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बॉलीवुड

जाने कहां गए वो दिन : ‘श्री 420’ से शोमैन तक, एक अदाकार का दमदार सफर

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मुंबई, 13 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय सिनेमा जगत में ग्रेट और वर्सेटाइल राज कपूर का नाम अमिट है। बेहतरीन अदाकारी हो या शानदार डायलॉग, अपने हर अंदाज में ‘शोमैन’ फिट थे। शनिवार 14 दिसंबर को राज कपूर की 100वीं जयंती है, जिसे कपूर फैमिली धूमधाम से मनाने की तैयारी कर रहा है।

राज कपूर भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, मगर वह अपनी कमाल की फिल्मों और शानदार एक्टिंग के साथ आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा हैं। वर्सेटाइल अभिनेता का ‘श्री 420’ से शोमैन तक का सफर उम्दा, दमदार और अद्वितीय रहा।

अभिनेता, निर्देशक और प्रोड्यूसर रहे राज कपूर को भारतीय सिनेमा का ‘शोमैन’ कहा जाता है। वह जो भी सीन शूट करते थे या फिल्म साइन करते थे, उसमें डूब जाते थे और उसे परफेक्ट करने में लगे रहते थे। उन्हें न समय की चिंता रहती थी और न थकान की, बस एक संकल्प साथ रहता था, ‘बेस्ट’ हासिल करने का।

राज कपूर जब पर्दे पर आते थे तो उनकी एक्टिंग देख दर्शक सम्मोहित हो जाते थे। एक तरफ ‘मेरा नाम जोकर’ उनकी एक्टिंग ने दर्शकों के थियेटरों में खूब रुलाय तो ‘जान पहचान’ में कॉमेडी सीन देख दर्शक हंसने पर मजबूर हो गए। दो बच्चों की खूबसूरत कहानी ‘बूट पॉलिश’ को देख दर्शक सिनेमाघरों में तालियां बजाते थे।

और, 1955 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म ‘श्री 420’ को कैसे भूला जा सकता है। प्रयागराज का एक देहाती लड़का जब कमाने के लिए मायानगरी मुंबई आता है और मासूमियत के साथ 420 से श्री 420 तक का सफर पूरा करता है, तो इतिहास राज कपूर की इस शानदार फिल्म की कहानी को सफलता की किताब में शामिल करता है।

फिल्म का ‘मेरा जूता है जापानी’ गाना आज भी लोगों की जुबान पर तैरता है। मुकेश की आवाज ने गाने में चार चांद लगा दी है। कहानी को नए मिजाज के साथ पेश करने में राज कपूर को महारत हासिल थी और इसकी पुष्टि के लिए उनकी चंद फिल्में ही काफी थीं।

राज कपूर ने ‘जिस देश में गंगा बहती है’, ‘बॉबी’, ‘छलिया’, ‘श्रीमान सत्यवादी’, ‘कन्हैया’, ‘संगम’, ‘दिल ही तो है’, ‘अनाड़ी’, ‘दो उस्ताद’, ‘मैं नशे में हूं’, ‘सत्यम शिवम सुन्दरम’, ‘परवरिश’, ‘मेरा नाम जोकर’, ‘बेवफा’, ‘आवारा’, ‘बरसात’, ‘अमर प्रेम’ जैसी फिल्मों की कहानी को एक नए मिजाज के साथ पेश किया, जो बताता है कि उन्हें ‘भारतीय सिनेमा का शोमैन’ क्यों कहा जाता है।

–आईएएनएस

एमटी/एकेजे

Entertainment

संजय खान की पत्नी का क्यों किया गया हिन्दू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार?

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मुंबई। करंट क्राइम। मशहूर एक्टर और फिल्म निर्माता संजय खान की पत्नी जरीन खान का शुक्रवार को दिल का दौरा पडने से निधन हो गया। वे 81 साल की थी।
शुक्रवार को ही उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनका अंतिम संस्कार हिन्दू रीति रिवाज से किया गया। उनके अंतिम संस्कार के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। जिसमें देखा जा सकता है कि जरीन खान का बेटा जायद खान शव के आगे घडा लेकर चल रहे हैं। सोशल मीडिया में इस बात को लेकर चर्चा हो रही है कि आखिर मुस्लिम परिवार की जरीन खान का हिन्दू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार क्यों किया गया? संजय खान डैशिंग एक्टर फिरोज खान के भाई है।
दरअसल, ज़रीन खान जन्म से ही हिंदू थीं और उनका असली नाम ज़रीन कटरक था। संजय खान से शादी के बाद भी उन्होंने कभी इस्लाम धर्म नहीं अपनाया, यही वजह है कि उनका अंतिम संस्कार उनके पति के मुस्लिम धर्म के बजाय हिंदू रीति-रिवाजों से किया गया। इसलिए परिवार ने यह सुनिश्चित किया कि उनका हिंदू परंपराओं के अनुसार ‘दह संस्कार’ हो।
ज़रीन की पहली मुलाक़ात संजय से उनकी मां बीबी फ़ातिमा बेगम ख़ान के ज़रिए हुई थी। उस वक्त ज़रीन महज 14 साल की थीं। दोनों ने 1966 में एक दूसरे को डेट करना शुरू की और आखिरकार शादी के बंधन में बंध गए। शादी से पहले, ज़रीन कटराक 1960 के दशक में एक लोकप्रिय मॉडल के रूप में अपनी पहचान बना चुकी थीं।

