विदेश
भारत ने बांग्लादेशी मिशनों की सुरक्षा बढ़ाई

नई दिल्ली, 2 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत ने सोमवार को नई दिल्ली स्थित बांग्लादेश उच्चायोग और देश में उसके उप एवं सहायक उच्चायोगों की सुरक्षा बढ़ा दी। पड़ोसी देश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ भारत में बढ़ते विरोध-प्रदर्शनों के बाद यह कदम उठाया गया है।
त्रिपुरा में बांग्लादेश के सहायक उच्चायुक्त (एएचसी) के कार्यालय के पास प्रदर्शन के बाद विदेश मंत्रालय ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में राजनयिक मिशनों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि अगरतला में बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग के परिसर में घुसपैठ की घटना बेहद दुखद है। किसी भी परिस्थिति में राजनयिक और वाणिज्य दूतावास की संपत्तियों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। सरकार नई दिल्ली में बांग्लादेश उच्चायोग और देश में उनके उप/सहायक उच्चायोगों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए कार्रवाई कर रही है।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ पिछले कुछ दिनों में त्रिपुरा में कई विरोध रैलियां आयोजित की गई हैं।
सैकड़ों कार्यकर्ता सोमवार को एएचसी कार्यालय के बाहर एक ज्ञापन सौंपने के लिए पहुंचे, जिसमें ढाका की अंतरिम सरकार से बांग्लादेश में हिंदुओं के जीवन और उनकी संपत्तियों की रक्षा करने का आग्रह किया गया था।
प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि सन् 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान हजारों हिंदुओं ने अपने प्राणों की आहुति दी थी और स्वतंत्रता के बाद देश के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
ज्ञापन में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, संयुक्त राष्ट्र और अन्य देशों से बांग्लादेश की स्थिति में हस्तक्षेप करने और हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार रोकने का आग्रह किया गया।
इससे पहले, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा, विपक्ष के नेता जितेंद्र चौधरी, पूर्व मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता बिरजीत सिन्हा ने बांग्लादेश सरकार से हिंदू अल्पसंख्यकों पर अत्याचार रोकने का आग्रह किया।
अगरतला में सबसे बड़ी निजी स्वास्थ्य सुविधाओं में से एक ने कुछ स्थानीय कार्यकर्ताओं के विरोध के बाद बांग्लादेशी रोगियों के लिए सेवाएं बंद करने का फैसला किया था। अगरतला अस्पताल का यह फैसला कोलकाता के एक निजी अस्पताल द्वारा हाल ही में इसी मुद्दे पर बांग्लादेशी रोगियों का इलाज बंद करने की घोषणा के बाद आया है।
उल्लेखनीय है कि मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में देश में अंतरिम सरकार के गठन के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं पर इस्लामी तत्वों द्वारा गंभीर हमला किया गया है।
पिछले सप्ताह, बांग्लादेश सम्मिलित सनातन जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास, जो इस्कॉन बांग्लादेश से भी जुड़े हैं, उनकी गिरफ्तारी और जमानत से इनकार के बाद भारत ने इस बात पर प्रकाश डाला था कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में आगजनी और लूटपाट के साथ-साथ चोरी, तोड़फोड़ और देवी-देवताओं की मूर्तियों और मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले दर्ज हैं।
–आईएएनएस
पीएसके/एकेजे
विदेश
ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में सिर्फ नुकसान और विनाश किया: जो बाइडेन

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पद से हटने के बाद पहली बार जनता के सामने आकर भाषण दिया है और उन्होंने मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके काम करने के तरीके की खुलकर आलोचना की है. बाइडेन ने शिकागो में एक सम्मेलन में कहा, “100 दिनों से भी कम समय में, इस प्रशासन ने इतना नुकसान और इतना विनाश किया है – यह आश्चर्यजनक है कि ऐसा इतनी जल्द हो सकता है.”
बाइडेन विकलांगता अधिवक्ताओं (डिसेबिलिटी एडवोकेट्स) को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने रिटायरमेंट और विकलांगता बेनिफिट्स का भुगतान करने वाली अमेरिका की राष्ट्रीय एजेंसी का जिक्र करते हुए कहा, “उन्होंने (ट्रंप सरकार) सामाजिक सुरक्षा प्रशासन के खिलाफ द्वेषपूर्ण व्यवहार किया है और 7,000 कर्मचारियों को बाहर कर दिया है.”
राष्ट्रपति पद से हटने के बाद बाइडेन की पहली हुंकार, ट्रंप पर कहा- “100 से कम दिनों में इतना विनाश…”अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पद से हटने के बाद पहली बार जनता के सामने आकर भाषण दिया है और उन्होंने मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके काम करने के तरीके की खुलकर आलोचना की है.
