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मौनी अमावस्या हादसे के बाद एक बार फिर कुंभ मेले में रौनक

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मौनी अमावस्या हादसे के बाद एक बार फिर कुंभ मेले में रौनक
प्रयागराज। वसंत पंचमी को होने वाले आखिरी राजसी अमृत स्नान में जनसमूह का उमड़ना जारी है जिसे लेकर प्रशासकीय मुस्तैदी को देखा जा सकता है। वैसे इसके दो दिन पूर्व विदेशी राजनयिकों के समूह संग देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी कुंभ यात्रा संपन्न कर लौट चुके हैं। इस दौरान इन सभी के लिए यहां के प्रसिद्ध मंदिर एवं तीर्थों का दर्शन कार्यक्रम था और कुंभ मेला में आए साधु अखाड़ों का भ्रमण और कुछेक अतिविशिष्ट संतों से मुलाकात भी इस यात्रा का हिस्सा था। ऐसी यात्राएं निश्चित तौर पर कुंभ उत्सव के लिए महत्वपूर्ण है।
अतिविशिष्ट जन निश्चित तौर पर इसके माध्यम से सनातन संस्कृति के विभिन्न पक्ष पहलुओं से अवगत होंगे। वहीं इनके द्वारा कुंभ पर्व का संदेश भी दूर तक जाएगा। किंतु इस पूरे कार्यक्रम की रूपरेखा पूर्व में आए दूसरे अतिविशिष्ट लोगों की यात्रा व्यवस्था के समान ही थी। प्रश्न यह भी है कि आखिर वो कौन सी मजबूरी है कि इस अवसर पर अतिविशिष्ट व्यक्तियों की वीवीआईपी, वृहत कुंभ यात्रा निश्चित की जाती है? जबकि कुंभ उत्सव अभी शिवरात्रि पर्व तक चलना है। इस बीच वसंत पंचमी उपरांत नागा साधुओं का जत्था वापस लौटेगा। वहीं 12 फरवरी को होने वाले माघ पूर्णिमा स्नान के अलावा बीच में कोई भी पर्व स्नान नहीं है। इस अवधि में ऐसे विशिष्ट लोगों के लिए यात्रा कार्यक्रम बनाना कहीं अधिक उपयुक्त होगा। अन्यथा पर्व स्नानों पर अफरातफरी की आशंका सदैव बनी ही रहेगी।
दरसल ऐसे हादसे बारंबार होते ही रहे है। जहां भी एक अवधि विशेष में अत्यधिक भीड़ उमड़ेगी वहां ऐसी दुर्घटनाओं की आशंका निश्चित तौर पर कहीं अधिक होगी। बात मौनी अमावस्या स्नान दुर्घटना की करें तो यह तिथि प्रयागराज कुंभ के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्नान में से एक थी। किंतु 144 वर्ष उपरांत वाले महाकुंभ का प्रचार भी इस अतिशय भीड़ का कारण बना। जबकि रही सही कसर कुछेक बेतुके बोल रहे हैं। मौनी अमावस्या को इस कुंभ का इकलौता सबसे महत्वपूर्ण स्नान बताना और जो कुंभ न आए वो देशद्रोही ऐसे ही वक्तव्यों में से रहे हैं।

इनमें से किसी भी बात का कोई तथ्यात्मक एवं शास्त्रीय प्रमाण उपलब्ध नहीं है। ऐसे में इस प्रकार के प्रचार से करोड़ों लोगों का जुटना स्वाभाविक था। इन श्रद्धालुओं का एक बड़ा वर्ग कुंभ क्षेत्र के संगम तट स्नान का आकांक्षी था। अपनी मान्यताओं के नाते ये इसे लेकर भी आग्रही थे। ऐसे में मौनी अमावस्या स्नान के अपार भीड़ को लेकर कुछेक विशेष प्रयासों की जरूरत थी। ऐसे उपक्रम गणतंत्र दिवस से ही चलाए जाने चाहिए थे।

