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रोसनेफ्ट के सीईओ इगोर सेचिन ने वैश्विक ऊर्जा के बारे में भ्रांतियों को किया दूर

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नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। रुसी तेल कंपनी रोसनेफ्ट पेजीएससी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) इगोर सेचिन ने यूएई के रस अल-खैमा में 17वें वेरोना यूरेशियन इकोनॉमिक फोरम को संबोधित किया। उन्होंने ‘फेयरवेल टू इलुजन्स : वर्ल्ड एनर्जी इन द थ्यूसीडाइड्स ट्रैप’ शीर्षक से एक रिपोर्ट भी पेश की और ग्रीन एनर्जी को लेकर बनी भ्रांतियों को दूर करते हुए कहा कि भविष्य में जीवाश्म ईंधनों की मांग बढ़ेगी।

इगोर सेचिन ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि आधुनिक ऊर्जा प्रणाली पूरी तरह से जीवाश्म ईंधन पर आधारित है, जो वर्तमान में दुनियाभर में खपत होने वाली सभी प्राथमिक ऊर्जा का 80 प्रतिशत से अधिक है। तेल, गैस और कोयला आधुनिक लोगों और समाज के जीवन में अपरिहार्य हैं: जीवाश्म ईंधन का परिवहन आसान है।

उदाहरण के लिए, एक डॉलर से कम के खर्च में एक हजार मील की दूरी तय करने वाली ऊर्जा की मात्रा – पाइपलाइन के माध्यम से तेल के लिए 4.4 मेगावाट-घंटा और पाइपलाइन के माध्यम से गैस के लिए 1.2 मेगावाट-घंटा है, जबकि हाइड्रोजन के लिए यह आंकड़ा 0.2 मेगावाट-घंटा है, जो बेहद कम है।

इगोर सेचिन ने कहा, “महान रूसी वैज्ञानिक प्योत्र लियोनिदोविच कपित्सा के शोध को आगे बढ़ाते हुए मैकिन्से विशेषज्ञों और प्रमुख पश्चिमी विश्वविद्यालयों के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि जीवाश्म ईंधन में भी ऊर्जा का उच्च घनत्व होता है। इसके अनुसार, डीजल हाइड्रोजन से लगभग 30 गुना बेहतर है, और गैस, पवन तथा सौर ऊर्जा से 270 गुना बेहतर है।”

उन्होंने कहा कि जीवाश्म ईंधन की मांग का चरम अभी शेष है। विकासशील देशों की आबादी के जीवन स्तर को “गोल्डन बिलियन” के कम से कम आधे स्तर तक पहुंचाने के लिए भविष्य में तेल उत्पादन में लगभग दो गुना वृद्धि की आवश्यकता होगी।

निवेश बैंक जेपी मॉर्गन को उम्मीद है कि 2035 तक वैश्विक तेल की मांग में लगभग 60 लाख बैरल प्रतिदिन की वृद्धि होगी, जो भारत और अन्य देशों में बढ़ती खपत से प्रेरित है।

कंपनी के प्रमुख ने कहा, “वैश्विक ऊर्जा खपत में तेल का योगदान 30 प्रतिशत से अधिक, कोयले का 25 प्रतिशत और गैस का 22 प्रतिशत है। जाहिर है, हम अब भी जीवाश्म ईंधन के लिए किसी भी चरम मांग के स्तर से बहुत दूर हैं।”

उन्होंने एक अधिक आधुनिक कोयला युग के आगमन की भविष्यवाणी की। खनन कंपनी ग्लेनकोर ने पिछले दो वर्षों में अपने कोयला उत्पादन व्यवसाय से अपनी परिचालन आय का आधा हिस्सा अर्जित किया है।

सेचिन ने कहा, “आज, हमें जलवायु पर मानव निर्मित कारकों के प्रमुख प्रभाव का हवाला देते हुए जीवाश्म ईंधन को तेजी से त्यागने के लिए कहा जा रहा है। हालांकि, अंतिम हिमयुग, जिसे लिटिल आइस एज भी कहा जाता है, 200 साल से कुछ कम समय पहले समाप्त हुआ था, और वार्मिंग की वर्तमान अवधि पृथ्वी के प्राकृतिक चक्र का हिस्सा है।”

इसके अलावा, अमेरिका ऊर्जा संक्रमण कार्यक्रम के लिए लॉबिंग पर कड़ी मेहनत कर रहा है, जो दुनिया की 88 प्रतिशत आबादी के लिए एक शक्तिशाली प्रतिबंध बाधा है। अमेरिका एक वैश्विक आधिपत्य की अपनी स्थिति का पूरा फायदा उठाता है और अपने सहयोगियों सहित अन्य बाजार प्रतिभागियों की कीमत पर अपनी अर्थव्यवस्था के लिए विशेष परिस्थितियों के निर्माण करने पर भरोसा करता है।

