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ग़ाजियाबाद

व्यवस्था में सुधार तब तक संभव नहीं, जब तक व्यक्ति मन से अपनी त्रुटि स्वीकार नहीं करता : बालेश्वर त्यागी

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जो अधिकारी चालाकियों में सफलता के मंत्र देखता है, वह अक्सर असफल ही होता है। गांव में एक कहावत है कि सयाना कौआ गंदगी खाता है। अगर दुनिया में चालाकियां ही सफल होतीं तो जंगल का राजा शेर नहीं होता लोमड़ी होती।

गाजियाबाद, करंट क्राइम। जब कुंभ जैसी कोई बड़ी घटना होती है तो अधिकारियों की प्रशासनिक क्षमता पर प्रश्नचिन्ह लगते हैं। लेकिन सामान्य कार्यों में भी अधिकारी की प्रशासनिक क्षमता परिलक्षित होती है। थोड़े ही समय सही सरकारी व्यवस्था में रहने के कारण मेरा अनुभव है कि किसी भी व्यवस्था में कोई भी सुधार तब तक संभव नहीं है जब तक व्यक्ति मन से उस त्रुटि को स्वीकार नहीं करता। उनको कठिनाई होती है जो मन से गलती स्वीकार नहीं करते। वे अपेक्षित सुधार भी नहीं कर पाते क्योंकि उनके प्रयास भी हाफ हार्टिड होते। वे अधिकारी बहुत लोकप्रिय हो जाते हैं जो अपनी गलती को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करते हैं और फिर उसे ठीक करने के पूरे प्रयास करते हैं। उनका अपने अधीनस्थों में प्रभाव बढ़ता है। कई अधिकारी अपने अधीनस्थ की गलती को भी अपने निर्देशन की त्रुटि बताकर उसका बचाव करते हैं। आखिर व्यवस्था के व्यवस्थित संचालन का दायित्व तो प्रमुख का ही होता है। उनके लिए उनके अधीनस्थ जान की बाजी लगा देते हैं। उन अधिकारियों में इतना नैतिक साहस भी आ जाता है कि वे अपना पक्ष दृढ़ता के साथ शासन में रखते हैं। लेकिन अगर शासन उन के मत से सहमत नहीं होता तो फिर निर्देशों का भी पालन पूरे मन से करते हैं। मेरा निजी अनुभव है कि जब नेतृत्व अधीनस्थ को भरोसा देता है कि आप मेरे निर्देश के अनुसार कार्य संपादित करो बाकी सारी जिम्मेदारी मेरी है तो अधिकतर अधीनस्थ निर्देशों का पालन करने में प्राणपण से जुट जाते हैं।
जो अपने को शासन के निर्देशों के पालन तक सीमित कर लेते हैं वे कभी अच्छे प्रशासक नहीं होते। उनके अधीनस्थ भी उनके प्रति उतना समर्थन नहीं रखते। जो अधिकारी साम दाम दंड भेद के आधार पर व्यवस्था का संचालन करते हैं, उनकी प्रशासनिक व्यवस्था कभी प्रभावी नहीं होती। उनके अधीनस्थ भी उनके इस व्यवहार को कुटिलता के रूप में देखते हैं। वे अपने अधीनस्थों का सर्वोत्तम तो कभी नहीं ले सकते।
आग और पानी उपन्यास में एक डायलॉग पढ़ा – जो लोग कहते हैं कि मुझे विरोधी ने धोखा दे दिया, वे अक्षम होते हैं। अगर उद्यमी और प्रबंधक में अंतर करना हो तो प्रबंधक असफलता के कारण ढूंढता है और उद्यमी सफल होने के रास्ते ढूंढता है।
जो अधिकारी चालाकियों में सफलता के मंत्र देखता है, वह अक्सर असफल ही होता है। गांव में एक कहावत है कि सयाना कौआ गंदगी खाता है। अगर दुनिया में चालाकियां ही सफल होतीं तो जंगल का राजा शेर नहीं होता लोमड़ी होती।
प्रत्येक कार्य से पहले उसके परिणामों की कल्पना करना और उसके अनुसार निष्पादन की योजना बनाना अधिकारी का दायित्व है। ये ही अधिकारी होने का दायित्व है। एक बार देश के पहले प्रधानमंत्री स्व. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने कैबिनेट सचिव धर्मवीर को कहा कि क्या आप अपने आपको बहुत बुद्धिमान समझते हो तो धर्मवीर ने तपाक से उत्तर दिया, अगर मैं बुद्धिमान नहीं होता तो सरकार मुझ पर 5000/- रुपए प्रतिमाह क्यों खर्च करती है। उस समय भारत सरकार के कैबिनेट सेक्रेट्री का वेतन 5000/- रुपए मासिक था। ऐसे अधिकारियों के भरोसे ही व्यवस्थाओं का सफल संचालन होता है।

