अरुणाचल प्रदेश
गाजियाबाद में भटकती मां को पुलिस ने मदद देकर बच्चे का अंतिम संस्कार कराया, इंसानियत की मिसाल पेश की।

गाजियाबाद: मां की बेबसी और पुलिस की संवेदनशीलता ने दिल को छुआ
गाजियाबाद से एक भावुक कर देने वाली घटना सामने आई है, जिसने हर किसी का दिल दहला दिया। एक मां अपने बच्चे का शव गोद में लिए कई दिनों तक भटकती रही, न्याय और अंतिम संस्कार के लिए मदद मांगती रही। हालांकि, शुरुआती उपेक्षा और असमर्थता के बाद, स्थानीय पुलिस ने संवेदनशीलता दिखाते हुए इस मुश्किल घड़ी में उसकी मदद की और मामले का समाधान किया।
घटना की शुरुआत
यह घटना गाजियाबाद के एक गरीब परिवार से जुड़ी है। महिला का मासूम बच्चा, जिसकी उम्र महज कुछ महीने थी, किसी बीमारी के कारण गुजर गया। आर्थिक तंगी और सामाजिक उपेक्षा के कारण वह न तो बच्चे का अंतिम संस्कार कर पा रही थी और न ही उसे किसी तरह का न्याय मिल रहा था। इस बेबसी में वह कई दिनों तक अपने बच्चे का शव गोद में लेकर इधर-उधर भटकती रही।
समाज की उपेक्षा
मां का दर्द और उसकी हालत देखकर भी लोग उसकी मदद करने से कतराते रहे। आसपास के लोग और कुछ संगठनों ने उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया। महिला ने अपनी तकलीफ को कई जगहों पर व्यक्त किया, लेकिन उसे किसी तरह की सहायता नहीं मिली।
पुलिस का मानवीय चेहरा
मामला पुलिस के संज्ञान में आने के बाद, गाजियाबाद पुलिस ने न केवल संवेदनशीलता दिखाई बल्कि तुरंत कार्रवाई भी की। पुलिस ने पहले महिला की स्थिति समझी और फिर सामाजिक संगठनों और स्थानीय लोगों की मदद से बच्चे का सम्मानजनक अंतिम संस्कार कराया। साथ ही, महिला की वित्तीय और भावनात्मक स्थिति को ध्यान में रखते हुए उसकी सहायता के लिए कदम उठाए।
पुलिस के प्रयासों की सराहना
इस घटना के बाद गाजियाबाद पुलिस की संवेदनशीलता और त्वरित कार्रवाई की काफी सराहना हो रही है। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि इस तरह की घटनाएं उन्हें समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी का एहसास दिलाती हैं।
निष्कर्ष
यह घटना समाज के लिए एक संदेश है कि आर्थिक रूप से कमजोर और हाशिए पर खड़े लोगों की मदद करना सभी की जिम्मेदारी है। गाजियाबाद पुलिस ने अपनी संवेदनशीलता और कर्तव्यनिष्ठा से दिखा दिया कि मानवता अब भी जिंदा है। यह घटना समाज को एकजुट होकर कमजोर तबके की मदद करने की प्रेरणा देती है।
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भारी बारिश के चलते गंगाजल के स्तर में भारी बढ़ोत्तरी

हापुङ । करंट क्राइम। तेज बारिश के कारण हापुड़ में गंगाजल का स्टार लगातार बढ़ रहा है। गढ़ कोतवाली क्षेत्र में गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। प्रशासन की ओर से लोगों को सचेत कर दिया गया है।
पुलिस एवं एनडीआरएफ के जवान लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। इस बीच खाली नाव में पानी भर जाने के कारण नाव गंगा में डूब गई। भारी मशक्कत के बाद नाव को बाहर निकला गया।
Lucknow
VIDEO BEARKING – BJP वाले खंबा लगाकर बोलेंगे, यह सडक हमने बनाई हैः अखिलेश

कन्नौज। करंट क्राइम समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को भाजपा, केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि दिल्ली के 11 साल, उत्तर प्रदेश के लगभग 9 साल को मिलाकर 20 साल की उपलब्धि को भाजपा को बताना चाहिए। सब समाजवादियों ने किया है। सड़के हमने बनाई पुल हमने बनाया। ये लोग तो सड़क के छोटे हिस्से पर खंबा लगा देंगे और कहेंगे कि हमने सड़क बनाया बनाई अखिलेश यादव ने शनिवार को कन्नौज में छोटे सिंह यादव की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया उन इस मौके पर उन्होंने कहा कि जो घटना अहमदाबाद में हुई है वह बहुत दुखद है हम लोग यही प्रार्थना कर सकते हैं कि इस तरह की घटनाएं दोबारा ना हो उन्होंने कहा कि छोटे सिंह यादव का कन्नौज के विकास में बड़ा योगदान है उनकी कमी हमेशा रहेगी जो रास्ता उन्होंने देखा है उसी रास्ते पर चलकर समाजवादी विरासत को आगे बढ़ने का काम करेंगे
अरुणाचल प्रदेश
लकी नंबर बना विजय रुपाणी के लिए अनलकी, 1206 को काफी लकी मानते थे, उसी दिन हुई मौत


अहमदाबाद। करंट क्राइम। अहमदाबाद से लंदन जा रहे बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी की भी मौत हो गई है। इसे महज संयोग कहिए या कुछ भाजपा नेता विजय रुपाणी का 1206 से विशेष लगाव रहा है। वे इस नंबर को बहुत ज्यादा पसंद करते हैं। गौर फरमाइए, उनकी मौत भी इसी नंबर के दिन पर हुई है।
पुराने स्कूटर से लेकर पहली कार तक एक नंबर…1206 को लकी मानते थे विजय रुपाणी।
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी अपनी पत्नी अंजलि और बेटी से मिलने लंदन जा रहे थे। वहीं अब विजय रुपाणी के निधन की तारीख को लेकर एक हैरान कर देने वाल संयोग सामने आया है।

दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री के जीवन में एक नंबर था, जो सिर्फ एक अंक नहीं बल्कि उनके लिए भरोसे का प्रतीक था। यह नंबर था 1206, जिसे वो अपने लिए लकी समझते थे। इस नंबर को विजय रुपाणी इतना लकी मानते थे कि स्कूटर से लेकर कार तक उनकी सभी गाड़ियों का नंबर भी शुरुआत से इसी नंबर 1206 से ही होती रही। लेकिन यही संख्या उनके लिए ऐसी अशुभ हुई कि उनकी जान तक चली गई।
पूर्व मुख्यमंत्री रुपाणी के लिए 12 जून यानी 12-06 को उनका सबसे भरोसे वाला नंबर 1206 उनके लिए ही नहीं बल्कि उनके परिवार के लिए भी अनलकी साबित हो गया। विजय रुपाणी का स्कूटर से लेकर पहली कार का नंबर 1206 ही था। यह कार और स्कूटर आज भी उनके घर की पार्किंग में मौजूद हैं। लेकिन, संयोग ही है कि 12-06 ही उनके जीवन की अंतिम तारीख बन गई।
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