विदेश
अस्वास्थ्यकर भोजन से हो सकता है डेडली डाइजेस्टिव कैंसर का खतरा : शोध
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कैनबरा, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। एक ऑस्ट्रेलियाई शोध में यह बात सामने आई है कि भोजन के गलत विकल्पों के कारण डेडली डाइजेस्टिव कैंसर का खतरा हो सकता है।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार,ऑस्ट्रेलिया के फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने दो नए अध्ययनों में बताया है कि फलों, सब्जियों, साबुत अनाज, मछली, फलियां और डेयरी उत्पादों के अधिक सेवन से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) कैंसर के जोखिम से बचाव हो सकता है।
50 वर्ष से कम आयु के लोगों में आंत्र कैंसर के मामलों की बढ़ती दर के बीच, शोधकर्ताओं ने लोगों से फाइबर का सेवन बढ़ाने और अपनी खाने की आदतों में सुधार करने को कहा है।
फ्लिंडर्स हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफएचएमआरआई) के शोध के वरिष्ठ लेखक योहानेस मेलाकू ने एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा, “हमने पाया कि स्वस्थ वसा और सब्जियों से भरपूर आहार और चीनी और शराब का सेवन सीमित करने से बाउल (आंत्र) और अन्य कैंसर के जोखिम को कम किया जा सकता है।”
आगे कहा, “अस्वास्थ्यकर आहार पैटर्न, जिसमें लाल और प्रसंस्कृत मांस, फास्ट फूड, परिष्कृत अनाज, शराब और शर्करा युक्त पेय पदार्थों का अधिक सेवन शामिल है, जीआई कैंसर के बढ़ते जोखिम के साथ एक चिंताजनक संबंध प्रस्तुत करता है।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बाउल (आंत), कोलोन (बड़ी आंत), स्टमक (पेट) पैंक्रियास के कैंसर सहित डाइजेस्टिव कैंसर वैश्विक कैंसर की घटनाओं के बोझ का 26 प्रतिशत और सभी कैंसर से संबंधित मौतों का 35 प्रतिशत है।
नए शोध में पाया गया कि उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ स्वस्थ आंत बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं, जो सूजन को कम कर सकते हैं। इसमें पाया गया कि स्वस्थ आहार लेने वाले लोगों में जीआई कैंसर विकसित होने पर अस्वस्थ आहार लेने वालों की तुलना में बेहतर परिणाम मिलते हैं।
मेलाकू ने कहा कि निष्कर्ष बताते हैं कि स्वस्थ खाने के विकल्प चुनना दीर्घकालिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए एक अच्छा कदम हो सकता है।
–आईएएनएस
एमकेएस/सीबीटी
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UP समेत 12 राज्यों में आज से SIR अभियान शुरू, घर-घर आकर BLO फार्म भरवाएंगे
गाजियाबाद। करंट क्राइम। 12 राज्यों में आज से विशेष गहन पुनरीक्षण यानि एसआईआर अभियान शुरू हो रहा है। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश भी शामिल है। चुनाव आयोग ने 2026 और 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए देश के 12 राज्यों में एसआईआर अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है।
वहीं, पश्चिम बंगाल की सत्ता में काबिज तृणमूल कांग्रेस ने इस अभियान का विरोध किया है। राज्य की मुख्यमंत्री और टीएमसी की प्रमुख ममता बनर्जी ने आज दोपहर को एसआईआर के विरोध में एक मार्च निकालने का फैसला किया है।
इस अभियान के तहत बीएलओ घर-घर जाकर मतदाताओं से गणना फॉर्म भरवाएंगे। यह प्रक्रिया 7 फरवरी 2026 को समाप्त होगी। उत्तर प्रदेश में अभियान में 51 करोड़ मतदाताओं को कवर किया जाएगा। फॉर्म में व्यक्तिगत जानकारी, पता, फोटो आदि भरनी होगी।
