बातें ध्यान से सुनीं और आश्वासन दिया कि उनकी सभी मांगें, जैसे अधिकतम पद, पीएससी भर्ती प्रक्रिया में सुधार (इंटरव्यू) और 87-13 का शीघ्र हल किया जाएगा। बैठक में राधे जाट, रणजीत किशनवंशी, कुलदीप तथा अन्य सदस्य उपस्थित थे। ध्यान रहे कि एक सदस्य अरविंद भदौरिया आमरण अनशन के चलते आईसीयू में भर्ती हैं।

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छात्रों के संघर्ष की जीत…

  • 87% वाले सभी छात्रों की कॉपी दिखाई जाएगी।
  • अधिकतम पद पर भर्ती होगी।
  • इंटरव्यू के मार्क्स कम होंगे एवं बिना पहचान के आयोजित होंगे।
  • 87/13 का शीघ्र निराकरण होगा।
  • MPPSC में सुधार हेतु एक कमेटी का निर्माण होगा (एक सदस्य छात्रों की ओर से रहेगा) जो देश के सभी राज्य आयोग के नियमों का परीक्षण करेगी।
  • MPPSC में युक्तियुक्त सुधार किए जाएंगे।
  • सहायक प्राध्यापक के साक्षात्कार जल्द आयोजित होंगे।
  • सरकार भर्ती प्रक्रिया में सुधार हेतु एक पोर्टल बनाएगी, जिसमें छात्रों से सुझाव लिए जाएंगे।

रात भर में यह घटनाक्रम हुआ

  • नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के मौके पर पहुंचने के बाद पूरा मामला भोपाल तक पहुंच गया। तय हुआ कि रेसीडेंसी में आंदोलनकारियों के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक होगी।

  • रात करीब दस बजे बैठक हुई, जिसमें कलेक्टर आशीष सिंह, आयोग सचिव प्रबल सिपाहा और अन्य उपस्थित रहे। सभी की बातें ध्यान से सुनी गईं और कई मामलों को सब ज्यूडिशियस बताकर बात अटक गई। लेकिन मुख्य मांग कॉपियों को दिखाने, अंक बताने, अधिकतम पद जारी करने और प्री में गलतियों को लेकर थी।

  • इसके बाद रात साढ़े ग्यारह बजे आंदोलनकारी स्थल पर लौटे और एनईवाययू के सदस्यों ने बैठक की जानकारी साझा की।

  • यह तय हुआ कि आंदोलन खत्म होगा और सीएम से मुलाकात की जाएगी, उन्होंने औपचारिक घोषणा भी की। लिखित में देने पर सहमति नहीं थी लेकिन सीएम का बोलना बड़ी बात है।

  • कुछ लोगों ने कहा कि केवल 700 पद ही होने चाहिए और लिखित आश्वासन नहीं मिलने पर कुछ ने विरोध किया।

  • इसके बाद रात 12 बजे घोषणा कर दी गई कि आंदोलन जारी रहेगा।

  • फिर सीएम हाउस तक बात पहुंची और आंदोलनकारियों को फिर से चर्चा का प्रस्ताव दिया गया। उन्होंने कहा कि आंदोलन आज समाप्त होगा।

  • फिर एक लंबी बैठक हुई जिसमें सभी मुद्दों पर सहमति बनी।

  • कलेक्टर खुद आकर जूस पिलाएंगे और सीएम से मुलाकात की व्यवस्था करेंगे।

  • आंदोलनकारियों का जूस पिलाने के बाद कलेक्टर ने औपचारिक रूप से आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की।

महाआंदोलन का परिणाम क्या?

महाआंदोलन को सफल कहा जा सकता है। 88 घंटे तक चलने वाले इस आंदोलन में सभी ने एकजुटता दिखाई, बिना किसी उपद्रव के गांधीवादी तरीके से। जो कॉपियां 2019 से नहीं दिख रही थीं, अब उन्हें दिखाने का आश्वासन मिला है। दबाव इतना बढ़ गया है कि सीएम ने रिक्त पदों को भेजने का निर्देश दिया है, हालांकि यह संख्या 700 से अधिक होगी। प्री में गलतियों और इंटरव्यू के अंकों पर मांगें उठाई गईं हैं और इन पर धीरे-धीरे कार्य किया जाएगा। युवाओं की आवाज को अनसुना करना अब मुमकिन नहीं है।

क्या नहीं मिला और क्यों नहीं?

मुख्य बात यह है कि 87-13 का मुद्दा सुलझाया नहीं गया। यह राजनीतिक इच्छाशक्ति का मामला है और कानून की बाध्यता नहीं है। सरकार इसे सब ज्यूडिशियस मामला बताकर टालने का प्रयास कर रही है। अन्य मांगों, जैसे असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती जल्द करनी, मेन्स 2023 का रिज़ल्ट जल्द लाना, इन सब पर चर्चा हुई है और ये मुद्दे आयोग और शासन के संज्ञान में लाए गए हैं।

आंदोलन का समापन क्यों आवश्यक था?