लेकिन यहां तक ​​कि प्राचीन यूनानी इतिहासकार थ्यूसीडाइड्स ने भी अपनी रचना “पेलोपोनेसियन युद्ध का इतिहास” में एक क्लासिक ट्रैप का वर्णन किया है: वैकल्पिक वैश्विक शक्ति केंद्रों के उभरने के बारे में आधिपत्य का डर अनिवार्य रूप से उनके साथ युद्ध की ओर ले जाता है।

सेचिन ने जोर देकर कहा, “अमेरिका ने वैज्ञानिक, तकनीकी, औद्योगिक और वित्तीय क्षेत्रों में नेतृत्व को खत्म होने दिया है, जिसकी 20-30 साल पहले तक कल्पना करना वास्तव में मुश्किल था।”

आज, वैकल्पिक ऊर्जा उपकरण बनाने की दुनिया की 70 प्रतिशत से अधिक क्षमता चीन में स्थित है, न कि अमेरिका में।

सेचिन ने कहा, “अमेरिकी संरक्षणवादी नीतियों की विफलता स्पष्ट है: अमेरिका में व्यापार प्रतिबंधों की शुरुआत के बाद से छह साल से अधिक समय से, औद्योगिक उत्पादन में नाटकीय रूप से कमी आई है। ऐसे उद्योगों में कार्यरत श्रम शक्ति का हिस्सा भी कम हुआ है और उनका व्यापार घाटा काफी बढ़ गया है।”

साथ ही, जलवायु परिवर्तन के विषय के इर्द-गिर्द आज कृत्रिम रूप से बनाया गया अस्वस्थ प्रचार सीधे-सीधे दुरुपयोग की ओर ले जाता है और ऊर्जा संक्रमण के लिए वास्तविक, न कि आभासी, अर्थव्यवस्था के पूर्ण पुनर्गठन की आवश्यकता होगी।

इगोर सेचिन ने संदेह व्यक्त किया, “साल 2050 तक इन निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए लो कार्बन बिजली उत्पादन की क्षमता को 10 गुना बढ़ाकर 35 टेरावॉट करना आवश्यक है, जो विश्व ऊर्जा प्रणाली की संपूर्ण स्थापित क्षमता से चार गुना अधिक है, क्या यह वास्तविक हो सकता है।”

उन्होंने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित किया कि साल 2050 तक पेरिस समझौते के जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए 70 ट्रिलियन डॉलर से अधिक के निवेश की आवश्यकता है।

कंपनी के प्रमुख ने कहा कि ग्रीन इकोनॉमी कंपनियां समय पर अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम नहीं हैं, इसलिए कई निवेशक उनके साथ काम नहीं करना चाहते हैं।

“ग्रीन एजेंडा” के लिए अपने स्वयं के दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करते हुए शेवरॉन, बीपी और शेल जैसी तेल दिग्गज कंपनियां वैकल्पिक ईंधन का उत्पादन करने वाली परियोजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल रही हैं। डेनमार्क की सबसे बड़ी ऊर्जा कंपनी ऑर्स्टेड ने कम मांग के कारण मेथेनॉल संयंत्र के निर्माण को रद्द कर दिया है।

–आईएएनएस

एकेजे/एबीएम

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रुपया निचले स्तर पर पहुंचा, भारत और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक

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नई दिल्ली। भारतीय रुपया भी 67 पैसे गिरकर रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। सोमवार को शुरूआती ट्रेड में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत 87.29 रही। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कनाडा,मैक्सिको पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने और चीन के उत्पादों पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त कर लगाने के फैसले से ट्रेड वॉर का डर बढ़ गया है। इसे लेकर पूरी दुनिया के बाजारों में डर का माहौल है। इस माहौल में भारतीय रुपया भी 67 पैसे गिरकर रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। सोमवार को शुरूआती ट्रेड में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत 87.29 रही।
67 पैसे की गिरावट आई : भारतीय मुद्रा रुपया लगातार दबाव में है। विदेशी फंड के भारतीय बाजार से लगातार निकलने और तेल आयातक देशों द्वारा डॉलर को प्रमुखता दिए जाने के बाद से डॉलर की मांग लगातार बढ़ रही है। इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज पर आज रुपया 87 रुपये पर खुला, लेकिन जल्द ही 67 पैसे गिरकर 87.29 पर आ गया। शुक्रवार को रुपया, डॉलर के मुकाबले 86.62 पर बंद हुआ था। सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के एमडी अमित पबारी ने कहा, ‘सप्ताह की शुरूआत में वित्तीय बाजारों में उतार-चढ़ाव देखा गया, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ की अपनी धमकियों को जारी रखते हुए मैक्सिको, कनाडा और चीन से आयात पर शुल्क लगाया है।’
व्यापार युद्ध के बढ़ते खतरे से डर का माहौल : ‘व्यापार युद्ध के बढ़ते खतरे से बाजार में जोखिम का माहौल है। अमेरिकी डॉलर की मांग बढ़ी है और डॉलर इंडेक्स 1.30 प्रतिशत बढ़कर 109.77 के अंक पर कारोबार कर रहा है। ट्रंप की टैरिफ की धमकी के चलते अमेरिकी डॉलर में उछाल आया, जिससे वैश्विक मुद्रा विनिमय दर कई वर्षों के निचले स्तर पर पहुंच गई।
घरेलू इक्विटी में बाजार में, 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 575.89 अंक या 0.74 प्रतिशत की गिरावट के साथ 76,930.07 अंक पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 206.40 अंक या 0.88 प्रतिशत की गिरावट के साथ 23,275.75 अंक पर था। इस बीच, रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि 24 जनवरी को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5.574 अरब डॉलर बढ़कर 629.557 अरब डॉलर हो गया।