Translated By:
Ashutosh Kumar Singh
दुनिया से
अप्रैल 16, 2025 07:18 am IST
Published On
अप्रैल 16, 2025 07:18 am IST
Last Updated On
अप्रैल 16, 2025 07:18 am IST
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राष्ट्रपति पद से हटने के बाद बाइडेन की पहली हुंकार, ट्रंप पर कहा- “100 से कम दिनों में इतना विनाश…”
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पद से हटने के बाद पहली बार जनता के सामने आकर भाषण दिया है और उन्होंने मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके काम करने के तरीके की खुलकर आलोचना की है. बाइडेन ने शिकागो में एक सम्मेलन में कहा, “100 दिनों से भी कम समय में, इस प्रशासन ने इतना नुकसान और इतना विनाश किया है – यह आश्चर्यजनक है कि ऐसा इतनी जल्द हो सकता है.”
बाइडेन विकलांगता अधिवक्ताओं (डिसेबिलिटी एडवोकेट्स) को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने रिटायरमेंट और विकलांगता बेनिफिट्स का भुगतान करने वाली अमेरिका की राष्ट्रीय एजेंसी का जिक्र करते हुए कहा, “उन्होंने (ट्रंप सरकार) सामाजिक सुरक्षा प्रशासन के खिलाफ द्वेषपूर्ण व्यवहार किया है और 7,000 कर्मचारियों को बाहर कर दिया है.”
ब्लू सूट- टाई पहने और अमेरिकी झंडे के सामने खड़े होकर, 82 वर्षीय डेमोक्रेट बाइडेन ने लगभग आधे घंटे तक बात की, जिसमें कई बार बढ़ती उम्र के लक्षण दिखाई दिए. इसी वजह से वो इसबार का चुनाव नहीं लड़ पाए थे. टेलीप्रॉम्प्टर से पढ़ते समय वह कुछ वाक्यों में लड़खड़ा गए. राष्ट्रपति ट्रंप ने, बाइडेन पर कटाक्ष करते हुए, सोशल मीडिया पर बिना किसी कमेंट के इसका एक छोटा वीडियो पोस्ट किया.
सामाजिक सुरक्षा बाइडेन का पसंदीदा विषय है. इसपर बात करके वो ट्रंप उनके उग्र बदलाव के प्रयासों की आलोचना कर रहे हैं. उन्होंने एजेंसी में कर्मचारियों की छंटनी की बात की. कहा कि सामाजिक सुरक्षा की “वेबसाइट क्रैश हो रही है” और रिटायर्ड लोगों को उनके लाभ प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न हो रही है. गौरतलब है कि ट्रंप और उनके अरबपति पार्टनर एलन मस्क ने अपने “सरकारी दक्षता विभाग” के साथ खर्च कटौती के लिए सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल रहे हैं.
बाइडेन ने कहा, “कई अमेरिकी सचमुच भोजन खरीदने के लिए सामाजिक सुरक्षा पर भरोसा करते हैं,” और “इन लाभार्थियों में से कई के लिए यह उनकी एकमात्र आय है. अगर इसमें कटौती की गई या छीन ली गई, तो यह लाखों लोगों के लिए विनाशकारी होगा.”
विदेश
US टैरिफ के खिलाफ साथ आए ये दो देश! एक दूसरे की मदद करने पर हुए राजी, ट्रंप को सीधे ललकारा!

दक्षिण कोरिया और वियतनाम ने हाल ही में अमेरिका की ओर से प्रस्तावित टैरिफ के खिलाफ मिलकर एक-दूसरे की मदद करने की सहमति दी है. यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नई नीति के तहत दक्षिण कोरिया पर 25 और वियतनाम पर 46 प्रतिशत तक के टैरिफ लगाने की तैयारी में हैं.
Yonhap News Agency की रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री चो ताए-युल ने वियतनाम की राजधानी हनोई में वियतनामी उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री बुई थान सोन से मुलाकात की. इस द्विपक्षीय बातचीत में दोनों देशों ने स्पष्ट किया कि वे टैरिफ के संभावित प्रभाव को कम करने के लिए जरूरी काम करेंगे और साथ ही अपने रणनीतिक सहयोग को भी बढ़ावा देंगे.
साउथ कोरिया का वियतनाम में बड़े पैमाने पर निवेश
दक्षिण कोरियाई कंपनियों ने वियतनाम में बड़े पैमाने पर निवेश किया हुआ है. विशेष रूप से सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स, जो अपने लगभग आधे स्मार्टफोन वियतनाम में ही बनाती है, जो अमेरिकी टैरिफ से सीधा प्रभावित हो सकती है. इसके चलते दोनों देशों के बीच की बातचीत सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं, बल्कि कूटनीति, सुरक्षा, ऊर्जा, निवेश और बुनियादी ढांचे तक फैली हुई है.
वियतनाम सरकार से आग्रह
दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री चो ताए-युल ने वियतनाम सरकार से आग्रह किया. उन्होंने कहा कि वह वहां काम कर रही दक्षिण कोरियाई कंपनियों की स्टे परमिट, नियामक स्वीकृति और अन्य प्रशासनिक अड़चनों को दूर करने में मदद करें. इस समय वियतनाम में करीब 10,000 दक्षिण कोरियाई कंपनियां एक्टिव हैं, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं.
