बाज़ार
भारत में प्रति व्यक्ति फलों और सब्जियों की उपलब्धता में दर्ज हुई वृद्धि

नई दिल्ली, 14 दिसंबर (आईएएनएस)। एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दशक में भारत में फलों और सब्जियों की प्रति व्यक्ति उपलब्धता में क्रमशः 7 किलोग्राम और 12 किलोग्राम की वृद्धि हुई है।
फलों और सब्जियों के प्रति व्यक्ति उत्पादन में मुख्य वृद्धि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 227 किलोग्राम फल और सब्जियां पैदा करता है, जबकि सेवन के लिए जनरल रिकमेंडेशन प्रति व्यक्ति सालाना कम से कम 146 किलोग्राम है।
हालांकि, फलों के खराब होने की प्रकृति के साथ, कटाई, भंडारण, ग्रेडिंग और परिवहन के दौरान भी काफी मात्रा में फल नष्ट हो जाते हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि खाद्यान्न उत्पादन पर जलवायु का प्रभाव नकारात्मक है। पिछले कुछ वर्षों में कृषि उत्पादन और सप्लाई चेन कई बार गर्मी और ठंड की लहरों से प्रभावित हुई है।
इन गर्मी और ठंड की लहरों का खाद्यान्न उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है क्योंकि अधिकांश राज्यों में खाद्यान्न उत्पादन और मौसम की स्थिति के बीच नकारात्मक संबंध है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार, अनाज भरने की अवधि के दौरान तापमान में 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक की हर 1 डिग्री सेल्सियस वृद्धि से गेहूं की उपज कम हो जाती है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन के इन दोहरावों ने खाद्य मुद्रास्फीति को भी 3-4 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है।
बढ़ती अर्थव्यवस्था में विकास के हिस्से के रूप में, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि व्यक्तिगत ऋण डेटा पिछले दशक में उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में अधिक शहरीकरण का संकेत देते हैं।
भारत की कुल आबादी का लगभग एक तिहाई हिस्सा शहरों में रहता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह प्रवृत्ति पिछले दशक 2014-2024 में शहरीकरण में 5 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्शाती है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “यदि हम ‘व्यक्तिगत ऋण’ पर ऋण डेटा को देखें, तो यह बताता है कि उत्तर प्रदेश में लगभग 115 आधार अंक (बीपीएस) की वृद्धि हुई है, उसके बाद राजस्थान में 97 बीपीएस की वृद्धि हुई है। ऐसा लगता है कि इन राज्यों में शहरीकरण में वृद्धि हुई है, क्योंकि व्यक्तिगत ऋण की मांग ज्यादातर शहरी क्षेत्रों से होती है।”
जानकारों के अनुसार, शहरीकरण में इस वृद्धि से फलों और सब्जियों की मांग बढ़ेगी क्योंकि शहरों में बेहतर नौकरियों के साथ आय बढ़ेगी।
–आईएएनएस
एसकेटी/एएस
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रुपया निचले स्तर पर पहुंचा, भारत और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक

नई दिल्ली। भारतीय रुपया भी 67 पैसे गिरकर रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। सोमवार को शुरूआती ट्रेड में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत 87.29 रही। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कनाडा,मैक्सिको पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने और चीन के उत्पादों पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त कर लगाने के फैसले से ट्रेड वॉर का डर बढ़ गया है। इसे लेकर पूरी दुनिया के बाजारों में डर का माहौल है। इस माहौल में भारतीय रुपया भी 67 पैसे गिरकर रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। सोमवार को शुरूआती ट्रेड में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत 87.29 रही।
67 पैसे की गिरावट आई : भारतीय मुद्रा रुपया लगातार दबाव में है। विदेशी फंड के भारतीय बाजार से लगातार निकलने और तेल आयातक देशों द्वारा डॉलर को प्रमुखता दिए जाने के बाद से डॉलर की मांग लगातार बढ़ रही है। इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज पर आज रुपया 87 रुपये पर खुला, लेकिन जल्द ही 67 पैसे गिरकर 87.29 पर आ गया। शुक्रवार को रुपया, डॉलर के मुकाबले 86.62 पर बंद हुआ था। सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के एमडी अमित पबारी ने कहा, ‘सप्ताह की शुरूआत में वित्तीय बाजारों में उतार-चढ़ाव देखा गया, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ की अपनी धमकियों को जारी रखते हुए मैक्सिको, कनाडा और चीन से आयात पर शुल्क लगाया है।’
व्यापार युद्ध के बढ़ते खतरे से डर का माहौल : ‘व्यापार युद्ध के बढ़ते खतरे से बाजार में जोखिम का माहौल है। अमेरिकी डॉलर की मांग बढ़ी है और डॉलर इंडेक्स 1.30 प्रतिशत बढ़कर 109.77 के अंक पर कारोबार कर रहा है। ट्रंप की टैरिफ की धमकी के चलते अमेरिकी डॉलर में उछाल आया, जिससे वैश्विक मुद्रा विनिमय दर कई वर्षों के निचले स्तर पर पहुंच गई।
घरेलू इक्विटी में बाजार में, 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 575.89 अंक या 0.74 प्रतिशत की गिरावट के साथ 76,930.07 अंक पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 206.40 अंक या 0.88 प्रतिशत की गिरावट के साथ 23,275.75 अंक पर था। इस बीच, रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि 24 जनवरी को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5.574 अरब डॉलर बढ़कर 629.557 अरब डॉलर हो गया।
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फरवरी में ब्याज दरों में कटौती से अर्थव्यवस्था को मिलेगी रफ्तार: इंडस्ट्री