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फरवरी में ब्याज दरों में कटौती से अर्थव्यवस्था को मिलेगी रफ्तार: इंडस्ट्री

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उद्योग जगत का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा फरवरी में ब्याज दरों में कटौती करने से अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। उनका मानना है कि इससे बैंकों के पास अधिक पैसा उपलब्ध होगा, जिससे वे उद्योगों और व्यवसायों को अधिक ऋण दे सकेंगे। इससे निवेश और उत्पादन में वृद्धि होगी, जिससे अंततः आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

उद्योग जगत के कुछ प्रमुख तर्क इस प्रकार हैं:

कुल मिलाकर, उद्योग जगत का मानना है कि फरवरी में ब्याज दरों में कटौती से अर्थव्यवस्था को लाभ होगा। हालांकि, आरबीआई को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखा जाए।

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शेयर बाजार लगातार दूसरे दिन हरे निशान में हुआ बंद

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मिडकैप और स्मॉलकैप चमके

मुंबई। भारतीय शेयर बाजार में बुधवार को चौतरफा खरीदारी देखी गई। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 631.55 अंक या 0.83 प्रतिशत की तेजी के साथ 76,532.96 और निफ्टी 205.85 अंक या 0.90 प्रतिशत की बढ़त के साथ 23,163.10 पर बंद हुआ। कारोबारी सत्र में मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में बड़ी खरीदारी देखने को मिली, जो निवेशकों के तेजी के रुझान को दिखाता है। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 1,189.40 अंक या 2.31 प्रतिशत की तेजी के साथ 52,718.85 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 532.05 या 3.32 प्रतिशत की तेजी के साथ 16,540 पर बंद हुआ। आॅटो, आईटी, पीएसयू बैंक, फाइनेंसियल सर्विसेज और फार्मा समेत सभी इंडेक्सों में खरीदारी देखी गई। केवल एफएमसीजी इंडेक्स ही लाल निशान में बंद हुआ।
व्यापक बाजार में तेजी का रुझान था। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर 2,979 शेयर हरे निशान में और 1,009 शेयर लाल निशान में और 94 शेयर बिना किसी बदलाव के बंद हुए। शेयर बाजार में तेजी के कारण बीएसई पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों का मार्केटकैप करीब 10 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 416 लाख करोड़ रुपये हो गया है। सेंसेक्स पैक में जोमैटो, टाटा मोटर्स, इन्फोसिस, अल्ट्राटेक सीमेंट, टेक महिंद्रा, एमएंडएम, बजाज फाइनेंस, अदाणी पोर्ट्स, सन फार्मा और कोटक महिंद्रा बैंक टॉप गेनर्स थे।
भारती एयरटेल, मारुति सुजुकी, एशियन पेंट्स, आईटीसी, एक्सिस बैंक और एचयूएल टॉप लूजर्स थे। चॉइस ब्रोकिंग के मुताबिक, निफ्टी ने 22,800 के अपने सपोर्ट जोन से मजबूत रिकवरी दिखाई है और 23,100 के ऊपर बंद होने में कामयाब रहा, जो कि मजबूती का संकेत है। अगर आने वाले सत्र में अगर निफ्टी 23,300 के ऊपर बंद होता है, तो 23,650 और 23,800 के भी स्तर देखने को मिल सकते हैं। सोमवार को बाजार लगातार दो दिनों की गिरावट के बाद तेजी के साथ बंद हुए थे। इस दौरान सेंसेक्स 535 अंक या 0.71 प्रतिशत की तेजी के साथ 75,901 और निफ्टी 128 अंक या 0.56 प्रतिशत की बढ़त के साथ 22,957 पर बंद हुआ।

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