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सुप्रीम कोर्ट ने 28 भाजपा नेताओं पर दर्ज एफआईआर निरस्त करने के खिलाफ झारखंड सरकार की याचिका खारिज की

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रांची/नई दिल्ली, 27 जनवरी। सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, झारखंड के पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी, रघुवर दास, पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, भाजपा सांसद संजय सेठ सहित 28 भाजपा नेताओं के खिलाफ झारखंड सचिवालय घेराव के मामले में दर्ज एफआईआर को हाईकोर्ट द्वारा निरस्त करने के आदेश को बरकरार रखा है।

शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली झारखंड सरकार की याचिका (एसएलपी) सोमवार को खारिज कर दी। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच ने इस एसएलपी की सुनवाई के दौरान, देश में विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए पुलिस-प्रशासन की ओर से बार-बार दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 का इस्तेमाल किए जाने पर तल्ख टिप्पणी की।

कोर्ट ने कहा, ‘एक सामान्य प्रवृत्ति बन गई है कि कोई विरोध प्रदर्शन हो रहा है, तो उसे रोकने के लिए सीआरपीसी की धारा 144 का आदेश जारी कर दिया जाता है। इससे गलत संदेश जाएगा। यदि कोई प्रदर्शन करना चाहता है तो धारा 144 लगाने की आवश्यकता क्या है? यह तो धारा 144 का दुरुपयोग है।’

झारखंड सचिवालय के घेराव के मामले में भाजपा के नेताओं के खिलाफ 11 अप्रैल 2023 को एफआईआर हुई थी। उस दिन भाजपा ने तत्कालीन हेमंत सोरेन सरकार की विफलताओं के खिलाफ सचिवालय घेराव का आह्वान किया था। इसे देखते हुए पुलिस ने सचिवालय और आसपास के इलाके में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लगा दी थी।

पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए वाटर कैनन, आंसू गैस का इस्तेमाल किया था। उन पर लाठी चार्ज भी हुआ था। इस दौरान रांची का धुर्वा चौक करीब पौने दो घंटे तक रणक्षेत्र बना रहा था और 60 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। इस प्रकरण को लेकर रांची जिला प्रशासन के कार्यपालक दंडाधिकारी उपेंद्र कुमार के बयान पर एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें आरोपियों पर उपद्रव करने, दंगा भड़काने, सरकार के निर्देशों का उल्लंघन करने, सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने, अपराध के लिए उकसाने और दूसरे व्यक्तियों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया था।

एफआईआर में कहा गया था कि धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू रहने के बावजूद नामजद आरोपियों और अज्ञात कार्यकर्ताओं ने बैरिकेडिंग उखाड़ने का प्रयास किया, उत्पात मचाया, ड्यूटी पर तैनात पुलिस बल को निशाना बनाते हुए बोतल फेंकी, पत्थरबाजी की। इससे ड्यूटी में तैनात एसडीओ दीपक कुमार दुबे, धुर्वा के थानेदार विमल नंदन सिन्हा, दारोगा नारायण सोरेन, सिपाही मनीष कुमार, सिपाही संतोष कुमार शर्मा, अनिल कुमार महतो व अन्य पुलिसकर्मी और घटना की रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकार घायल हो गए।

एफआईआर में कहा गया था कि भाजपा नेताओं ने भीड़ को उकसाने का प्रयास किया। इस केस में सांसद अर्जुन मुंडा, सांसद संजय सेठ, सांसद निशिकांत दुबे, सांसद समीर उरांव, सांसद सुनील कुमार सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, विधायक अमित मंडल, विधायक बाबूलाल मरांडी, विधायक विरंची नारायण सिंह सहित 41 लोगों को नामजद किया गया था।

इनमें से 28 ने एफआईआर निरस्त करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद 14 अगस्त, 2024 को सुनाए गए फैसले में एफआईआर निरस्त कर दी थी। हाईकोर्ट के इसी फैसले को झारखंड सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

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दिल्ली

पूरा भारत आपका आभारी रहेगाः पीएम मोदी

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अचानक एयरबेस पहुंचकर सेना के जवानों से मिले पीएम

नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर पर राष्ट्र को संबोधित करने के बाद पीएम मोदी आज सुबह आदमपुर एयरबेस पहुंचे। वहां उन्होंने वायुसेना के जवानों से मुलाकात की और उनका हौसला बढ़ाया। पीएम मोदी ने जवानों से बातचीत की जिन्होंने उन्हें जानकारी दी। बहादुर जवानों से मिलकर पीएम मोदी खुश दिखे और उनका जोश बढ़ाया।
जवानों का बढ़ाया जोश इस बीच पीएम मोदी सेना के जवानों से बातचीत भी करते दिखे। जवानों ने उन्हें जानकारी दी और वो बहादुर जवानों से बातचीत करते हुए खुश दिखे। पीएम का यह दौरा पूरी तरह से गोपनीय रखा गया था और इसकी किसी को पूर्व सूचना नहीं थी।

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हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के लिए मुर्शिदाबाद जाएंगी CM ममता

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि वह मई के पहले सप्ताह में हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले का दौरा करेंगी. एक सरकारी कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि मैं मई के पहले सप्ताह में मुर्शिदाबाद के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करूंगी. वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में मुर्शिदाबाद में हिंसा भड़क उठी, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग अपने घरों से भाग गए.