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ग़ाजियाबाद

गाजियाबाद में तेज रफ्तार ‘छोटा हाथी’ से टकराने पर कार में लगी भीषण आग, हड़कंप मच गया

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प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, टक्कर इतनी भयानक थी कि कार सड़क के किनारे पलट गई और थोड़ी ही देर में उसमें आग लग गई। उसी समय, टक्कर मारने वाला छोटा हाथी वाहन भी काफी क्षतिग्रस्त हो गया। घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने तुरंत पुलिस और फायर ब्रिगेड को सूचित किया।

दमकल विभाग की टीम ने मौके पर पहुँचकर कड़ी मेहनत के बाद आग पर काबू पाया। इस हादसे में किसी के हताहत होने की जानकारी नहीं मिली है, लेकिन वाहन बुरी तरह जल चुके हैं।

इस हादसे का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें जलती हुई कार की भयानक तस्वीरें दिख रही हैं। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है।

पुलिस मामले की जांच कर रही है और दोनों वाहनों के चालकों की पहचान करने की कोशिश कर रही है। बताया जा रहा है कि हादसे का कारण ओवरस्पीडिंग हो सकता है।

स्थानीय प्रशासन ने लोगों से निवेदन किया है कि वे मोहन नगर फ्लाईओवर पर सावधानी से वाहन चलाएं और स्पीड लिमिट का पालन करें।

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ग़ाजियाबाद

गाजियाबाद में जिला वृक्षारोपण समिति की मासिक बैठक मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में संपन्न हुई

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गाजियाबाद: जिला वृक्षारोपण समिति की मासिक बैठक दुर्गावती देवी सभागार, विकास भवन में मुख्य विकास अधिकारी अभिनव गोपाल की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में प्रभागीय निदेशक, सामाजिक वानिकी प्रभाग, उप प्रभागीय वनाधिकारी और समिति के विभिन्न सदस्यों ने भाग लिया।

बैठक के दौरान, प्रभागीय निदेशक, सामाजिक वानिकी प्रभाग गाजियाबाद ने जानकारी दी कि श्री सुशांत शर्मा, सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश को मेरठ मंडल के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। उनका निरीक्षण कार्यक्रम जनपद गाजियाबाद में प्रस्तावित है। इसी संदर्भ में सभी विभागों को निर्देश दिया गया है कि वे चेकलिस्ट के अनुसार वर्ष 2024-25 में किए गए वृक्षारोपण स्थलों का स्वयं निरीक्षण करें और आवश्यक कार्यवाही करें।

मुख्य विकास अधिकारी ने निर्देश दिया कि सभी विभाग वृक्षारोपण कार्यों की गणना पंजिका बनाएं। जिन विभागों ने भूमि चिन्हांकन, गड्ढा खुदाई और कार्य योजना की जानकारी अभी तक नहीं दी है, वे अगले तीन दिनों के भीतर यह आंकड़े प्रभागीय कार्यालय, गाजियाबाद को उपलब्ध कराने के लिए सुनिश्चित करें।

बैठक में वृक्षारोपण की प्रगति की समीक्षा करते हुए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि निर्धारित लक्ष्यों को समय पर और गुणवत्ता के साथ पूरा किया जाए।

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उत्तर प्रदेश

चांदी के कड़े के लिये माँ को अर्थी पर लेट गया , माँ का अंतिम संस्कार रोका….. …

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चांदी के कड़े के लिये माँ को अर्थी पर लेट गया , माँ का अंतिम संस्कार रोका…..

इस तरह के मामले सामने आते हैं तभी पता चलता है कलयुग अपने चरम पर है और आदमी कितना गिर चुका है l राजस्थान में कोटपुतली बहरोड़ जिले के लीला का बास की घटना है जहां श्मशान घाट पर मां की अर्थी रखी थी, उनके अंतिम संस्कार के पहले एक बेटा ने हंगामा कर दिया और चिता पर लेट गया। चांदी के कड़े के लिए उसने अंतिम संस्कार रोक दिया। सात बेटों में से एक ओमप्रकाश को जब घर से मंगाकर चांदी के कड़े दे दिए गए तब जाकर मां को पंच तत्व में विलीन हो पाई। छह भाई एक साथ रहते थे जबकि ओमप्रकाश अलग रहता था और बाकी भाइयों से प्रॉपर्टी से विवाद था।

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