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रुपया निचले स्तर पर पहुंचा, भारत और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक

नई दिल्ली। भारतीय रुपया भी 67 पैसे गिरकर रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। सोमवार को शुरूआती ट्रेड में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत 87.29 रही। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कनाडा,मैक्सिको पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने और चीन के उत्पादों पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त कर लगाने के फैसले से ट्रेड वॉर का डर बढ़ गया है। इसे लेकर पूरी दुनिया के बाजारों में डर का माहौल है। इस माहौल में भारतीय रुपया भी 67 पैसे गिरकर रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। सोमवार को शुरूआती ट्रेड में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कीमत 87.29 रही।
67 पैसे की गिरावट आई : भारतीय मुद्रा रुपया लगातार दबाव में है। विदेशी फंड के भारतीय बाजार से लगातार निकलने और तेल आयातक देशों द्वारा डॉलर को प्रमुखता दिए जाने के बाद से डॉलर की मांग लगातार बढ़ रही है। इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज पर आज रुपया 87 रुपये पर खुला, लेकिन जल्द ही 67 पैसे गिरकर 87.29 पर आ गया। शुक्रवार को रुपया, डॉलर के मुकाबले 86.62 पर बंद हुआ था। सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के एमडी अमित पबारी ने कहा, ‘सप्ताह की शुरूआत में वित्तीय बाजारों में उतार-चढ़ाव देखा गया, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ की अपनी धमकियों को जारी रखते हुए मैक्सिको, कनाडा और चीन से आयात पर शुल्क लगाया है।’
व्यापार युद्ध के बढ़ते खतरे से डर का माहौल : ‘व्यापार युद्ध के बढ़ते खतरे से बाजार में जोखिम का माहौल है। अमेरिकी डॉलर की मांग बढ़ी है और डॉलर इंडेक्स 1.30 प्रतिशत बढ़कर 109.77 के अंक पर कारोबार कर रहा है। ट्रंप की टैरिफ की धमकी के चलते अमेरिकी डॉलर में उछाल आया, जिससे वैश्विक मुद्रा विनिमय दर कई वर्षों के निचले स्तर पर पहुंच गई।
घरेलू इक्विटी में बाजार में, 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 575.89 अंक या 0.74 प्रतिशत की गिरावट के साथ 76,930.07 अंक पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 206.40 अंक या 0.88 प्रतिशत की गिरावट के साथ 23,275.75 अंक पर था। इस बीच, रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि 24 जनवरी को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5.574 अरब डॉलर बढ़कर 629.557 अरब डॉलर हो गया।
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गुजरात सिविल सेवा साक्षात्कार परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र जारी

गुजरात सिविल सेवा साक्षात्कार परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र जारी कर दिए गए हैं। गुजरात लोक सेवा आयोग ने गुजरात प्रशासनिक सेवा (GPS), गुजरात पुलिस सेवा (GSP), और अन्य संबद्ध सेवाओं सहित विभिन्न पदों के लिए भर्ती के लिए साक्षात्कार आयोजित किए हैं। योग्य उम्मीदवारों को आधिकारिक वेबसाइट gpsc.gujarat.gov.in से प्रवेश पत्र डाउनलोड करने के लिए कहा गया है।
जीपीएससी सिविल सेवा साक्षात्कार प्रवेश पत्र 2024 कैसे डाउनलोड करें:
जीपीएससी की आधिकारिक वेबसाइट gpsc.gujarat.gov.in पर जाएं।
होमपेज पर “जीपीएससी सिविल सेवा साक्षात्कार प्रवेश पत्र 2024” लिंक पर क्लिक करें।
अपना पंजीकरण नंबर, जन्म तिथि और अन्य आवश्यक विवरण दर्ज करें।
“सबमिट” बटन पर क्लिक करें।
आपका प्रवेश पत्र स्क्रीन पर प्रदर्शित होगा।
प्रवेश पत्र डाउनलोड करें और भविष्य के संदर्भ के लिए एक प्रति अपने पास रखें।
जीपीएससी सिविल सेवा साक्षात्कार 2024 के लिए महत्वपूर्ण तिथियां:
साक्षात्कार की तारीखें: जल्द ही घोषित की जाएंगी
प्रवेश पत्र डाउनलोड करने की अंतिम तिथि: जल्द ही घोषित की जाएगी
जीपीएससी सिविल सेवा साक्षात्कार 2024 के लिए महत्वपूर्ण निर्देश:
उम्मीदवारों को साक्षात्कार के समय प्रवेश पत्र और अन्य आवश्यक दस्तावेज लाने होंगे।
उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए निर्धारित समय और स्थान पर पहुंचना होगा।
उम्मीदवारों को साक्षात्कार के दौरान शालीन और विनम्र व्यवहार करना होगा।
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बजट में नौकरीपेशा को बड़ी राहत 12 लाख 75 हजार रुपये तक कोई टैक्स नहीं

