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रोहित वेमुला मामला – सुप्रीम कोर्ट ने छह सप्ताह में शिक्षण संस्थानों में जातिगत भेदभाव के आंकड़े मांगे

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नई दिल्ली – उच्चतम न्यायालय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को आदेश दिया है कि वह देश के विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में जातिगत भेदभाव की शिकायतों का संपूर्ण डेटा एकत्रित करे और इस पर उठाए गए कदमों की जानकारी अगले छह सप्ताह के भीतर पेश करे।

न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने यह आदेश 2019 में दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया, जिसमें रोहित वेमुला और पायल तड़वी की मांओं ने जातिगत भेदभाव के कारण उनकी आत्महत्या की घटनाओं का उल्लेख किया था।

अदालत ने यूजीसी से यह भी पूछा कि कितने केंद्रीय, राज्य, डीम्ड और निजी विश्वविद्यालयों ने ‘यूजीसी (उच्च शिक्षण संस्थानों में समानता को बढ़ावा) विनियम 2012’ के तहत ‘समान अवसर सेल’ का गठन किया है और इनसे संबंधित शिकायतों पर उठाए गए कदमों की भी जानकारी मांगी गई।

याचिकाकर्ताओं ने विश्वविद्यालयों में बड़े पैमाने पर जातिगत भेदभाव के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया। पीठ ने कहा कि इस मामले को समय-समय पर सूचीबद्ध किया जाएगा, क्योंकि 2019 के बाद इसे केवल एक बार ही सूचीबद्ध किया गया था।

याचिकाकर्ता महिलाओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने अदालत से अनुरोध किया कि मामले की नियमित निगरानी की जानी चाहिए और शिकायतों से संबंधित आंकड़े उपलब्ध कराने का निर्देश दिया जाना चाहिए। इसके पश्चात पीठ ने यूजीसी के वकील से कहा कि अदालत संबंधित आंकड़े देखना चाहती है।

यूजीसी ने बताया कि 2004 से 2024 के बीच 115 छात्रों की आत्महत्या की घटनाएँ हुई हैं, जिनमें कई दलित समुदायों से जुड़े छात्र शामिल हैं।

इंदिरा जयसिंह ने सहारना दी कि इस पर यूजीसी को कार्रवाई रिपोर्ट प्रदान करने के लिए कहा जाना चाहिए। यूजीसी के वकील ने यह बताया कि वे एक नए विनियमन पर काम कर चुके हैं जो जातिगत भेदभाव के खिलाफ है।

पीठ ने यह भी कहा कि यह मामला 2019 से लंबित है और ऐसे मामलों में इतना समय नहीं लगना चाहिए।

इंदिरा जयसिंह ने यह भी कहा कि यूजीसी ने पहले एक अनुचित हलफनामा प्रस्तुत किया था, जिसमें 2023 में बैठक का आश्वासन दिया गया था।

पीठ ने यह स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं ने अपने बच्चों को खो दिया है और वह इस मुद्दे की संवेदनशीलता को समझते हैं।

अदालत ने यूजीसी को निर्देश दिया कि वह इस संवेदनशील मसले पर "कुछ सहानुभूति" दिखाए और नए नियमों को अधिसूचित करे। मामले में केंद्र और एनएएसी को भी पक्षकार बनाया गया है और उन्हें याचिकाओं पर जवाबी हलफनामा पेश करने का आदेश दिया गया है।

अंत में, याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील ने यूजीसी से यह स्पष्ट करने के लिए कहा कि क्या विश्वविद्यालय व अन्य उच्च शिक्षण संस्थान सच में 2012 के नियमों का पालन कर रहे हैं, जिस पर इंदिरा जयसिंह ने बताया कि 820 विश्वविद्यालयों में से 419 ने ‘लागू नहीं’ उत्तर दिया कि क्या उन्होंने अपने परिसरों में समान अवसर सेल का गठन किया है।

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पूरा भारत आपका आभारी रहेगाः पीएम मोदी

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अचानक एयरबेस पहुंचकर सेना के जवानों से मिले पीएम

नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर पर राष्ट्र को संबोधित करने के बाद पीएम मोदी आज सुबह आदमपुर एयरबेस पहुंचे। वहां उन्होंने वायुसेना के जवानों से मुलाकात की और उनका हौसला बढ़ाया। पीएम मोदी ने जवानों से बातचीत की जिन्होंने उन्हें जानकारी दी। बहादुर जवानों से मिलकर पीएम मोदी खुश दिखे और उनका जोश बढ़ाया।
जवानों का बढ़ाया जोश इस बीच पीएम मोदी सेना के जवानों से बातचीत भी करते दिखे। जवानों ने उन्हें जानकारी दी और वो बहादुर जवानों से बातचीत करते हुए खुश दिखे। पीएम का यह दौरा पूरी तरह से गोपनीय रखा गया था और इसकी किसी को पूर्व सूचना नहीं थी।

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हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के लिए मुर्शिदाबाद जाएंगी CM ममता

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि वह मई के पहले सप्ताह में हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले का दौरा करेंगी. एक सरकारी कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि मैं मई के पहले सप्ताह में मुर्शिदाबाद के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करूंगी. वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में मुर्शिदाबाद में हिंसा भड़क उठी, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग अपने घरों से भाग गए.

