ग़ाजियाबाद
राइज इन इंडिया 2025 के अंतर्गत एचआरआईटी यूनिवर्सिटी में जॉब फेयर

गाजियाबाद। एचआरआईटी यूनिवर्सिटी में शिक्षा और उद्योग के बीच समन्वय बनाने के लिए ऐतिहासिक कार्यक्रमों की शृंखला की घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है, साथ ही युवा सशक्तिकरण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को भी उजागर किया जा रहा है। 13 फरवरी 2025 को, यूनिवर्सिटी एक मेगा जॉब फेयर की मेजबानी करेगी, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों की अग्रणी कंपनियां बीबीए, बीसीए, एमबीए, एमसीए, बीटेक, एमटेक, डिप्लोमा इंजीनियरिंग, डीफार्मा, बीफार्मा, एमफार्मा, बीकॉम, एलएलबी और होटल मैनेजमेंट सहित कई तरह के पाठ्यक्रमों से प्रतिभाशाली स्नातकों की भर्ती करेगी। इस कार्यक्रम में 2025 पास आउट बैच, और पिछले बैच के उम्मीदवार शामिल होंगे। आने वाली कंपनियों में एक्सिस बैंक, बर्मा एंड बर्मा रेस्टोरेंट, एनआईआईटी फाउंडेशन, पेटीएम, एसबीआई कार्ड, बिरयानी ब्लूज, हल्दी राम, स्विगी इंस्टामार्ट, रैबल्स फूड, फासूस, सिलारिस, अमेरिकन एक्सप्रेस, इनफिनिटीएक्स, आॅल्टसोर्स, कैपिटल पावर सिस्टम्स, टेकिंसी, एचआरएक्सपी अकादमी, लूकैट, ईजी सोलर, फोर पॉइंट्स बाय शेरेटन, फॉर्च्यून बाय आईटीसी शामिल हैं। एचआरआईटी यूनिवर्सिटी 20 से 22 फरवरी 2025 तक यूनिवर्सिटी कैंपस, गाजियाबाद में राइज इन इंडिया का आयोजन कर रही है। इस दौरान जॉब फेयर में कंपनियों द्वारा चुने गए छात्रों को औपचारिक रूप से भारत सरकार के प्रतिष्ठित मंत्री जॉब फेयर में चयनित छात्रों को आॅफर लेटर भी वितरित करेंगे।
ग़ाजियाबाद
गाजियाबाद में 109 करोड़ की साइबर ठगी का पर्दाफाश, पश्चिम बंगाल से संचालित ठगों का नेटवर्क सक्रिय

गाजियाबाद। जिले की साइबर क्राइम टीम ने साइबर ठगी के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए एक महत्त्वपूर्ण खोज की है। जांच से पता चला है कि जिले में 450 से अधिक साइबर ठगी की घटनाओं में कुल 109 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इनमें से 97 मोबाइल नंबर पश्चिम बंगाल से संचालित हैं।
गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) और भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में गाजियाबाद समेत विभिन्न जिलों के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) और सहायक पुलिस आयुक्त (अपराध) ने भाग लिया। इस कार्यशाला में साइबर ठगों के नए ठिकाने उजागर हुए।
पश्चिम बंगाल के 24 शहरों के अलावा झारखंड के देवघर, जामताड़ा, दुमका, धनबाद, गिरिडीह, रांची और हजारीबाग में भी साइबर ठगों का सक्रिय नेटवर्क पाया गया। इसके साथ ही एनसीआर से सटे हरियाणा के नूह और राजस्थान के डींग जिले में भी साइबर अपराधियों के गिरोह का पता चला है।
जिले की साइबर टीम की जांच में यह भी सामने आया कि अधिकतर ठगी फर्जी कॉल, ऑनलाइन स्कैम और फिशिंग जैसी तकनीकों का उपयोग करके की गई है। पश्चिम बंगाल से संचालित 97 मोबाइल सिम के माध्यम से ठगों ने गाजियाबाद के साथ-साथ देश-विदेश में लोगों को अपने निशाने पर रखा।
कार्यशाला में अधिकारियों ने साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए नए सुझाव और रणनीतियाँ साझा कीं, जिनमें संदिग्ध मोबाइल नंबरों की ट्रेसिंग, डिजिटल फुटप्रिंट्स की जांच और अंतरराज्यीय समन्वय पर विशेष ध्यान दिया गया।
पुलिस अधिकारियों ने जनता से अपील की है कि वे अनजान कॉल्स, संदिग्ध लिंक या मैसेज पर भरोसा न करें और किसी भी संदेहास्पद गतिविधि की जानकारी तुरंत साइबर क्राइम पोर्टल या स्थानीय पुलिस को दें। गाजियाबाद पुलिस इन ठिकानों पर छापेमारी और साइबर ठगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का योजना बना रही है।
ग़ाजियाबाद
गाजियाबाद में महिला ने पति और ससुराल वालों पर 10 लाख रुपये दहेज न देने पर मारपीट और हत्या के प्रयास का आरोप लगाया