4 साल का रिटर्न एकसाथ फाइल कर सकेंगे
नई दिल्ली: निर्मला सीतारमण के बजट में इनकम टैक्स पेयर्स को बड़ी राहत मिली है। अब सालाना 12.75 लाख रुपए तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। वहीं अब पिछले 4 साल का IT रिटर्न एकसाथ फाइल कर सकेंगे। सीनियर सिटीजंस के लिए TDS सीमा 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख कर दी गई है।
सरकार ने बजट में कैंसर की दवाएं सस्ती करने का ऐलान किया। अगले 3 साल में देश के सभी जिलों में कैंसर डे केयर सेंटर बनाए जाएंगे। अगले फाइनेंशियल इयर में ही ऐसे 200 सेंटर बनाए जाएंगे।
सरकार का फोकस बिहार पर भी दिखाए जहां इसी साल अक्टूबर नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। सीतारमण ने बिहार के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी की स्थापना करने का ऐलान किया। राज्य में विस्तार होगा। मखाना बोर्ड और 3 नए एयरपोर्ट भी बनाए जाएंगे।
बजट में अब तक बड़े ऐलान
न्यू इनकम टैक्स बिल अगले हफ्ते लाया जाएगा। इन डायरेक्ट टैक्स रिफॉर्म को बाद में बताएंगे।
कैंसर की दवाएं सस्ती होंगी पिछले 4 साल का IT रिटर्न एकसाथ फाइल कर सकेंगे।
अगले 6 साल मसूरए तुअर जैसी दालों की पैदावार बढ़ाने के लिए फोकस।
कपास की पैदावार बढ़ाने के लिए 5 साल का मिशनए इससे देश का कपड़ा उद्योग मजबूत बनेगा।
किसान क्रेडिट कार्ड पर कर्ज की लिमिट 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख होगी।
बिहार में मखाना बोर्ड बनेगाए इससे छोटे किसानों और व्यापारियों को फायदा।
छोटे उद्योगों को विशेष क्रेडिट कार्डए पहले साल 10 लाख कार्ड जारी होंगे।
MSME के लिए लोन गारंटी कवर 5 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ए 1ण्5 लाख करोड़ तक का कर्ज मिलेगा।
स्टार्टअप के लिए लोन 10 करोड़ से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपए किया जाएगा। गारंटी फीस में भी कमी होगी।
खिलौना उद्योग के लिए मेक इन इंडिया के तहत विशेष योजना शुरू की जाएगी।
23 IIT में 1.35 लाख स्टूडेंट्स मौजूद IIT पटना का विस्तार होगा।
एक्सीलेंस फॉर आर्टिफिशियल फॉर AI के लिए 500 करोड़ रुपए का ऐलान।
मेडिकल एजुकेशन में अगले 5 साल में 75 हजार सीटें बढ़ाने का ऐलान।
मिडिल क्लास को दिया तोहफा
मिडिल क्लास को 12 लाख रुपये तक कोई टैक्स नहीं देना होगाण् अभी तक यह 7 लाख रुपये ही था इसमें एक साथ ही 5 लाख इजाफा हुआ और हर महीने 1 लाख तक कमाने वाले को कोई टैक्स नहीं लगेगाण् इसमें 75 हजार रुपये का टैक्स डिडक्शन भी दिया जाएगा
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फरवरी में ब्याज दरों में कटौती से अर्थव्यवस्था को मिलेगी रफ्तार: इंडस्ट्री

उद्योग जगत का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा फरवरी में ब्याज दरों में कटौती करने से अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। उनका मानना है कि इससे बैंकों के पास अधिक पैसा उपलब्ध होगा, जिससे वे उद्योगों और व्यवसायों को अधिक ऋण दे सकेंगे। इससे निवेश और उत्पादन में वृद्धि होगी, जिससे अंततः आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
उद्योग जगत के कुछ प्रमुख तर्क इस प्रकार हैं:
ब्याज दरों में कटौती से उधार लेने की लागत कम हो जाएगी, जिससे व्यवसायों के लिए निवेश करना अधिक आकर्षक हो जाएगा।
इससे उपभोक्ता खर्च में भी वृद्धि होगी, क्योंकि लोगों के पास अधिक डिस्पोजेबल आय होगी।
ब्याज दरों में कटौती से निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि इससे भारतीय वस्तुओं और सेवाओं की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
हालांकि, कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ब्याज दरों में कटौती से मुद्रास्फीति में भी वृद्धि हो सकती है। उनका मानना है कि आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती करते समय सावधानी बरतनी चाहिए ताकि मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखा जा सके।
कुल मिलाकर, उद्योग जगत का मानना है कि फरवरी में ब्याज दरों में कटौती से अर्थव्यवस्था को लाभ होगा। हालांकि, आरबीआई को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखा जाए।
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