बाद में यह विरोध प्रदर्शन मालदा, दक्षिण 24 परगना और हुगली सहित कई अन्य जिलों में फैल गया. यहां आगजनी, पथराव और सड़क जाम की खबरें आईं. पिछले हफ्ते, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने ममता के न जाने के अनुरोध को नज़रअंदाज़ करते हुए मुर्शिदाबाद का दौरा किया था.

पीड़ित चाहते हैं सुरक्षा
आनंद बोस ने शनिवार को मुर्शिदाबाद का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि पीड़ित सुरक्षा की भावना चाहते हैं और उन्होंने केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के समक्ष अपनी चिंताओं को उठाने का वादा किया. आनंद बोस ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि वे सुरक्षा की भावना चाहते हैं और निश्चित रूप से कुछ अन्य मांगें और सुझाव भी हैं.

उन्होंने कहा कि इन सभी पर विचार किया जाएगा. हम उनके संपर्क में रहेंगे. निश्चित रूप से, बहुत प्रभावी सक्रिय कदम उठाए जाएंगे. मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर विपक्ष ने ममता पर निशाना साधा है. इस बीच, मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर राजनीति शुरू हो गई है, विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर तीखे हमले किए हैं और सत्ता में आने पर कार्रवाई करने की कसम खाई है.

जनता को गुमराह कर रही हैं
बीजेपी ने ममता की है सुवेंदु अधिकारी ने हिंसा के पीछे लोगों के खिलाफ बुलडोजर से न्याय की धमकी दी है. उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद से हिंदुओं को खदेड़ा जा रहा है और उनसे एकजुट होने की अपील की गई है. बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ममता बनर्जी की स्थिति को गलत तरीके से संभालने के लिए दोषी ठहराया और उन पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि पुलिस रिपोर्ट उनके इस दावे का खंडन करती है कि बाहरी लोग जिम्मेदार थे.

माकपा ने न्यायिक जांच की मांग की है, जिसमें भाजपा और टीएमसी दोनों पर बेरोजगारी और मुद्रास्फीति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए प्रतिस्पर्धी सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. कोलकाता में एक रैली को संबोधित करते हुए माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने दावा किया कि दोनों पार्टियां 2026 के राज्य चुनावों से पहले मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए मिलीभगत कर रही हैं. शक्ति प्रदर्शन में वामपंथी दल ने ब्रिगेड परेड मैदान में एक बड़ी रैली के साथ अपने अभियान की शुरुआत की.

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‘पांच दिन में हटाएं वीडियो…’, रामदेव के ‘शरबत जिहाद’ वाले बयान को दिल्ली हाईकोर्ट ने बताया अक्षम्य और अविश्वसनीय

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नई दिल्ली। हमदर्द के रूह अफजा के खिलाफ बाबा रामदेव की शरबत जिहाद टिप्पणी पर दिल्ली हाई कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि टिप्पणी ने अदालत की अंतरात्मा को झकझोर दिया है और यह अक्षम्य है। कोर्ट ने रामदेव के खिलाफ हमदर्द के मुकदमे की सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की है।
किसी ब्रांड या समुदाय का नाम नहीं लिया- रामदेव
हाल ही में रामदेव ने पतंजलि के गुलाब के शरबत का प्रचार करते हुए दावा किया था कि हमदर्द के रूह अफजा से अर्जित धन का उपयोग मदरसे और मस्जिद बनाने में किया जाता है। बाद में, रामदेव ने अपनी टिप्पणी का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने किसी ब्रांड या समुदाय का नाम नहीं लिया।
रामदेव के खिलाफ मुकदमा दायर
बता दें कि हमदर्द ने रामदेव के वीडियो को सोशल मीडिया से हटाने की मांग करते हुए रामदेव के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। हमदर्द की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह एक चौंकाने वाले के साथ ही सांप्रदायिक विभाजन का मामला भी है। उन्होंने कहा कि रामदेव की टिप्पणी नफरत फैलाने वाले भाषण के समान है।

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