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दिल्ली में पूर्वांचली मतदाताओं की संख्या, उनका प्रभाव और क्या अरविंद केजरीवाल के बयान से AAP को नुकसान होगा?

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नई दिल्ली। कड़ाके की सर्दी के बावजूद दिल्ली की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। केंद्र में पूर्वांचली वोटरों की मौजूदगी के कारण भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच राजनीतिक टकराव में वृद्धि हो गई है। यह विवाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के एक बयान से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने “यूपी-बिहार के नकली वोटरों” और वोटर सूची में हेरफेर के मुद्दे पर चर्चा की। भाजपा ने इसे पूर्वांचली समुदाय का अपमान करार देते हुए शुक्रवार को जोरदार प्रदर्शन किया।

 

भाजपा का प्रदर्शन और विरोध:

भाजपा ने मुख्यमंत्री केजरीवाल पर पूर्वांचली वोटरों का अपमान करने का आरोप लगाते हुए उनके बयान को राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित बताया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने केजरीवाल का विरोध करते हुए प्रदर्शन किया, जिसमें पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच पानी की बौछारें हुईं। भाजपा ने कहा कि “पूर्वांचली दिल्ली के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उनका अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”

 

पूर्वांचली वोटरों की संख्या और प्रभाव:
दिल्ली में पूर्वांचली वोटरों की राजनीतिक अहमियत किसी से छिपी नहीं है।

  • आंकड़े: दिल्ली में 25-30% वोटर पूर्वांचली हैं, जिनकी जड़ें पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार से जुड़ी हुई हैं।
  • इलाके: पूर्वी और उत्तरी दिल्ली के क्षेत्रों में इनका प्रमुख दबदबा है।
  • अहम सीटें: 70 विधानसभा सीटों में से लगभग दो दर्जन सीटों पर पूर्वांचली वोटरों का खास प्रभाव है। इनमें बुराड़ी, पटपड़गंज, उत्तम नगर, बदरपुर, लक्ष्मी नगर, मॉडल टाउन, देवली, अंबेडकर नगर, पालम और विकासपुरी जैसे क्षेत्र शामिल हैं।

 

 

पिछले चुनावों में पूर्वांचली वोटरों ने आम आदमी पार्टी को समर्थन दिया है। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में आप ने पूर्वांचली बहुल सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा और कांग्रेस पिछड़ गई थीं। भाजपा का मानना है कि यदि उन्हें इस समुदाय का समर्थन मिलता है, तो वे आगामी चुनावों में आप को चुनौती दे सकते हैं।

 

अरविंद केजरीवाल ने भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह भाजपा का ध्यान भटकाने का एक प्रयास है। आप का दावा है कि उनकी सरकार ने दिल्ली में पूर्वांचलियों के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं और इस समुदाय का विश्वास उनके साथ है।

 

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सिरकटी महिला की शिनाख्त नहीं कर पाई पुलिस, सात टीमें लगी है जांच में

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नोएडा। करंट क्राइम। नोएडा की कमिश्नरेट पुलिस अभी तक सिर कटी लाश की गुत्थी को नहीं सुलझा पाई है।
​​सेक्टर-82 स्थित पुलिस चौकी के पास नाले में एक महिला की सिर कटी लाश मिली थी। लाश मिलने के 24 घंटे बाद भी पुलिस मृतक महिला की पहचान नहीं कर पाई है। पुलिस ने आसपास की झुग्गियों में रहने वालों से पूछताछ की लेकिन शनिवार दोपहर तक किसी ने मृतक महिला की शिनाख्त नहीं की।
पुलिस का कहना है कि महिला का सिर और दोनों हथेलियां कटी होने से शिनाख्त में परेशानी हो रही है। सेक्टर-39 थाने की पुलिस ने शुक्रवार को आरोपी की तलाश में सर्च ऑपरेशन चलाकर 400 से अधिक सीटीवीवी कैमरों की फुटेज खंगाली। घटनास्थल से 3 किमी एरिया में सर्च ऑपरेशन चलाया गया। साथ ही 3 दिन में वहां से गुजरे 500 से अधिक वाहनों की जांच की लेकिन कोई सुराग नहीं लग पाया।
एडीसीपी सुमित कुमार शुक्ला ने बताया कि महिला की पहचान के लिए टीमों का गठन किया गया है। करीब सात टीमें बनाई गई है। सोशल मीडिया का भी सहारा लिया जा रहा है। महिला की पैरों की उंगलियों में बिछुआ पाया गया। ऐसे में पुलिस का मानना है कि महिला शादीशुदा है। शायद पति ने ही हत्या कर लाश फेंक दी हो। करीब 30 वर्षीय विवाहित महिला की गर्दन व हाथ काटकर निर्मम हत्या की गई। महिला का शव सेक्टर-82 कट चौकी के पास निर्वस्त्र हालत में सर्विस रोड के नाले में तैरता मिला। अभी तक कटे अंग नहीं मिले है।

शव की हालत देखकर पुलिसकर्मी भी हैरान रह गए – महिला का सिर गायब था और दोनों हथेलियां काटी गई थीं। इससे स्पष्ट है कि हत्यारे ने पहचान छिपाने के लिए यह जघन्य अपराध किया है।

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