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विक्की कौशल और कटरीना के घर आया नन्हा राजकुमार, 42 साल की उम्र में कटरीना बनीं मां

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मुंबई। करंट क्राइम। बॉलीवुड की हॉट जोडी विक्की कौशल और कटरीना कैफ के घर नन्हा राजकुमार आया है। जी हां, यह जोडी अब पैरेंट्स बन गई है। कटरीना ने शुक्रवार को नन्हे राजकुमार को जन्म दिया है। 42 साल की उम्र में कटरीना ने बच्चे को जन्म दिया।
विक्की कौशल और कटरीना ने फैंस को यह जानकारी दी। उन्होंने इंस्टा पर लिखा की कटरीना ने खुशखबरी देते हुए बताया है कि दोनों पेरेंट्स बन गए हैं। विक्की ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट शेयर कर लिखा है कि मैं ब्लेस्ड महसूस कर रहा हूं।
विक्की कौशल ने फैन्स को खुशखबरी देते हुए लिखा- हमारी खुशियों का खिलौना इस दुनिया में आ चुका है। हम दोनों ही खुशी से फूले नहीं समा पा रहे हैं, क्योंकि वो हमारी हैप्पीनेस है और हम भगवान का शुक्रिया अदा भी करते हैं कि उन्होंने जीवन में बेटे को दिया है। 7 नवंबर 2025, कटरीना और विक्की।
खबर आते ही सिर्फ फैन्स ही नहीं, बल्कि फिल्म इंडस्ट्री के दोस्त भी कपल को ढेर सारी बधाइयां दे रहे हैं।
अब सभी उम्मीद कर रहे हैं कि कपल जल्द ही बेबी की झलक उनके साथ शेयर करें।

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जिसको चाहती थी उसी की पुण्यतिथि पर दुनिया को रूखसत किया इस मशहूर अभिनेत्री ने

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मुंबई। Current Crime : सातवें और आठवें दशक की मशहूर अभिनेत्री व गायिका सुलक्षणा पंडित अब इस दुनिया में नहीं रही। वह 71 साल की थीं। उनका पूरा परिवार संगीत से जुडा रहा। उनके भाई और संगीतकार ललित पंडित ने कहा कि दिल का दौरा पड जाने से सुलक्षणा पंडित का निधन हो गया है।
12 जुलाई, 1954 को जन्मी सुलक्षणा ने जितेंद्र, विनोद मेहरा के साथ कई हिट फिल्में दी है। सुलक्षणा ने मात्र नौ वर्ष की उम्र से संगीत सीखना आरंभ कर दिया था। उन्होंने चलते-चलते, उलझन, अपनापन समेत कई फिल्मों में गाना गाया था। साल 1975 में फिल्म ’संकल्प’ का गीत ’तू ही सागर है तू ही किनारा’ के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ गायिका का फिल्मफेयर अवार्ड मिला था। वहीं उलझन, संकल्प, राजा, हेराफेरी, संकोच, अपनापन, खानदान और वक्त समेत अनेक फिल्मों में उन्होंने अभिनय भी किया था। उनका पहला गाना तकदीर (1967) फिल्म में लता मंगेशकर के साथ सात समुंदर पार से.. था।
उन्होंने किशोर कुमार और मोहम्मद रफी के साथ संगीत समारोहों में भी गाया। दूर का राही (1971) फिल्म के लिए उन्होंने किशोर कुमार के साथ बेकरार दिल तू गाए जा.. गाया, जिसे तनुजा पर फिल्माया गया था। सुलक्षणा आजीवन अविवाहित रहीं।
उन्होंने अपनी पहली फिल्म उलझन (1975) में अभिनेता संजीव कुमार के साथ स्क्रीन साझा किया था और अपना दिल हार गई थीं। वह उनसे शादी करना चाहती थीं।
हालांकि, संजीव ने उनके शादी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। यह महज संयोग है कि उनका निधन छह नवंबर को उसी दिन हुआ है, जिस दिन संजीव कुमार की पुण्यतिथि होती है।

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