सरकार के लिए यह आंदोलन समाप्त करना जरूरी था, क्योंकि कांग्रेस नेता इसमें शामिल होने लगे थे। प्रशासन के लिए चार दिनों से चल रहे आंदोलन की वजह से सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ रही थी।

आंदोलन चार दिनों तक चला

आंदोलनकारी और प्रशासन ने समझदारी से काम लिया। चार दिनों के इस शांति में आंदोलन में कई महत्वपूर्ण मांगें मानी गईं और भविष्य की संभावना के लिए दबाव बढ़ा। सभी ने मिलकर इस आंदोलन को सफलतापूर्वक समाप्त करने का निर्णय लिया।

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पूरा भारत आपका आभारी रहेगाः पीएम मोदी

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अचानक एयरबेस पहुंचकर सेना के जवानों से मिले पीएम

नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर पर राष्ट्र को संबोधित करने के बाद पीएम मोदी आज सुबह आदमपुर एयरबेस पहुंचे। वहां उन्होंने वायुसेना के जवानों से मुलाकात की और उनका हौसला बढ़ाया। पीएम मोदी ने जवानों से बातचीत की जिन्होंने उन्हें जानकारी दी। बहादुर जवानों से मिलकर पीएम मोदी खुश दिखे और उनका जोश बढ़ाया।
जवानों का बढ़ाया जोश इस बीच पीएम मोदी सेना के जवानों से बातचीत भी करते दिखे। जवानों ने उन्हें जानकारी दी और वो बहादुर जवानों से बातचीत करते हुए खुश दिखे। पीएम का यह दौरा पूरी तरह से गोपनीय रखा गया था और इसकी किसी को पूर्व सूचना नहीं थी।

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देश

हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के लिए मुर्शिदाबाद जाएंगी CM ममता

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि वह मई के पहले सप्ताह में हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले का दौरा करेंगी. एक सरकारी कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि मैं मई के पहले सप्ताह में मुर्शिदाबाद के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करूंगी. वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में मुर्शिदाबाद में हिंसा भड़क उठी, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग अपने घरों से भाग गए.

बाद में यह विरोध प्रदर्शन मालदा, दक्षिण 24 परगना और हुगली सहित कई अन्य जिलों में फैल गया. यहां आगजनी, पथराव और सड़क जाम की खबरें आईं. पिछले हफ्ते, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने ममता के न जाने के अनुरोध को नज़रअंदाज़ करते हुए मुर्शिदाबाद का दौरा किया था.

पीड़ित चाहते हैं सुरक्षा
आनंद बोस ने शनिवार को मुर्शिदाबाद का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि पीड़ित सुरक्षा की भावना चाहते हैं और उन्होंने केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के समक्ष अपनी चिंताओं को उठाने का वादा किया. आनंद बोस ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि वे सुरक्षा की भावना चाहते हैं और निश्चित रूप से कुछ अन्य मांगें और सुझाव भी हैं.

उन्होंने कहा कि इन सभी पर विचार किया जाएगा. हम उनके संपर्क में रहेंगे. निश्चित रूप से, बहुत प्रभावी सक्रिय कदम उठाए जाएंगे. मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर विपक्ष ने ममता पर निशाना साधा है. इस बीच, मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर राजनीति शुरू हो गई है, विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर तीखे हमले किए हैं और सत्ता में आने पर कार्रवाई करने की कसम खाई है.

जनता को गुमराह कर रही हैं
बीजेपी ने ममता की है सुवेंदु अधिकारी ने हिंसा के पीछे लोगों के खिलाफ बुलडोजर से न्याय की धमकी दी है. उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद से हिंदुओं को खदेड़ा जा रहा है और उनसे एकजुट होने की अपील की गई है. बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ममता बनर्जी की स्थिति को गलत तरीके से संभालने के लिए दोषी ठहराया और उन पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि पुलिस रिपोर्ट उनके इस दावे का खंडन करती है कि बाहरी लोग जिम्मेदार थे.

माकपा ने न्यायिक जांच की मांग की है, जिसमें भाजपा और टीएमसी दोनों पर बेरोजगारी और मुद्रास्फीति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए प्रतिस्पर्धी सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. कोलकाता में एक रैली को संबोधित करते हुए माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने दावा किया कि दोनों पार्टियां 2026 के राज्य चुनावों से पहले मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए मिलीभगत कर रही हैं. शक्ति प्रदर्शन में वामपंथी दल ने ब्रिगेड परेड मैदान में एक बड़ी रैली के साथ अपने अभियान की शुरुआत की.

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देश

‘पांच दिन में हटाएं वीडियो…’, रामदेव के ‘शरबत जिहाद’ वाले बयान को दिल्ली हाईकोर्ट ने बताया अक्षम्य और अविश्वसनीय

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नई दिल्ली। हमदर्द के रूह अफजा के खिलाफ बाबा रामदेव की शरबत जिहाद टिप्पणी पर दिल्ली हाई कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि टिप्पणी ने अदालत की अंतरात्मा को झकझोर दिया है और यह अक्षम्य है। कोर्ट ने रामदेव के खिलाफ हमदर्द के मुकदमे की सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की है।
किसी ब्रांड या समुदाय का नाम नहीं लिया- रामदेव
हाल ही में रामदेव ने पतंजलि के गुलाब के शरबत का प्रचार करते हुए दावा किया था कि हमदर्द के रूह अफजा से अर्जित धन का उपयोग मदरसे और मस्जिद बनाने में किया जाता है। बाद में, रामदेव ने अपनी टिप्पणी का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने किसी ब्रांड या समुदाय का नाम नहीं लिया।
रामदेव के खिलाफ मुकदमा दायर
बता दें कि हमदर्द ने रामदेव के वीडियो को सोशल मीडिया से हटाने की मांग करते हुए रामदेव के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। हमदर्द की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह एक चौंकाने वाले के साथ ही सांप्रदायिक विभाजन का मामला भी है। उन्होंने कहा कि रामदेव की टिप्पणी नफरत फैलाने वाले भाषण के समान है।

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