दरसल यहां श्रद्धालुओं का बड़ा समूह अवकाश दिवसों पर भी उमड़ रहा है। अतः पर्व स्नान से लेकर ऐसे सभी दिनों मे मेला क्षेत्र के सभी शिविर सभी लोगों के लिए खुलने चाहिए। यहाँ विशिष्ट जनों सहित आम श्रद्धालुओं के लिए भी व्यवस्था हो।
यदि ऐसा हुआ होता तो मौनी अमावस्या को घाटों पर दबाव कहीं कम होता। किंतु दुर्भाग्यवश अधिकांश बड़े शिविर वाले संतों के यहां इस संवेदना का सर्वथा अभाव है। वहीं ऐसी तिथि विशेष के आसपास हर विशिष्ट व्यक्ति की कुंभ यात्रा को रोकना चाहिए। यही नहीं शासन,संत और मीडिया द्वारा जारी कुछेक निवेदनों द्वारा भी जनसमूह एवं समुदाय को नियंत्रित तथा व्यवस्थित किया जा सकता है। आखिर जो संत स्वतः परिस्थितियों के अनुसार परंपराओं के इतर का निर्णय ले सकते हैं, वो भला क्या जनहित में व्यवहार बुद्धि के साथ कुछ वक्तव्य जारी नहीं कर सकते हैं?

मौनी अमावस्या की आपदा उपरांत संतों ने अपने अमृत स्नान के समय में बदलाव किया था। यदि इस सब के बावजूद भी बात नहीं बनने की सूरत में कुछ और भी किया जा सकता है, यथा आगंतुक को घाटों से सीधे कुंभ मेला क्षेत्र से बाहर निकाले जाने का भी विकल्प होना चाहिए। ऐसी व्यवस्था भीड़ होने पर हर पर्व स्नान के दो एक दिन पूर्व चलानी चाहिए। यह संतों के होने वाले अमृत स्नान कार्यक्रम पूर्व तक के लिए आवश्यक है।ऐसे सभी प्रयास निश्चित ही उपयोगी हो सकते है। किंतु वास्तव में ऐसे दुखांत हादसे बारंबार होते क्यों है,आवश्यकता इस पर विचार करने की है।

इसी कुंभ उत्सव के बीच प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर भगदड़ मे भी भी कई लोग असमय काल कवलित हुए है। इससे पहले भी भारत के कई प्रसिद्ध देवालय,उत्सवों एवं तीर्थ नगरियों मे होने वाले पर्व विशेष के आयोजन के दौरान ऐसी दुखांत घटनाएं होती रही हैं। बात चाहे तमिलनाडु के प्रसिद्ध कुम्भकोणम उत्सव की करें अथवा बंगाल के गंगासागर मकर संक्रांति पर्व की करें। यही नहीं देश के सुप्रसिद्ध मंदिरों में भी ऐसे हादसे होते रहे है। इसमें जम्मू कश्मीर के माता वैष्णो देवी मंदिर से लेकर हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर एवं केरल के सबरीमाला तक है। यही नहीं अगर कुंभ मेलों का इतिहास देखे तो सन् 2019 के प्रयागराज अर्ध कुंभ को छोड़ हर कुंभ में कोई न कोई छोटा बड़ा हादसा होता ही रहा है। वास्तव में इसके पीछे के कारणों का विचार करें तो प्राथमिक तौर पर तिथि विशेष पर श्रद्धालुओं का जुटना नजर आता है।

दरअसल, किसी दिन अथवा तारीख को परंपरा विधानों के नाते तीर्थ, मंदिर अथवा उत्सवों में अतिशय भीड़ उमड़ती ही है। यही नहीं कई देवस्थानों पर सामान्य दिनों में भी अतिशय जनसमूह का जुटना होता है। हर श्रद्धालु इन स्थानों पर दर्शन,स्नान एवं सहभागिता की भावना के साथ आता है। किंतु वीवीआईपी वाली कुसंस्कृति संपूर्ण व्यवस्था पर भारी है। इस नाते आए दिन किसी न किसी धार्मिक आयोजन में ऐसी कोई दुर्घटना होती ही रहती है। दुर्भाग्यवश सनातन हिंदू धर्म के तीर्थ मंदिर एवं श्रद्धालु इसके सर्वाधिक भुक्तभोगी है। आखिर जिस धर्म की विशेषता ईश्वरीय सत्ता के सर्व सुलभता एवं सर्व समानता के सिद्धांत पर आधारित है, उसके तीर्थ,मंदिर एवं विभिन्न उत्सवों में भेदभाव वाली व्यवस्थाओं का क्या मतलब है? इसी के नाते अकसर भीड़ का अतिशय दबाव बनता है जो अंततः भगदड़ मे बदल जाता है।