बिहार के बाद यह एसआईआर का दूसरा बड़ा चरण है, जहां सुप्रीम कोर्ट में भी इसकी वैधता पर सुनवाई चल रही है। चुनाव आयोग के अनुसार, यह अभियान लगभग 51 करोड़ मतदाताओं को कवर करेगा, जिसमें उत्तर प्रदेश के करीब 15 करोड़ मतदाता शामिल हैं। इसके तहत बीएलओ हर घर में कम से कम तीन बार जाएंगे, ताकि कोई मतदाता छूट न जाए।
यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिनवा ने बताया कि 28 अक्टूबर से 3 नवंबर तक निर्वाचन रिटर्निंग अधिकारी ने मौजूदा मतदाताओं के लिए पूर्व-भरे हुए गणना फॉर्म छापे हैं, जो बीएलओ आज से वितरित करेंगे।
एसआईआर का यह चरण चार मुख्य स्टेज में होगा. जिसके तहत बीएलओ हर मतदान केंद्र के लगभग 1,000 मतदाताओं के घर जाएंगे। वे पूर्व-भरा हुआ फॉर्म देंगे, जिसमें नाम, फोन नंबर, पता, विधानसभा क्षेत्र, पार्ट नंबर, सीरियल नंबर और मौजूदा फोटो पहले से अंकित होगा। यदि बीएलओ न आएं, तो मतदाता 1950 हेल्पलाइन पर संपर्क कर अपना फॉर्म मंगवा सकते हैं। सभी फॉर्म जमा होने के बाद ईआरओ और सहायक ईआरओ सत्यापन करेंगे। ड्राफ्ट सूची में केवल वे नाम शामिल होंगे, जिन्होंने फॉर्म भरा। जिनका नाम न हो, उनके लिए पंचायत भवन या स्थानीय निकाय कार्यालय पर सूची चस्पा की जाएगी, जिसमें नाम न आने का कारण भी बताया जाएगा। मतदाता फॉर्म 7 (नाम हटाने), फॉर्म 8 (सुधार) या फॉर्म 6 (नया पंजीकरण) भरकर आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। शहरी और प्रवासी मतदाता ऑनलाइन पोर्टल के जरिए भी आवेदन कर सकेंगे. राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट प्रतिदिन 50 फॉर्म तक को जमा कर सकेंगे। सभी दावों-आपत्तियों के निपटारे के बाद फाइनल सूची जारी होगी, जो 2027 के यूपी विधानसभा चुनावों का आधार बनेगी।
उत्तर प्रदेश
जूना अखाडे के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद फिर गरजे, कहा- हिम्मत है तो इस्लाम पर चर्चा करके देखे
गाजियाबाद। करंट क्राइम। जूना अखाडे के महामंडलेश्वर और डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद ने एक बार फिर से मौलानाओं को उनके साथ इस्लाम पर चर्चा करने की चुनौती दी है। यति ने कहा कि वे फरवरी में देवबंद में धर्म संसद का आयोजन करने जा रहे हैं, अगर मौलाना और मौलवी उनसे इस्लाम पर शास्त्रार्थ करना चाहते हैं तो वहां आ जाए।
उन्होंने कहा कि इस्लामिक जिहाद और तालिबान को लेकर फरवरी में देवबंद में धर्म संसद का आयोजन किया जाएगा। 6 और 7 सितंबर 2013 को देवबंद में ही पहली धर्म संसद हुई थी। तब भी मौलाना और मौलवियों को आमंत्रित किया गया था लेकिन उनके साथ चर्चा के लिए कोई नहीं आया।
यति नरसिंहानंद देवबंद में महाकालेश्वर ज्ञान मंदिर पहुंचे जहां उन्होंने ब्रह्मलीन स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती महाराज की समाधि पर धर्म संसद का संकल्प लिया।
यति ने कहा कि ब्रह्मानंद सरस्वती महाराज के आदेश पर कठोर जनसंख्या नियंत्रण कानून बनवाने और इस्लामिक जिहाद पर सरकार से श्वेत पत्र मांगा था। जिसके लिए उन्हें जेल जाना पड़ा था। उनके समर्थन में पूरे सहारनपुर का नौजवान उमड़ पड़ा था। आज ये मुद्दे तो कहीं खो गए है।
उन्होंने कहा कि उन्हें बार बार प्रताड़ित और अपमानित किया जा रहा है परंतु वो अपने गुरु के द्वारा दी गई लड़ाई से बाल बराबर भी पीछे नहीं हट रहे हैं।
यति ने कहा कि यह धर्म संसद दारुल उलूम देवबंद और तालिबान के बढ़ते हुए प्रभाव का संपूर्ण मानवता और हिंदू समाज पर होने वाले प्रभाव पर चिंतन करेगी। यह धर्म संसद इस विषय में भी चिंतन करेगी कि इस्लामिक गुलामी आने पर हमारा भविष्य कैसा होगा और इस्लामिक भारत का संपूर्ण विश्व और मानवता पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