वियतनाम ने दिया आश्वासन
वियतनाम की ओर से बुई थान सोन ने आश्वासन दिया कि दक्षिण कोरियाई कंपनियां उनकी सरकार के लिए प्राथमिकता हैं. उनकी सरकार इन कंपनियों के लिए बिजनेस वातावरण को अधिक सहयोगपूर्ण बनाने का प्रयास कर रही है. इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि वियतनाम सरकार कोरियाई नागरिकों की सुरक्षा को लेकर भी पूरी तरह गंभीर है, खासकर उन लोगों की, जो वियतनाम की यात्रा कर रहे हैं या वहां रह रहे हैं.
P4G शिखर सम्मेलन में लिया भाग
इस द्विपक्षीय यात्रा के दौरान चो ने कोरियाई समुदाय और व्यापारिक प्रतिनिधियों से व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात कर उनकी चिंताओं को सुना और विभिन्न व्यावसायिक मुद्दों पर चर्चा की. उनका यह दौरा केवल व्यापारिक उद्देश्यों तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर समाधान खोजने के लिए आयोजित P4G (Green Growth and Global Goals) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए भी वियतनाम की यात्रा की थी.
विदेश
भारत प्रत्यर्पित होगा मेहुल चोकसी? बेल्जियम में हुआ गिरफ्तार, 13850 करोड़ के बैंक घोटाले का आरोपी
पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले के मुख्य आरोपी और भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को बेल्जियम में गिरफ्तार किया गया है. उसे 12 अप्रैल को बेल्जियम के एक अस्पताल से अरेस्ट किया गया था. कहा जा रहा है कि भारतीय जांच एजेंसियों के अनुरोध पर चोकसी की गिरफ्तारी हुई है.
ईडी और सीबीआई ने जब से चोकसी के प्रत्यर्पण की कोशिश शुरू की है, वह उसके कुछ दिन बाद से ही अस्पताल में इलाज करवा रहा था. सूत्रों के मुताबिक, चोकसी को भारत लाने की कोशिश की जाएगी. हालांकि, चोकसी अभी बेल्जियम की अदलात में कानूनी दांव पेंच का इस्तेमाल कर सकता है इसलिए कानूनी लड़ाई में कुछ वक्त लगेगा.
सितंबर 2024 में चोकसी के प्रत्यर्पण के लिए बेल्जियम से अनुरोध किया गया था. लेकिन उस समय चोकसी के वकीलों ने कहा था कि उनके मुवक्किल की तबीयत ठीक नहीं है और वह ब्लड कैंसर से जूझ रहा है इसलिए उसका प्रत्यर्पण नहीं हो सकता. इसके बाद ईडी के अधिकारियों ने कोर्ट को बताया था कि अगर वह इलाज के लिए एंटीगुआ से बेल्जियम जा सकता है तो वह भारत जाकर भी इलाज करा सकता है. ईडी और सीबीआई के प्रत्यर्पण अनुरोध के बाद बेल्जियम पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया.
मेहुल चोकसी करोड़ों रुपये के पीएनबी घोटाले में मुख्य आरोपी हैं. ये घोटाला 13,500 करोड़ रुपये से ज्यादा का है. चोकसी 2018 से एंटीगुआ में रह रहा है. ED ने चोकसी के खिलाफ तीन चार्जशीट दाखिल की हैं. 2019 में ED ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया था कि चोकसी ‘भगोड़ा और फरार’ है.
2018 में पीएनबी घोटाला साने आने के बाद चोकसी भारत छोड़कर फरार हो गया था. चोकसी का भतीजा नीरव मोदी भी इस घोटाले में आरोपी है और लंदन में प्रत्यर्पण कार्यवाही का सामना कर रहा है.
चोकसी की मई 2021 में एंटिगुआ से लापता होने की खबरें भी सामने आई थीं, लेकिन बाद में उसके डोमिनिका में होने की खबर आई थी. सीबीआई ने इंटरपोल से मेहुल चोकसी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की अपील की थी. इसके बाद 2018 में इंटरपोल ने चोकसी के खिलाफ रेड नोटिस जारी किया था. रेड नोटिस हटाने के लिए चोकसी की ओर से इंटरपोल में याचिका दायर हुई थी. इसमें उसने दावा किया था कि 2021 में भारतीय जांच एजेंसियों उसका ‘अपहरण’ कर लिया था और डोमिनिका ले गए थे. इसी वजह से इंटरपोल ने उसके खिलाफ रेड नोटिस को हटाने का फैसला लिया है.
ईडी ने 2018 में चोकसी की 1,217 करोड़ रुपये की 41 अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया था. कुर्क की गई संपत्तियों में मुंबई के एक पॉश इलाके में उसके दो फ्लैट, कोलकाता में एक मॉल, मुंबई-गोवा हाईवे पर 27 एकड़ जमीन, तमिलनाडु में 101 एकड़ जमीन, नासिक, नागपुर, आंध्र प्रदेश में जमीनें, ऑलबाग में दो बंगले और सूरत में कार्यालय शामिल हैं.
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