उद्योग जगत का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा फरवरी में ब्याज दरों में कटौती करने से अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। उनका मानना है कि इससे बैंकों के पास अधिक पैसा उपलब्ध होगा, जिससे वे उद्योगों और व्यवसायों को अधिक ऋण दे सकेंगे। इससे निवेश और उत्पादन में वृद्धि होगी, जिससे अंततः आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
उद्योग जगत के कुछ प्रमुख तर्क इस प्रकार हैं:
ब्याज दरों में कटौती से उधार लेने की लागत कम हो जाएगी, जिससे व्यवसायों के लिए निवेश करना अधिक आकर्षक हो जाएगा।
इससे उपभोक्ता खर्च में भी वृद्धि होगी, क्योंकि लोगों के पास अधिक डिस्पोजेबल आय होगी।
ब्याज दरों में कटौती से निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि इससे भारतीय वस्तुओं और सेवाओं की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
हालांकि, कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ब्याज दरों में कटौती से मुद्रास्फीति में भी वृद्धि हो सकती है। उनका मानना है कि आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती करते समय सावधानी बरतनी चाहिए ताकि मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखा जा सके।
कुल मिलाकर, उद्योग जगत का मानना है कि फरवरी में ब्याज दरों में कटौती से अर्थव्यवस्था को लाभ होगा। हालांकि, आरबीआई को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखा जाए।
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शेयर बाजार लगातार दूसरे दिन हरे निशान में हुआ बंद

मिडकैप और स्मॉलकैप चमके
मुंबई। भारतीय शेयर बाजार में बुधवार को चौतरफा खरीदारी देखी गई। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 631.55 अंक या 0.83 प्रतिशत की तेजी के साथ 76,532.96 और निफ्टी 205.85 अंक या 0.90 प्रतिशत की बढ़त के साथ 23,163.10 पर बंद हुआ। कारोबारी सत्र में मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में बड़ी खरीदारी देखने को मिली, जो निवेशकों के तेजी के रुझान को दिखाता है। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 1,189.40 अंक या 2.31 प्रतिशत की तेजी के साथ 52,718.85 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 532.05 या 3.32 प्रतिशत की तेजी के साथ 16,540 पर बंद हुआ। आॅटो, आईटी, पीएसयू बैंक, फाइनेंसियल सर्विसेज और फार्मा समेत सभी इंडेक्सों में खरीदारी देखी गई। केवल एफएमसीजी इंडेक्स ही लाल निशान में बंद हुआ।
व्यापक बाजार में तेजी का रुझान था। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर 2,979 शेयर हरे निशान में और 1,009 शेयर लाल निशान में और 94 शेयर बिना किसी बदलाव के बंद हुए। शेयर बाजार में तेजी के कारण बीएसई पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों का मार्केटकैप करीब 10 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 416 लाख करोड़ रुपये हो गया है। सेंसेक्स पैक में जोमैटो, टाटा मोटर्स, इन्फोसिस, अल्ट्राटेक सीमेंट, टेक महिंद्रा, एमएंडएम, बजाज फाइनेंस, अदाणी पोर्ट्स, सन फार्मा और कोटक महिंद्रा बैंक टॉप गेनर्स थे।
भारती एयरटेल, मारुति सुजुकी, एशियन पेंट्स, आईटीसी, एक्सिस बैंक और एचयूएल टॉप लूजर्स थे। चॉइस ब्रोकिंग के मुताबिक, निफ्टी ने 22,800 के अपने सपोर्ट जोन से मजबूत रिकवरी दिखाई है और 23,100 के ऊपर बंद होने में कामयाब रहा, जो कि मजबूती का संकेत है। अगर आने वाले सत्र में अगर निफ्टी 23,300 के ऊपर बंद होता है, तो 23,650 और 23,800 के भी स्तर देखने को मिल सकते हैं। सोमवार को बाजार लगातार दो दिनों की गिरावट के बाद तेजी के साथ बंद हुए थे। इस दौरान सेंसेक्स 535 अंक या 0.71 प्रतिशत की तेजी के साथ 75,901 और निफ्टी 128 अंक या 0.56 प्रतिशत की बढ़त के साथ 22,957 पर बंद हुआ।
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