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दिल्ली में वायु प्रदूषण में कुछ सुधार हुआ, आज सुबह एक्यूआई 300 से कम हुआ। एनसीआर में नोएडा की हवा सबसे शुद्ध रही।

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दिल्ली में वायु प्रदूषण में थोड़ी राहत: आज सुबह एक्यूआई 300 से नीचे गिरा, नोएडा की हवा सबसे शुद्ध रही

दिल्ली में आज सुबह वायु प्रदूषण में थोड़ी राहत देखने को मिली। राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 300 से नीचे गिरा, जिससे प्रदूषण के स्तर में कुछ सुधार हुआ। यह बदलाव हाल ही में दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्रों में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण चिंता का विषय बन गया था। एसीएम (एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग) के अनुसार, आज सुबह दिल्ली का AQI 290 के आसपास था, जो पहले के दिनों में 400 के ऊपर था। यह सुधार हवा में गिरते तापमान और हवा की दिशा में बदलाव के कारण हुआ, जिससे प्रदूषण की जकड़न थोड़ी कम हुई।

हालांकि, यह सुधार अस्थायी है, और विशेषज्ञों का कहना है कि आगामी दिनों में प्रदूषण के स्तर में फिर से वृद्धि हो सकती है, खासकर रात और सुबह के समय। दिल्ली के लोग अभी भी प्रदूषण से जूझ रहे हैं, और स्वच्छ हवा की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में प्रदूषण का स्तर अलग-अलग स्थानों पर भिन्न था। नोएडा, जो दिल्ली के पास स्थित है, की हवा आज सबसे शुद्ध रही। नोएडा का AQI 150 के आसपास दर्ज किया गया, जो अन्य क्षेत्रों के मुकाबले काफी बेहतर था। इस प्रकार, नोएडा को इस समय एक राहत भरा क्षेत्र माना जा सकता है, जहां हवा की गुणवत्ता अपेक्षाकृत बेहतर है।

दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण वाहनों से निकलने वाला धुंआ, निर्माण कार्य, और खेतों में पराली जलाना है। ये तत्व हवा में घुलकर प्रदूषण की स्थिति को और खराब कर देते हैं। विशेष रूप से नवंबर-दिसंबर के महीने में, जब मौसम ठंडा और ठहरा हुआ होता है, तो इन प्रदूषकों का प्रभाव अधिक महसूस होता है।

सरकार और पर्यावरण विशेषज्ञों द्वारा प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं, जैसे कि निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध, पराली जलाने पर सख्त कार्रवाई, और प्रदूषणकारी वाहनों के खिलाफ सख्त नियम। हालांकि, अब भी यह चुनौती बनी हुई है कि प्रदूषण को लंबे समय तक नियंत्रण में रखा जा सके और राजधानी में स्वच्छ हवा की स्थिति को बनाए रखा जा सके।

इस स्थिति में थोड़ी राहत के बावजूद, दिल्लीवासियों को अभी भी सावधानी बरतने की आवश्यकता है, खासकर बुजुर्गों, बच्चों और श्वास संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों को।

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Aamna Samna with Atul Garg (MP Ghaziabad)

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स्मारक घोटाला: विजिलेंस जांच से बच रहे पूर्व IAS मोहिंदर सिंह, फिर दिया तबीयत खराब का हवाला

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Former IAS officer Mohinder Singh, who is evading the vigilance inquiry

दिल्ली के प्रसिद्ध स्मारक घोटाले में, जहां लाखों रुपये की अनियमितताएं सामने आई हैं, पूर्व IAS अधिकारी मोहिंदर सिंह पर विजिलेंस जांच का दबाव बढ़ता जा रहा है। यह घोटाला सार्वजनिक धन के दुरुपयोग और परियोजनाओं में भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़ा हुआ है, जिसमें मोहिंदर सिंह का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। हालांकि, जांच में शामिल होने के लिए उन्हें कई बार तलब किया गया, लेकिन स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए वह जांच से बचने की कोशिश कर रहे हैं।

स्मारक घोटाले में आरोप है कि विभिन्न सरकारी स्मारकों और परियोजनाओं के निर्माण में अनियमितताएं हुई थीं, जिनमें अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच सांठगांठ की आशंका है। इस घोटाले में कई बड़े अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम सामने आए हैं, और मोहिंदर सिंह का नाम भी मुख्य संदिग्धों में है।

विजिलेंस विभाग ने पूर्व IAS अधिकारी को कई बार समन भेजा, लेकिन हर बार उन्होंने स्वास्थ्य का बहाना बनाया और जांच में शामिल होने से इंकार कर दिया। सूत्रों के अनुसार, मोहिंदर सिंह का कहना है कि वह गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं और इस वजह से वह शारीरिक रूप से जांच के लिए उपस्थित नहीं हो सकते। हालांकि, कई लोग इसे उनकी ओर से जांच से बचने की कोशिश मान रहे हैं, क्योंकि जांच का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है और उनकी भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

