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एनसीआर

विधायक से पहले क्षेत्रीय पार्षद का सम्मान करने पहुंचे वार्ड के सरदार, कहानी में है लैटर-कोटा और जनप्रतिनिधि का किरदार

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गाजियाबाद (करंट क्राइम)।  लोकतंत्र का विकास का ढांचा जनप्रतिनिधियों की धुरी पर आधारित होता है। किसके घर से किसकी दुकान तक सड़क बनेगी, कहां हैंडपंप लगेगा, कहां इंटरलॉकिंग टाइल लगनी है, ये सब काम सांसद निधि से, विधायक निधि से और पार्षद निधि से होते हैं। शिकायत की तरफ ध्यान कोई भी दिला सकता है और अधिकारी संज्ञान भी ले सकते हैं, लेकिन समाधान के लिये निधि चाहिए और निधि का रास्ता जनप्रतिनिधि के लेटर से होकर गुजरता है। निगम की बोर्ड बैठक में पार्षद अपने-अपने क्षेत्र की समस्या रखते हैं। अपने कोटे से प्रस्ताव को पास कराते हैं और विकास कार्य कराते हैं। दिशा की बैठक में लोकसभा सांसद अधिकारियों के साथ बैठकर पूरे जिले के विकास का खाका खींचते हैं। कहां पर क्या कमी है ये जनता बताती है। कई बार अधिकारियों के पास सीधे पत्र पहुंचते हैं, कई बार जनप्रतिनिधियों के पास पत्र पहुंचते हैं और जनता की शिकायत पर संज्ञान लिया जाता है। किस्सा उस वार्ड से जुड़ा है जहां भाजपा की शीतल चौधरी ने पहली बार चुनाव जीतकर कमल खिलाया है। इस वार्ड में भाजपा कभी नहीं जीतीं लेकिन यहां पहली बार भाजपा जीती है। यहां पर सिब्बनपुरा गुरुद्वारे के पीछे सीवर लाइन टूटने का मामला था। इस समस्या का समाधान हुआ और बताया जाता है कि यहां कहानी में क्रेडिट वाला सीन भी आ गया। बहरहाल समस्या का समाधान हुआ, क्षेत्र के लोग खुश हैं और वो अपनी क्षेत्रीय पार्षद शीतल चौधरी के घर पहुंचे। ये गुरुद्वारे के पीछे का मामला था। सीवर लाइन टूटने से परेशानी हो रही थी। समस्या का समाधान हुआ तो सिख समाज के लोगों ने पार्षद शीतल चौधरी का आभार व्यक्त किया, उनका सम्मान किया। कहानी का ट्विस्ट ये है कि आज ये लोग विधायक संजीव शर्मा का भी सम्मान करेंगे। लेकिन उससे पहले पार्षद का आभार व्यक्त किया। कहानी में किरदार विकास का है और लोगों का ये कहना है कि जनता को समाधान चाहिए। वहीं इस मामले में पार्षद शीतल चौधरी ने कहा कि हमें जनता ने जनादेश ही विकास के लिये दिया है। अपनी समस्याओं के समाधान के लिये दिया है। मैं जनता का आभार व्यक्त करती हूं।

उत्तर प्रदेश

सुरक्षा बलों ने कुपवाडा में दो आतंकवादियों को मार गिराया

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श्रीनगर। करंट क्राइम। सुरक्षा बलों ने शनिवार तडके जम्मू-कश्मीर में दो आतंकवादियों को मार गिराया। कुपवाड़ा जिले के केरेन सेक्टर में नियंत्रण रेखा यानि एलओसी के पास शुक्रवार देर रात आतंकवादियों के साथ एन्काउंटर शुरू हुआ, जो शनिवार सुबह तक जारी रहा। इस एन्काउंटर में सुरक्षा बलों ने दो आतंकवादियों को मार गिराया। इलाके में अन्य संभावित घुसपैठियों की तलाश में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया गया है। सेना को खुफिया जानकारी मिली थी कि केरेन सेक्टर में कुछ आतंकवादी घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं। इस सूचना के आधार पर भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक संयुक्त अभियान शुरू किया। ऑपरेशन के दौरान सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों को आत्मसमर्पण करने की चेतावनी दी, लेकिन इसके जवाब में आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी।
सेना के मुताबिक, दोनों पक्षों के बीच भारी गोलीबारी हुई, जिसमें दो आतंकवादी मारे गए। मारे गए आतंकवादियों के पास से हथियारों और गोला-बारूद का बड़ा जखीरा बरामद किया गया है। सेना के अधिकारियों ने बताया कि यह घुसपैठ सर्दियों से पहले की कोशिश हो सकती है, क्योंकि बर्फबारी शुरू होने पर एलओसी के पास के दर्रे बंद हो जाते हैं, जिसके चलते आतंकवादी संगठन इस समय घुसपैठ की गतिविधियां बढ़ा देते हैं। इलाके को पूरी तरह सुरक्षित करने के लिए सर्च ऑपरेशन जारी है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई अन्य आतंकवादी छिपा न हो। हाल के महीनों में एलओसी पर घुसपैठ की कोशिशों में वृद्धि देखी गई है, जिसे सुरक्षा बलों ने लगातार नाकाम किया है। स्थानीय प्रशासन और सेना स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए है।

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उत्तर प्रदेश

सुप्रीम कोर्ट का सख्त निर्देश, स्कूलों-अस्पतालों के पास से हटाए जाएं आवारा कुत्ते, एक्सप्रेसवे-हाइवे से मवेशी, 8 हफ्तों का दिया समय

