ग़ाजियाबाद
ये खबर कर देगी भगवा गढ़ के दावेदारों को हैरान, कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा ने नहीं रखा था कोर कमेटी में नामित दावेदारी का एक भी नाम

गाजियाबाद । सियासत में लीडर से एक उम्मीद हर दावेदार रखता है। वो ये उम्मीद रखते हैं कि जिसे वो अपना लीडर मानते हैं वो उन्हें कितना कंसिडर करते हैं। अपने-अपने सियासी नेताओं से एक उम्मीद होती है। एक माहौल होता है कि जब कुछ मिलने की बेला आएगी तो उनके नेता उनकी पैरवी करेंगे। उनका पक्ष रखेंगे। सीन इन दिनों नामित पार्षदों का चल रहा है। नामित पार्षदों के 40 नाम हाईकमान तक पहुंच चुके हैं। चिंतन-मंथन होना है। 30 का नाम हटना है और दस नाम फाइनल होने हैं। कोर की बैठक से पहले ही सबका जोर यह जानने में था कि किस जनप्रतिनिधि ने अपने नाम के लिये कितने जोर लगाए हैं। कुछ नामों को लेकर ये अनुमान लगाया जा रहा था कि यह नाम तो सांसद का हो सकता है, यह नाम विधायक का हो सकता है, यह कोर कमेटी के उन सदस्यों का हो सकता है। नामों को लेकर अनुमान है और इस बीच कोर कमेटी से छनकर जो बात बाहर आई है वो नामित वाले दावेदारों को हैरान कर सकती है। उन्हें यह खबर अजीब लग सकती है कि उस दिन कोर कमेटी की बैठक में कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा ने अपनी तरफ से एक भी नाम नामित पार्षद के लिये नहीं दिया था। कोर कमेटी की बैठक हुई थी और इसमें 9 कोर सदस्य पहुंचे थे। पर्यवेक्षक अमरपाल मौर्य पहुंचे, मेयर सुनीता दयाल पहुंची, कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा पहुंचे, मुरादनगर विधायक अजीतपाल त्यागी पहुंचे, शहर विधायक संजीव शर्मा पहुंचे, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष मानसिंह गोस्वामी पहुंचे, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष मयंक गोयल पहुंचे और कुल मिलाकर 9 लोग कोर कमेटी के रूप में पहुंचे। बताते हैं कि यहां पर सभी जनप्रतिनिधियों ने अपनी-अपनी पसंद के तीन-तीन नाम दिये थे। किसी जनप्रतिनिधि ने तो चार नाम भी दिये थे, लेकिन इस पूरी बैठक की खास बात ये थी कि यहां कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा पूरी तरह खामोश थे। वो वैसे भी ऐसे मामलों में गोमती वाले किरदार में रहते हैं। वो किसी टकराव में नहीं रहते, लेकिन इन दिनों वो घाघरा नदी हो रहे हैं। इसका मुलाहिजा वो मंडल अध्यक्षों वाले सीन में दिखा चुके हैं। दस के दस मंडलों में अपनी पसंद के अध्यक्ष ला चुके हैं, लेकिन कोर वाले भी हैरान हैं कि ऐसा क्या हुआ कि कोर वाली बैठक में सुनील शर्मा पूरी तरह खामोश रहे और उन्होंने किसी भी नाम के लिये जोर नहीं लगाए। बताने वाले बता रहे हैं कि इस पूरी बैठक में कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा ने किसी भी नाम का जिक्र नहीं किया। उन्होंने अपनी तरफ से कोई नाम अपनी जुबान से नहीं लिया और सीन ये रहा कि जब 40 नामों वाली फाइल तैयार हुई तो इन 40 नामों की लिस्ट में कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा का एक भी नाम नहीं था।
महानगर दावेदार ने रख दिये नामित दावेदारी में 15 नाम