बाद में यह विरोध प्रदर्शन मालदा, दक्षिण 24 परगना और हुगली सहित कई अन्य जिलों में फैल गया. यहां आगजनी, पथराव और सड़क जाम की खबरें आईं. पिछले हफ्ते, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने ममता के न जाने के अनुरोध को नज़रअंदाज़ करते हुए मुर्शिदाबाद का दौरा किया था.

पीड़ित चाहते हैं सुरक्षा
आनंद बोस ने शनिवार को मुर्शिदाबाद का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि पीड़ित सुरक्षा की भावना चाहते हैं और उन्होंने केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के समक्ष अपनी चिंताओं को उठाने का वादा किया. आनंद बोस ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि वे सुरक्षा की भावना चाहते हैं और निश्चित रूप से कुछ अन्य मांगें और सुझाव भी हैं.

उन्होंने कहा कि इन सभी पर विचार किया जाएगा. हम उनके संपर्क में रहेंगे. निश्चित रूप से, बहुत प्रभावी सक्रिय कदम उठाए जाएंगे. मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर विपक्ष ने ममता पर निशाना साधा है. इस बीच, मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर राजनीति शुरू हो गई है, विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर तीखे हमले किए हैं और सत्ता में आने पर कार्रवाई करने की कसम खाई है.

जनता को गुमराह कर रही हैं
बीजेपी ने ममता की है सुवेंदु अधिकारी ने हिंसा के पीछे लोगों के खिलाफ बुलडोजर से न्याय की धमकी दी है. उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद से हिंदुओं को खदेड़ा जा रहा है और उनसे एकजुट होने की अपील की गई है. बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ममता बनर्जी की स्थिति को गलत तरीके से संभालने के लिए दोषी ठहराया और उन पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि पुलिस रिपोर्ट उनके इस दावे का खंडन करती है कि बाहरी लोग जिम्मेदार थे.

माकपा ने न्यायिक जांच की मांग की है, जिसमें भाजपा और टीएमसी दोनों पर बेरोजगारी और मुद्रास्फीति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए प्रतिस्पर्धी सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. कोलकाता में एक रैली को संबोधित करते हुए माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने दावा किया कि दोनों पार्टियां 2026 के राज्य चुनावों से पहले मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए मिलीभगत कर रही हैं. शक्ति प्रदर्शन में वामपंथी दल ने ब्रिगेड परेड मैदान में एक बड़ी रैली के साथ अपने अभियान की शुरुआत की.

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‘पांच दिन में हटाएं वीडियो…’, रामदेव के ‘शरबत जिहाद’ वाले बयान को दिल्ली हाईकोर्ट ने बताया अक्षम्य और अविश्वसनीय

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नई दिल्ली। हमदर्द के रूह अफजा के खिलाफ बाबा रामदेव की शरबत जिहाद टिप्पणी पर दिल्ली हाई कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि टिप्पणी ने अदालत की अंतरात्मा को झकझोर दिया है और यह अक्षम्य है। कोर्ट ने रामदेव के खिलाफ हमदर्द के मुकदमे की सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की है।
किसी ब्रांड या समुदाय का नाम नहीं लिया- रामदेव
हाल ही में रामदेव ने पतंजलि के गुलाब के शरबत का प्रचार करते हुए दावा किया था कि हमदर्द के रूह अफजा से अर्जित धन का उपयोग मदरसे और मस्जिद बनाने में किया जाता है। बाद में, रामदेव ने अपनी टिप्पणी का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने किसी ब्रांड या समुदाय का नाम नहीं लिया।
रामदेव के खिलाफ मुकदमा दायर
बता दें कि हमदर्द ने रामदेव के वीडियो को सोशल मीडिया से हटाने की मांग करते हुए रामदेव के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। हमदर्द की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह एक चौंकाने वाले के साथ ही सांप्रदायिक विभाजन का मामला भी है। उन्होंने कहा कि रामदेव की टिप्पणी नफरत फैलाने वाले भाषण के समान है।

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