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पूजा स्थल अधिनियम पर जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने की मांग

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नई दिल्ली – उत्तर प्रदेश के मथुरा की शाही मस्जिद समिति ने केंद्र सरकार पर पूजा स्थल अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जानबूझकर जवाब नहीं देने का आरोप लगाते हुए एक याचिका दायर की है। उन्होंने उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया है कि केंद्र के इस अधिकार पर रोक लगाई जाए।

दिल्ली को पेरिस बनाने की बात करने वाले केजरीवाल ने अपने निवास को ही पेरिस में तब्दील कर दिया: सैनी।

याचिका में कहा गया है कि चूंकि केंद्र सरकार को कई बार मौके दिए जाने के बाद भी वह अपना जवाब दाखिल करने में नाकाम रही है, इसलिए समिति ने अदालत से आग्रह किया है कि वह याचिकाओं पर केंद्र के उत्तर देने के अधिकार को रोकने का निर्देश जारी करे, ताकि मामले में आगे की कार्यवाही हो सके।

नोएडा मीडिया क्लब के अध्यक्ष समेत तीन मीडियाकर्मियों को गिरफ्तार किया गया है, रवि काना के नाम पर पैसे उगाही का आरोप है।

याचिका में कहा गया है, “भारत सरकार जानबूझकर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं कर रही है, जिससे मौजूदा रिट याचिका और संबंधित याचिकाओं की सुनवाई में देरी हो रही है। इससे पूजा स्थल कानून को चुनौती देने वालों को बाधा का सामना करना पड़ रहा है।”

नोएडा मीडिया क्लब के अध्यक्ष पंकज पाराशर की गिरफ्तारी पर पत्रकारों ने अपना रोष व्यक्त किया है, और योगी आदित्यनाथ को ज्ञापन भेजा है।

समिति ने 9 सितंबर, 2022 को एक आवेदन के माध्यम से बताया कि इस अदालत ने कहा था कि 1991 के अधिनियम के खिलाफ रिट याचिका में नोटिस 12 मार्च, 2021 को जारी किया गया था, लेकिन केंद्र ने अपना जवाब या हलफनामा दाखिल नहीं किया।

समिति ने अदालत को सूचित किया कि 12 दिसंबर, 2024 को इसी अदालत ने केंद्र को अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया था, लेकिन केंद्र इस पर अमल करने में असफल रहा।

मुजफ्फरनगर में सुजूकी एजेंसी और राज डुप्लेक्स पर जीएसटी टीम का छापा पड़ा, जहां भारी गड़बड़ी मिली।

समिति ने कहा कि चूंकि शीर्ष न्यायालय ने मौजूदा रिट याचिका और संबंधित याचिकाओं की सुनवाई की तारीख 17 फरवरी तय की है, इसलिए न्याय के हित में होगा कि केंद्र का जवाब या हलफनामा दाखिल करने का अधिकार समाप्त कर दिया जाए।

उच्चतम न्यायालय ने 12 दिसंबर, 2024 को 1991 के कानून के खिलाफ कई याचिकाओं पर कार्रवाई करते हुए सभी अदालतों को नए मुकदमों पर विचार करने और धार्मिक स्थलों को पुनः प्राप्त करने की मांग वाले लंबित मामलों में किसी भी अंतरिम या अंतिम आदेश पारित करने पर रोक लगा दी थी।

मुजफ्फरनगर में सार्वजनिक मार्ग को बंद करने पर हिंदू संगठनों का हंगामा हुआ, जिसके बाद अधिकारी मौके पर जांच करने पहुंचे।

शीर्ष अदालत ने 1991 के इस कानून के कार्यान्वयन के लिए गैर सरकारी संगठनों द्वारा दायर याचिकाओं पर यह आदेश पारित किया कि उन्हें मान्यता दी जाए।

अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर मुख्य याचिका समेत कई याचिकाओं में पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी गई है।

यह 1991 का कानून किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक स्वरूप को 15 अगस्त, 1947 को मौजूद रहने की स्थिति में रखने का प्रावधान करता है।

दिल्ली

पूरा भारत आपका आभारी रहेगाः पीएम मोदी

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अचानक एयरबेस पहुंचकर सेना के जवानों से मिले पीएम

नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर पर राष्ट्र को संबोधित करने के बाद पीएम मोदी आज सुबह आदमपुर एयरबेस पहुंचे। वहां उन्होंने वायुसेना के जवानों से मुलाकात की और उनका हौसला बढ़ाया। पीएम मोदी ने जवानों से बातचीत की जिन्होंने उन्हें जानकारी दी। बहादुर जवानों से मिलकर पीएम मोदी खुश दिखे और उनका जोश बढ़ाया।
जवानों का बढ़ाया जोश इस बीच पीएम मोदी सेना के जवानों से बातचीत भी करते दिखे। जवानों ने उन्हें जानकारी दी और वो बहादुर जवानों से बातचीत करते हुए खुश दिखे। पीएम का यह दौरा पूरी तरह से गोपनीय रखा गया था और इसकी किसी को पूर्व सूचना नहीं थी।