गाजियाबाद। वैशाली क्षेत्र की एक महिला ने अपने पति आशीष, सास सुशीला, ससुर अशोक और देवर अक्षय के खिलाफ दहेज उत्पीड़न, मारपीट और हत्या के प्रयास जैसी गंभीर धाराएं लगाते हुए इंदिरापुरम थाने में शिकायत दर्ज कराई है। महिला ने अपनी तहरीर में कहा कि ससुराल वालों ने 10 लाख रुपये और एक महंगी गाड़ी की मांग की, जिसे न पूरा करने पर उन्हें शारीरिक तथा मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
महिला के अनुसार, उनकी शादी 25 नवंबर 2022 को दिल्ली के निवासी आशीष से हुई थी। विवाह के बाद उन्होंने जाना कि उनके पति पर लगभग 12 लाख रुपये का कर्ज है। इसी कारण, ससुराल वाले 10 लाख रुपये और एक महंगी गाड़ी की मांग करने लगे। जब यह मांग पूरी नहीं हुई, तो महिला को बार-बार प्रताड़ित किया गया।
महिला ने यह भी आरोप लगाया कि कई बार घर के भीतर उनकी हत्या का प्रयास किया गया, लेकिन वह बच गईं। अक्टूबर 2024 में, उनके पति ने उन्हें अपने रिश्तेदार के घर ले जाकर दहेज की मांग पूरी न होने पर वहां रखने से इनकार कर दिया। जब उन्होंने विरोध किया, तो दुपट्टे से उनका गला दबाने की कोशिश की गई और अंततः उन्हें घर से निकाल दिया गया।
महिला की शिकायत के आधार पर पुलिस ने पति आशीष, सास सुशीला, ससुर अशोक और देवर अक्षय के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। एसीपी इंदिरापुरम, अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि मामले की गहनता से जांच की जा रही है और तथ्यों के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।
ग़ाजियाबाद
गाजियाबाद में आंधी-तूफान से प्रभावित मृतकों को आर्थिक सहायता, डीएम दीपक मीणा की राहत एवं पुनर्वास की कोशिशें

गाजियाबाद। आंधी-तूफान की चपेट में आकर जिले में दो व्यक्तियों की दुखद मौत ने स्थानीय निवासियों को झकझोर दिया है और प्रशासन को त्वरित तथा मानवीय कदम उठाने के लिए प्रेरित किया है। जिलाधिकारी (डीएम) दीपक मीणा ने इस गंभीर स्थिति का संज्ञान लेते हुए एक नई पहल शुरू की है, जो न केवल पीड़ित परिवारों के लिए राहत का कारण बनेगी, बल्कि शहर की खराब व्यवस्थाओं को सुधारने का भी प्रयास करेगी।
जानकारी के अनुसार, खोड़ा क्षेत्र में हुई इस घटना में एक महिला समेत दो लोगों की मौत हो गई, और कई अन्य घायल भी हुए। डीएम दीपक मीणा ने इस हादसे पर गहरी संवेदना व्यक्त की और मृतकों के परिवारों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की दिशा में तात्कालिक कदम उठाने का आश्वासन दिया।
डीएम की यह पहल यहीं समाप्त नहीं हुई। उन्होंने शहर की उन समस्याओं को सुलझाने की जिम्मेदारी ली, जो इस तरह की घटनाओं का कारण बनती हैं। उन्होंने कहा, “आर्थिक सहायता तात्कालिक है, लेकिन असली परिवर्तन तभी आएगा जब हम व्यवस्था की बुनियाद को मजबूत करेंगे।”
डीएम दीपक मीणा ने सड़क सुरक्षा, जलभराव, बिजली आपूर्ति और आपातकालीन सेवाओं में सुधार के लिए एक विशेष कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया है। विशेषकर खोड़ा जैसे क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाएगा, जहां बुनियादी सुविधाओं की कमी अक्सर दुर्घटनाओं का कारण बनती है।
उन्होंने स्थानीय निकायों, पुलिस और अन्य संबंधित विभागों को संगठित होकर काम करने का निर्देश दिया है। मृतकों के परिवारों को त्वरित आर्थिक सहायता पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन ने शासन को पत्र लिखा है, ताकि राहत राशि जल्द से जल्द प्रभावित परिवारों तक पहुंच सके। घायलों के उपचार के लिए नजदीकी अस्पतालों में विशेष इंतजाम भी किए गए हैं।
डीएम दीपक मीणा की यह पहल गाजियाबाद में प्रशासनिक सक्रियता का एक नया उदाहरण प्रस्तुत कर रही है। उनका यह विचार कि “राहत के साथ सुधार” आवश्यक है, न केवल पीड़ित परिवारों के लिए उम्मीद की एक किरण है, बल्कि पूरे शहर के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन रहा है। स्थानीय निवासियों ने इस पहल की सराहना की है और कहा है कि यदि प्रशासन इसी तरह जनता के साथ मिलकर कार्य करता रहा, तो गाजियाबाद जल्द ही एक सुरक्षित और समृद्ध शहर के रूप में उभर कर आएगा।
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