दर्जनों मजदूर मलबे में दबकर घायल, मृतक आश्रितों को 4-4 लाख मुआवजे का ऐलान
मोदीनगर (करंट क्राइम)। गाजियाबाद के बरखवां गांव में रविवार को एक पटाखा फैक्ट्री में धमाका हो गया। इस विस्फोट में 7 लोगों की मौत हो गई। 4 लोग गंभीर रुप से घायल हुए। इस हादसे के बाद घटना स्थल का मंजर देखकर हर किसी का दिल दहल गया। मौके पर अधजले शव पड़े थे, चेहरे पहचान में नहीं आ रहे थे। मौके पर मौजूद लोग इन अधजले शवों को देखने की हिम्मत तक नहीं जुटा पा रहे थे। लोगों ने किसी तरह शवों के ऊपर कपड़ा डाल कर उन्हें ढंका।
मदद का मौका नहीं मिला, जिंदा जला बच्चा और छह महिलाएं
जिले के मोदीनगर थाना क्षेत्र के बरखवां गांव में एक अवैध रूप से संचालित फैक्ट्री में रविवार को जब धमाका हुआ तो लोग दहशत में आ गए। इसी दौरान उस स्थान पर चीखपुकार मच गई जहां फैक्ट्री में धमाका हुआ। आग की लपटें देख और उसमें से आती चीखपुकार की आवाज सुनकर ग्रामीण आग में फंसे लोगों को बचाने के लिए मौके पर दौड़ पड़े। लेकिन जब तक आग में फंसे लोगों को कुछ मदद मिलती तब तक एक बच्चा और छह महिलाएं आग में जिंदा जल गईं।
शवों पर चिपके कपड़ों से हुई शिनाख्त
मौके पर स्ट्रेचर नहीं था। ग्रामीण घायलों को चारपाई पर डालकर ही इलाज के लिए ले जाने के लिए दौड़ पड़े। गांव में घटना स्थल के पास जिन लोगों के प्राइवेट वाहन थे, उनसे भी घायलों को इलाज के लिए अस्पताल तक पहुंचाया। घायलों की हालत भी देखी नहीं जा रही थी। ग्रामीणों का कहना है कि कुछ घायलों की हालत इतनी नाजुक थी कि उनसे बोला भी नहीं जा रहा था। जो मजदूर हादसे के दौरान आग में जिंदा जलकर मर गए उनमें से कुछ के शरीर पर मांस के कुछ ही हिस्से नजर आ रहे थे, मृतकों में से किसी का चेहरा पहचाना नहीं जा रहा था। मृतकों के परिजन शरीर पर चिपके कपड़े के कुछ हिस्से और उनके द्वारा पहने गए सामान को देखकर पहचान करने की कोशिश कर रहे थे।
पुलिस की मिलीभगत से चल रहा था अवैध कारोबार
ग्रामीणों का कहना है कि पहले एक धमाके की आवाज हुई। इससे पहले की कोई कुछ समझता एक के बाद एक धमाका होने लगा। अंदर काम कर रहे लोगों ने जान बचाकर भागने का प्रयास किया। लेकिन वो आग में घिर गए, उन्होंने बचने के लिए चीखपुकार भी मचायी। लेकिन जब तक उनके पास कोई मदद पहुंची, उनमें से सात की मौके पर ही जिंदा जलकर मौत हो गई। ग्रामीणों का आरोप है कि यह फैक्ट्री अवैध रूप से आवासीय क्षेत्र में करीब पांच साल से चल रही है। इसकी पूरी सूचना पुलिस को है। लेकिन कोई कार्रवाई इसको बंद कराने के लिए नहीं की गई।
अवैध तरीके से चल रहा था, मौत का कारोबार
मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने बताया कि कहने को यह मोमबत्ती बनाने की फैक्ट्री थी। लेकिन यहां अवैध रूप से पटाखे तैयार किए जाते थे। ग्रामीणों ने फैक्ट्री के अंदर मिले बारूद से बने पटाखों को भी दिखाया और कहा कि अब आप ही बताओं क्या ये बारूद नहीं है? ग्रामीणों का कहना है कि रविवार को भी फैक्ट्री में काम चल रहा था। फैक्ट्री के अंदर 30 से अधिक लोगों के काम करने की जानकारी ग्रामीणों ने दी।
मृतकों के नाम
शाहीनूर, पुत्री शहाबू, लक्ष्मी पुत्री नरेश, बेबी पत्नी नरेश कश्यप, जागों पत्नी अजब सिंह, चिकी पुत्री परमानन्द, रोहित पुत्र राजवीर, पूनम पत्नी पप्पू, मुनेश पत्नी राधे।
घायलों के नाम
मीनाक्षी पत्नी सुंदर, विमला पत्नी संजय, मुन्नी पत्नी लल्लू, राजवती पत्नी पप्पू, गीता पत्नी प्रवीन।
बखरवा गांव की घटना को लेकर मुख्यमंत्री ने मांगी रिपोर्ट
गाजियाबाद। मोदीनगर थाना क्षेत्र के बखरवा गांव में रविवार का दिन ब्लैक संडे रहा। गांव में चलने वाली एक पटाखा फैक्ट्री में अचानक धमाका हुआ और इसके बाद यह बिल्डिंग ध्वस्त हो गयी। सात महिलायें और एक बच्चे की मौत हो गयी। इस घटना के बाद तत्काल ही पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे। बचाव कार्य शुरू हुआ। मामले की गूंज लखनऊ मुख्यमंत्री तक पहुंची और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पूरी घटना पर संज्ञान लिया है। मुख्यमंत्री ने गाजियाबाद के बखरवा गांव में मोमबत्ती के कारखाने में आग लगने की घटना में लोगों की मृत्यु पर दुख व्यक्त किया और मृतकों के शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की। जिलाधिकारी और एसएसपी को मौके पर पहुंचकर घटना में घायलों को तत्काल राहत पहुंचाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने इस मामले में रिपोर्ट तलब कर ली है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि या तो लखनऊ में सही जानकारी नहीं दी गयी है या फिर बात रास्ते में ही घूम गयी है। क्योंकि मोदीनगर के बखरवा गांव में जो हादसा हुआ है वहां पटाखे बनाने का काम चल रहा था और यहां धमाके के बाद बिल्डिंग ध्वस्त हुई। यह तो सामान्य व्यक्ति भी समझ सकता है कि मोमबत्ती के कारखाने में धमाका नहीं होता है। लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय से जो पत्र जारी हुआ उसमें बताया गया कि मुख्यमंत्री ने गाजियाबाद के बखरवा गांव में मोमबत्ती के कारखाने में आग लगने की घटना में लोगों की मृत्यु पर दुख व्यक्त किया है। जबकि घटना स्थल पर ना तो कोई मोमबत्ती का कारखाना था और ना ही यहां आग लगी है। आखिर किस स्तर पर जानकारी देने में चूक हुई है। यह तो सूचना देने वाले और पत्र लिखने वाले जानते होंगे लेकिन एक बात है कि मुख्यमंत्री ने इस मामले में तत्काल एक्शन लेते हुए अधिकारियों को मौके पर पहुंचकर राहत पहुंंचाने के निर्देश दिए। अब ये देखना है कि जो पटाखा फैक्ट्री लखनऊ तक पहुंचते-पहुंचते मोमबत्ती फैक्ट्री बन गयी, उस मामले की रिपोर्ट गाजियाबाद से चलकर लखनऊ तक पहुंचते-पहुंचते क्या बनती है।