वास्तव में यह तो धर्म विचार के विरुद्ध वर्गभेद, सामाजिक विभेद बढ़ाने वाला निंदनीय कृत्य है। यह लोगों में धार्मिक अश्रद्धा को भी जन्म देता है। आखिर जिस राम राज्य का विचार गांधी-लोहिया और दीनदयाल से लेकर साम्यवादियों तक को लुभाता रहा वो तो इससे ठीक उलट है। राम के राज्य में परस्पर विरोधी भी एक साथ रहते थे। अयोध्या के राजघाट पर राजा राम से लेकर समाज के आखिरी पायदान का आदमी एक साथ स्नान करता था। जिसका उदाहरण भगवती सीता के संदर्भ में इसी घाट से आई एक धोबी की राय के रूप में वर्णित है।

यह दृष्टांत रामायण की एक महत्वपूर्ण घटना है। यहां तक कि दूसरे किसी मत पंथ,धर्म एवं मजहब में भी ऐसी व्यवस्थाएं नहीं है। किंतु यहां धन,पद एवं प्रभाव के अनियंत्रित इस्तेमाल द्वारा तीर्थ, मंदिर एवं उत्सवों में विशेष सुविधाओं का प्रावधान सा बना दिया गया है। ऐसे में साधु संतों को आगे आकर इस वीवीआईपी वाली कुसंस्कृति का विरोध करना चाहिए। मंदिर एवं तीर्थ से संबंधित व्यवस्थापन इकाइयों पर इसे बंद करने का दबाव हो। वैसे इस विषय में श्रद्धालुओं को पहल तथा न्यायालय को स्वत संज्ञान भी लेना चाहिए।

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प्रयागराज पहुंचे CM योगी आदित्यनाथ, कुंभनगरी का किया हवाई सर्वे

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राज्यपाल आनंदी बेन पटेल रविवार को प्रयागराज में हैं।आनंदी बेन पटेल फ्लोटिंग जेटी से संगम नोज पहुंची। आनंदीबेन पटेल संगम पर दर्शन पूजन करने के बाद अक्षयवट में दर्शन-पूजन करेंगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को साढ़े चार घंटे के लिए प्रयागराज में हैं। मुख्यमंत्री ने सुबह प्रयागराज का हवाई सर्वे किया। वन एवं पर्यावरण विभाग की ओर से आयोजित कुंभ की आस्था और बदलता पर्यावरण विषय पर आयोजित कॉनक्लेव में शिरकत की।

हवाई मार्ग से आने वाले यात्रियों की संख्या रही ज्यादा
प्रयागराज एयरपोर्ट पर शुक्रवार को 94 विमानों की आवाजाही हुई। इस दौरान जाने वाले यात्रियों से प्रयागराज आने वाले यात्रियों की संख्या ज्यादा रही। 7433 यात्री हवाई सफर से प्रयागराज पहुंचे जबकि 7241 यात्रियों ने दूसरे शहरों के लिए उड़ान भरी। इस दौरान नॉन शेड्यूल की 38 चार्टर प्लेन से 124 यात्री आए जबकि 38 चार्टर प्लेन से 194 यात्रियों ने दूसरे शहरों के लिए उड़ान भरी। इस दौरान इंडिगो की 17, एलाइंस एयर की आठ, अकासा की दो, स्पाइस जेट की 15 और एयर इंडिया की पांच विमानों की आवाजाही रही।

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दिल्ली में हुई भगदड़ के बाद भोपाल मंडल के सभी स्टेशनों पर अलर्ट जारी