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नई दिल्ली। करंट क्राइम। सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के मामले में सुनवाई करते हुए शुक्रवार को एक और फैसला दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश कर कहा कि सभी आवारा पशुओं को सड़कों, राज्य के हाईवे और राष्ट्रीय राजमार्गों से हटाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर राज्यों के साथ-साथ राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और नगरपालिकाओं को भी निर्देश जारी किया है। कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 13 जनवरी को करेगी।
देश के कई राज्यों में सड़कों और हाईवे पर खुले घूम रहे आवारा मवेशियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि हाईवे और सड़कों से आवारा मवेशियों को तुरंत हटाया जाए। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि आवारा पशुओं को हटाने के लिए हाईवे निगरानी टीमें बनाई जाएं जो उन्हें पकड़ कर सड़कों से हटाएगी और शेल्टर होम्स में रखेगी।
आवारा कुत्तों से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, बस स्टैंडों, खेल परिसरों और रेलवे स्टेशनों से आवारा कुत्तों और अन्य ऐसे मवेशियों को तुरंत हटाए जाने और उन्हें आश्रय गृह भेजने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए 8 हफ्ते का समय दिया है।
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में आगे आवारा कुत्तों के मुद्दे पर भी आदेश जारी किया। कोर्ट ने कहा कि सभी शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों, बस और रेलवे स्टेशनों से आवारा कुत्तों को हटाया जाए और उन्हें शेल्टर होम में जगह दी जाए। साथ ही उन्हें टीकाकरण के बाद भी उसी इलाके में न छोड़े जाने के निर्देश दिए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों- जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने सुनवाई के दौरान कुत्तों के काटने के मामलों में चौंकाने वाली बढ़ोतरी की बात कही और आदेश दिया कि अधिकारी आवारा कुत्तों को पकड़ने के बाद उन्हें शेल्टर में टीके दिए जाएं. इसके अलावा सार्वजनिक जगहों पर आवारा कुत्तों के दोबारा न घुसने देने के इंतजाम भी तय हों।

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उत्तर प्रदेश

‘वंदे मातरम‘ केवल एक रचना नहीं, बल्कि राष्ट्रभक्ति और स्वतंत्रता संग्राम की सामूहिक चेतना का प्रतीक हैः योगी आदित्यनाथ

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लखनऊ। करंट क्राइम। राष्ट्रगीत ’वंदे मातरम’ की रचना के 150 वर्ष पूरे होने पर पूरे देश में आज स्मरणोत्सव का आयोजन किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दिल्ली में एक विशेष कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। वही, उत्तर प्रदेश में एक वर्ष तक ऐतिहासिक स्मरणोत्सव मनाया जाएगा। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के लोकभवन सभागार में मुख्य कार्यक्रम की शुरुआत की।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर कहा कि यह गीत केवल एक रचना नहीं, बल्कि राष्ट्रभक्ति और स्वतंत्रता संग्राम की सामूहिक चेतना का प्रतीक है, और राज्य सरकार इसे वर्षभर जन-जन तक पहुंचाएगी। राज्य के सभी स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी कार्यालयों में आज से वंदे मातरम का सामूहिक गायन शुरू हो गया है।
लोकभवन में आयोजित भव्य समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वंदे मातरम को भारतीय अस्मिता का आधार बताया। उन्होंने कहा कि यह गीत आज़ादी के दीवानों का प्रेरणास्रोत रहा है और इसके 150 वर्ष पूरे होना हर नागरिक के लिए गर्व की बात है। उन्होंने घोषणा की कि उत्तर प्रदेश में स्मरणोत्सव का आयोजन चार चरणों में किया जाएगा, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों को भी शामिल किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों और शिक्षकों को निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि नई पीढ़ी को बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के इस अमर गीत के महत्व, इतिहास और स्वतंत्रता आंदोलन में इसकी भूमिका के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाए।
राष्ट्रगीत ’वंदे मातरम’ की रचना प्रसिद्ध उपन्यासकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 7 नवंबर 1875 को की थी और इसे उनके प्रसिद्ध उपन्यास ’आनंदमठ’ में प्रकाशित किया गया था। यह गीत जल्द ही देश की पहचान बन गया और ब्रिटिश राज के विरोध में एक शक्तिशाली नारा बन गया। वर्ष 1896 में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में महान कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे पहली बार सार्वजनिक रूप से गाया था।
स्वतंत्रता के बाद, भारत की संविधान सभा ने 1950 में इसे राष्ट्रीय गीत के रूप में अंगीकार किया, जिससे इसे राष्ट्रगान ’जन गण मन’ के समान ही सम्मान प्राप्त हुआ।
उत्तर प्रदेश सरकार ने स्मरणोत्सव को प्रभावी बनाने के लिए राज्य के सभी शिक्षण संस्थानों को निर्देश दिया दिया है। आज से वर्षभर, प्रदेश के सभी विद्यालयों और महाविद्यालयों में वंदे मातरम का सामूहिक वाचन और गायन अनिवार्य कर दिया गया है।
इसके साथ ही, वंदे मातरम के इतिहास और राष्ट्रीय महत्व पर आधारित निबंध प्रतियोगिताएं, कविता पाठ और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। यह पहल न केवल विद्यार्थियों में राष्ट्र प्रेम की भावना मजबूत करेगी, बल्कि उन्हें भारतीय साहित्य और इतिहास से भी जोड़ेगी।

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