विजिलेंस विभाग ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, त्वरित कार्रवाई की योजना बनाई है। यही कारण है कि कुछ अधिकारियों का कहना है कि मोहिंदर सिंह को बारबार जांच के लिए बुलाया जाता रहा है और इसके लिए स्वास्थ्य के बहाने से पहलू-तक चढ़ाए जाते हैं। अगर मोहिंदर सिंह अगली बार भी जांच में नहीं टिकते हैं तो विजिलेंस विभाग उन्हें कानूनी कार्रवाई की चेतावनी देने पर विचार करेगा।

इस घोटाले के सामने आने के बाद से मोहिंदर सिंह की छवि पर सवाल उठने लगे हैं। पहले वह एक प्रतिष्ठित और ईमानदार अधिकारी के रूप में जाने जाते थे, लेकिन इस मामले में उनका नाम जुड़ने से उनके खिलाफ संदेह और आरोपों की झड़ी लग गई है। उनका यह बयान कि उनकी तबीयत खराब है, उन्हें जांच से बचाने की एक रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।

विजिलेंस विभाग का कहना है कि वे इस मामले को हर हाल में निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से निपटाएंगे। जांच में कई अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों को भी शामिल किया गया है, और यदि मोहिंदर सिंह जांच में सहयोग नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

मोहिंदर सिंह के मामले में यह देखना बाकी है कि क्या वह आगे चलकर जांच में शामिल होते हैं, या फिर स्वास्थ्य के कारण अपनी उपस्थिति को टालते रहते हैं। फिलहाल, विजिलेंस विभाग इस मामले में पूरी गंभीरता से कार्रवाई कर रहा है और किसी भी तरह के दबाव से बचने की कोशिश कर रहा है।

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दिल्ली

“दिल्ली में प्रदूषण के कारण स्कूलों में हाईब्रिड कक्षाएं”

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Hybrid Classes in Delhi Schools Due to Pollution

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की स्थिति के चलते ग्रैप-4 (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) लागू कर दिया गया है। इस निर्णय के तहत राजधानी दिल्ली में प्रदूषण स्तर को नियंत्रित करने के लिए कई पाबंदियां लगाई गई हैं, जिनमें स्कूलों में कक्षाएं हाईब्रिड मोड में संचालित करने का आदेश दिया गया है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को इस फैसले की घोषणा की, जिसके बाद राज्य सरकार ने तत्काल प्रभाव से कई कदम उठाए हैं।

प्रदूषण के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के कारण दिल्ली सरकार ने यह निर्णय लिया है। स्कूलों में ऑफलाइन कक्षाएं आयोजित करने के बजाय, छात्रों को घर से ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने का निर्देश दिया गया है। इस कदम से बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए प्रदूषण से बचाव की कोशिश की जाएगी। इसके साथ ही, दिल्ली सरकार ने अपने कर्मचारियों को भी वर्क फ्रॉम होम करने की सलाह दी है ताकि वे बाहरी प्रदूषण से बच सकें।

ग्रैप-4 के तहत विभिन्न स्तरों पर प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई अन्य पाबंदियां भी लागू की गई हैं। दिल्ली सरकार ने निर्माण कार्यों और सड़क मरम्मत कार्यों को रोकने का आदेश दिया है। इसके अलावा, प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए डीजल जनरेटर सेट्स के इस्तेमाल पर भी पाबंदी लगाई गई है। निर्माण कार्यों में जुटे हुए श्रमिकों को सुरक्षित स्थानों पर शरण देने का भी निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही, ट्रकों की आवाजाही पर भी प्रतिबंध लगाया गया है, जिससे शहर की सड़कों पर धुएं का स्तर कम हो सके।

दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को लेकर पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि दिल्ली में हवा की गुणवत्ता 400 के पार पहुंच चुकी है, जो कि “खतरनाक” श्रेणी में आती है। इसके कारण लोगों में सांस की बीमारियों, आंखों में जलन और गले में खराश जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। मंत्री ने बताया कि ग्रैप-4 लागू होने के बाद प्रदूषण स्तर में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।

दिल्ली के स्कूलों में लागू की गई हाईब्रिड कक्षाओं का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बच्चों की पढ़ाई में कोई व्यवधान न आए, साथ ही उनका स्वास्थ्य भी सुरक्षित रहे। स्कूल प्रशासन को यह निर्देश दिया गया है कि वे छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराएं। इसके अलावा, शारीरिक रूप से उपस्थित होने वाले छात्रों के लिए प्रदूषण से बचने के उपायों को बढ़ावा देने की योजना है।

दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार ने अन्य उपायों पर भी विचार किया है। वायु प्रदूषण से निपटने के लिए जल्द ही कुछ नए कदम उठाए जाएंगे, जिनमें सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना, वाहनों का निरीक्षण और सड़क पर प्रदूषण करने वाले वाहनों को हटाने जैसे कदम शामिल हो सकते हैं। इसके साथ ही, दिल्ली में धूल और राख को फैलने से रोकने के लिए विशेष उपायों पर काम किया जा रहा है।

इस समय प्रदूषण की समस्या दिल्लीवासियों के लिए गंभीर हो गई है, और सरकार के द्वारा उठाए गए ये कदम प्रदूषण नियंत्रण में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।

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