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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ के बाद मध्य प्रदेश के भोपाल मंडल के स्टेशनों पर भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे के मद्देनजर भोपाल मंडल रेलवे प्रशासन यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठा रहा है। इसलिए छुट्टी का दिन होने के बावजूद भोपाल मंडल रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी स्टेशन पर गए और सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया।

अलर्ट मोड में रहने का निर्देश
भोपाल रेल मंडल के DRM टीटी देवाशीष त्रिपाठी ने बताया कि रेलवे मंडल से हर दिन 40 से ज्यादा कुंभ स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। इन स्पेशल ट्रेनों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यात्रा कर रहे हैं। मंडल के प्रशासन द्वारा सभी खास स्टेशनों पर सुरक्षा को लेकर सख्त मॉनिटरिंग की जा रही है। स्टेशनों पर सुरक्षा के लिए रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और राजकीय रेलवे पुलिस (GRP) की फोर्स को तैनात किया गया है। इन फोर्स के साथ रेलवे स्टाफ को भी स्टेशन पर अलर्ट मोड में रहने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही भोपाल मंडल के हर स्टेशन के फोटो, वीडियो मंगवा कर निगरानी की जा रही है।

अधिकारियों को मंडल का आदेश
स्टेशन पर ओवरक्राउडिंग के हालात बनने से पहले ही अधिकारियों को इसकी सूचना देने का आदेश दिया गया है। सभी स्टेशनों पर एडवांस सुरक्षा बल तैनात करने को भी कहा गया है। इसके अलावा, यात्रियों को सुरक्षित और अनुशासन के साथ प्लेटफॉर्म तक पहुंचाने के लिए गाइडलाइन का पालन करने के लिए कहा गया है।

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बाराबंकी: पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर बड़ा हादसा, अयोध्या जा रहे 4 श्रद्धालुओं की मौत, 6 घायल

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उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में एक भीषण सड़क हादसा हुआ है, जिसमें चार श्रद्धालुओं की मौत हो गई और छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। यह हादसा थाना लोनी कटरा क्षेत्र के अंतर्गत पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर हुआ। हादसे में एक तेज रफ्तार टेम्पो ट्रेवलर सड़क किनारे खड़ी एक खराब टूरिस्ट बस में जा घुसी।

हादसा कैसे हुआ?

बताया जा रहा है कि श्रद्धालुओं से भरी टेम्पो ट्रेवलर तेज गति से आ रही थी। टेम्पो के ड्राइवर को अचानक नींद का झोंका आया और इसी कारण वह गाड़ी का संतुलन खो बैठा। इस वजह से टेम्पो सीधे सड़क पर खड़ी टूरिस्ट बस से टकरा गई। इस टक्कर के बाद दोनों गाड़ियों के परखच्चे उड़ गए। हादसे के वक्त टेम्पो में डेढ़ दर्जन से ज्यादा श्रद्धालु सवार थे।

हादसे में जान गंवाने वाले श्रद्धालु
हादसे में चार श्रद्धालुओं की जान चली गई, जिनमें एक महिला और तीन पुरुष शामिल हैं। वहीं छह लोग घायल हुए हैं, जिनमें से दो की हालत गंभीर है। गंभीर रूप से घायलों को इलाज के लिए लखनऊ ट्रॉमा सेंटर भेजा गया है।

पुलिस का रेस्क्यू ऑपरेशन

हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस और बचाव दल मौके पर पहुंचे। पुलिस ने सबसे पहले घायलों को नजदीकी अस्पताल पहुंचाया और शवों को कब्जे में लेकर उनकी पहचान शुरू की। एसपी दिनेश कुमार सिंह भी मौके पर पहुंचे और जानकारी दी कि खराब खड़ी टूरिस्ट बस छत्तीसगढ़ से वृंदावन होते हुए अयोध्या जा रही थी। वहीं टेम्पो ट्रेवलर महाराष्ट्र से वृंदावन होते हुए अयोध्या जा रही थी।

फरार ड्राइवर की तलाश जारी

हादसे के बाद टेम्पो का ड्राइवर फरार हो गया है। पुलिस ने उसकी तलाश शुरू कर दी है और उसे जल्द पकड़ने की कोशिश की जा रही है।

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