कोर कमेटी में एक तरफ तो ये रहा कि सरकार में कैबिनेट मंत्री पद पर आसीन विधायक ने एक भी नाम नहीं रखा। उन्होंने किसी नाम की पैरवी नहीं की और वो खामोश रहे और वहीं दूसरी तरफ महानगर अध्यक्ष पद के एक दावेदार ने एक नहीं, दो नहीं, आधा दर्जन भी नहीं और एक दर्जन भी नहीं बल्कि एक दर्जन से ज्यादा यानि 15 नाम रखे। वो अपनी पसंद के नाम लिखकर लाए थे। 40 वाली लिस्ट में 15 नाम उनके हैं। कितने नामों पर बात बनेगी, कितने नामों पर नहीं बनेगी, ये बाद की बात है, लेकिन राज की बात ये है कि महानगर अध्यक्ष पद के दावेदारी पूरे 15 नामों की बहार के साथ आए थे।
जब बताए गए नाम तो सुनील शर्मा ने दिया तीन पर सहमति का पैगाम
नामित पार्षदों के नाम तय करने के लिये जिला कोर कमेटी की बैठक हुई। इस बैठक में सभी निगाहें कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा पर थी। सुनील शर्मा ने मंडल वाले दंगल में प्रतियोगिता अपने नाम की और शत् प्रतिशत सफलता हासिल की। वो दस में दस मंडल अध्यक्ष अपनी पसंद के बनवाने में कामयाब रहे। सूत्र बताते हैं कि कोर कमेटी में सुनील शर्मा बिल्कुल खामोश रहे, लेकिन जब कोर कमेटी के नाम सामने आए तो इस लिस्ट में ट्विस्ट आ गया। जब कोर कमेटी में प्रस्तावित नाम बताए जा रहे थे, तब 40 नामों में से तीन नामों पर कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा ने भी अपनी सहमति जताई। उन्होंने इनमें से तीन नाम छांटे और कहा कि जब कोर कमेटी 40 नामों पर विचार करें तो वो इन तीन नामों पर मेरा विचार भी समर्थन में जोड़ लें। वो कौन से तीन नाम हैं जिन्हें कैबिनेट मंत्री का समर्थन मिला है और नामित वाली सूची आने के बाद स्पष्ट हो जाएगा।
ग़ाजियाबाद
गाजियाबाद में आंधी-तूफान और तेज़ बारिश से मिली गर्मी में राहत, लेकिन पेड़ गिरने और जलभराव से हुई कठिनाई

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गाजियाबाद। लगातार उमस भरी गर्मी से जूझ रहे लोगों को बुधवार रात लगभग आठ बजे तेज आंधी और झमाझम बारिश ने राहत प्रदान की। हालांकि, कई स्थानों पर जलभराव और पेड़ों के गिरने के कारण लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
शहर के अंडरपास में जलभराव के कारण अनेक वाहन फंस गए। जिले में तूफान के चलते 50 से अधिक पेड़ सड़क पर गिर गए। संजयनगर सेक्टर 23 के पास, मस्जिद के समीप, एक 46 फुट ऊंचा पुराना बरगद का पेड़ सड़क पर खड़ी चार पहिया गाड़ियों पर गिर पड़ा।幸运地, गाड़ियों के अंदर कोई नहीं था, अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था। आंबेडकर रोड पर भी उखड़े पेड़ ने दो कारों पर गिरावट की।
मौसम की खराबी के साथ बिजली आपूर्ति भी प्रभावित हुई। मौसम विभाग के अनुसार, आंधी की रफ्तार लगभग 80 किलोमीटर प्रति घंटे थी। आंधी के दौरान कई होर्डिंग्स और टिन के शेड भी उड़कर सड़कों पर गिर गए।
रात करीब नौ बजे नगर प्रशासन की राहत और बचाव टीम मौके पर पहुंचकर व्यवस्था सुधारने के प्रयास में जुट गई। नगर निगम के दावों के बावजूद, बारिश के महज एक घंटे में जलभराव की समस्या उत्पन्न हुई। बारिश का पानी कई सड़कों से होकर सोसाइटी के बेसमेंट और दुकानों में जा भर गया, जिससे व्यापार और आवागमन पर असर पड़ा।
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ग़ाजियाबाद
गाजियाबाद में 109 करोड़ की साइबर ठगी का पर्दाफाश, पश्चिम बंगाल से संचालित ठगों का नेटवर्क सक्रिय

गाजियाबाद। जिले की साइबर क्राइम टीम ने साइबर ठगी के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए एक महत्त्वपूर्ण खोज की है। जांच से पता चला है कि जिले में 450 से अधिक साइबर ठगी की घटनाओं में कुल 109 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इनमें से 97 मोबाइल नंबर पश्चिम बंगाल से संचालित हैं।
गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) और भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में गाजियाबाद समेत विभिन्न जिलों के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) और सहायक पुलिस आयुक्त (अपराध) ने भाग लिया। इस कार्यशाला में साइबर ठगों के नए ठिकाने उजागर हुए।
पश्चिम बंगाल के 24 शहरों के अलावा झारखंड के देवघर, जामताड़ा, दुमका, धनबाद, गिरिडीह, रांची और हजारीबाग में भी साइबर ठगों का सक्रिय नेटवर्क पाया गया। इसके साथ ही एनसीआर से सटे हरियाणा के नूह और राजस्थान के डींग जिले में भी साइबर अपराधियों के गिरोह का पता चला है।
जिले की साइबर टीम की जांच में यह भी सामने आया कि अधिकतर ठगी फर्जी कॉल, ऑनलाइन स्कैम और फिशिंग जैसी तकनीकों का उपयोग करके की गई है। पश्चिम बंगाल से संचालित 97 मोबाइल सिम के माध्यम से ठगों ने गाजियाबाद के साथ-साथ देश-विदेश में लोगों को अपने निशाने पर रखा।
कार्यशाला में अधिकारियों ने साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए नए सुझाव और रणनीतियाँ साझा कीं, जिनमें संदिग्ध मोबाइल नंबरों की ट्रेसिंग, डिजिटल फुटप्रिंट्स की जांच और अंतरराज्यीय समन्वय पर विशेष ध्यान दिया गया।
पुलिस अधिकारियों ने जनता से अपील की है कि वे अनजान कॉल्स, संदिग्ध लिंक या मैसेज पर भरोसा न करें और किसी भी संदेहास्पद गतिविधि की जानकारी तुरंत साइबर क्राइम पोर्टल या स्थानीय पुलिस को दें। गाजियाबाद पुलिस इन ठिकानों पर छापेमारी और साइबर ठगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का योजना बना रही है।
ग़ाजियाबाद
गाजियाबाद में महिला ने पति और ससुराल वालों पर 10 लाख रुपये दहेज न देने पर मारपीट और हत्या के प्रयास का आरोप लगाया

गाजियाबाद। वैशाली क्षेत्र की एक महिला ने अपने पति आशीष, सास सुशीला, ससुर अशोक और देवर अक्षय के खिलाफ दहेज उत्पीड़न, मारपीट और हत्या के प्रयास जैसी गंभीर धाराएं लगाते हुए इंदिरापुरम थाने में शिकायत दर्ज कराई है। महिला ने अपनी तहरीर में कहा कि ससुराल वालों ने 10 लाख रुपये और एक महंगी गाड़ी की मांग की, जिसे न पूरा करने पर उन्हें शारीरिक तथा मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
महिला के अनुसार, उनकी शादी 25 नवंबर 2022 को दिल्ली के निवासी आशीष से हुई थी। विवाह के बाद उन्होंने जाना कि उनके पति पर लगभग 12 लाख रुपये का कर्ज है। इसी कारण, ससुराल वाले 10 लाख रुपये और एक महंगी गाड़ी की मांग करने लगे। जब यह मांग पूरी नहीं हुई, तो महिला को बार-बार प्रताड़ित किया गया।
महिला ने यह भी आरोप लगाया कि कई बार घर के भीतर उनकी हत्या का प्रयास किया गया, लेकिन वह बच गईं। अक्टूबर 2024 में, उनके पति ने उन्हें अपने रिश्तेदार के घर ले जाकर दहेज की मांग पूरी न होने पर वहां रखने से इनकार कर दिया। जब उन्होंने विरोध किया, तो दुपट्टे से उनका गला दबाने की कोशिश की गई और अंततः उन्हें घर से निकाल दिया गया।
महिला की शिकायत के आधार पर पुलिस ने पति आशीष, सास सुशीला, ससुर अशोक और देवर अक्षय के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। एसीपी इंदिरापुरम, अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि मामले की गहनता से जांच की जा रही है और तथ्यों के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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