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हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के लिए मुर्शिदाबाद जाएंगी CM ममता

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि वह मई के पहले सप्ताह में हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले का दौरा करेंगी. एक सरकारी कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि मैं मई के पहले सप्ताह में मुर्शिदाबाद के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करूंगी. वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में मुर्शिदाबाद में हिंसा भड़क उठी, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग अपने घरों से भाग गए.

बाद में यह विरोध प्रदर्शन मालदा, दक्षिण 24 परगना और हुगली सहित कई अन्य जिलों में फैल गया. यहां आगजनी, पथराव और सड़क जाम की खबरें आईं. पिछले हफ्ते, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने ममता के न जाने के अनुरोध को नज़रअंदाज़ करते हुए मुर्शिदाबाद का दौरा किया था.

पीड़ित चाहते हैं सुरक्षा
आनंद बोस ने शनिवार को मुर्शिदाबाद का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि पीड़ित सुरक्षा की भावना चाहते हैं और उन्होंने केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के समक्ष अपनी चिंताओं को उठाने का वादा किया. आनंद बोस ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि वे सुरक्षा की भावना चाहते हैं और निश्चित रूप से कुछ अन्य मांगें और सुझाव भी हैं.

उन्होंने कहा कि इन सभी पर विचार किया जाएगा. हम उनके संपर्क में रहेंगे. निश्चित रूप से, बहुत प्रभावी सक्रिय कदम उठाए जाएंगे. मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर विपक्ष ने ममता पर निशाना साधा है. इस बीच, मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर राजनीति शुरू हो गई है, विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर तीखे हमले किए हैं और सत्ता में आने पर कार्रवाई करने की कसम खाई है.

जनता को गुमराह कर रही हैं
बीजेपी ने ममता की है सुवेंदु अधिकारी ने हिंसा के पीछे लोगों के खिलाफ बुलडोजर से न्याय की धमकी दी है. उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद से हिंदुओं को खदेड़ा जा रहा है और उनसे एकजुट होने की अपील की गई है. बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ममता बनर्जी की स्थिति को गलत तरीके से संभालने के लिए दोषी ठहराया और उन पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि पुलिस रिपोर्ट उनके इस दावे का खंडन करती है कि बाहरी लोग जिम्मेदार थे.

माकपा ने न्यायिक जांच की मांग की है, जिसमें भाजपा और टीएमसी दोनों पर बेरोजगारी और मुद्रास्फीति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए प्रतिस्पर्धी सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. कोलकाता में एक रैली को संबोधित करते हुए माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने दावा किया कि दोनों पार्टियां 2026 के राज्य चुनावों से पहले मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए मिलीभगत कर रही हैं. शक्ति प्रदर्शन में वामपंथी दल ने ब्रिगेड परेड मैदान में एक बड़ी रैली के साथ अपने अभियान की शुरुआत की.

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‘पांच दिन में हटाएं वीडियो…’, रामदेव के ‘शरबत जिहाद’ वाले बयान को दिल्ली हाईकोर्ट ने बताया अक्षम्य और अविश्वसनीय

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नई दिल्ली। हमदर्द के रूह अफजा के खिलाफ बाबा रामदेव की शरबत जिहाद टिप्पणी पर दिल्ली हाई कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि टिप्पणी ने अदालत की अंतरात्मा को झकझोर दिया है और यह अक्षम्य है। कोर्ट ने रामदेव के खिलाफ हमदर्द के मुकदमे की सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की है।
किसी ब्रांड या समुदाय का नाम नहीं लिया- रामदेव
हाल ही में रामदेव ने पतंजलि के गुलाब के शरबत का प्रचार करते हुए दावा किया था कि हमदर्द के रूह अफजा से अर्जित धन का उपयोग मदरसे और मस्जिद बनाने में किया जाता है। बाद में, रामदेव ने अपनी टिप्पणी का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने किसी ब्रांड या समुदाय का नाम नहीं लिया।
रामदेव के खिलाफ मुकदमा दायर
बता दें कि हमदर्द ने रामदेव के वीडियो को सोशल मीडिया से हटाने की मांग करते हुए रामदेव के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। हमदर्द की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह एक चौंकाने वाले के साथ ही सांप्रदायिक विभाजन का मामला भी है। उन्होंने कहा कि रामदेव की टिप्पणी नफरत फैलाने वाले भाषण के समान है।

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