उत्तर प्रदेश

बीजेपी संगठन चुनाव में गाजियाबाद महानगर में जरनल और जिले में ओबीसी की होगी ताजपो…

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बीजेपी संगठन चुनाव में गाजियाबाद महानगर में जरनल और जिले में ओबीसी की होगी ताजपोशी…..महानगर में MG या PG किसके सिर सजेगा ताज़ , जिले में AP या DD या CP छीन लेगा सबका चैन…..
थोक के भाव में अध्यक्ष पद के लिये आवेदन करने वाले जो पद से पिछड़ने वाले है आखिरकार इन यशस्वी,तेजस्वी और ओजस्वी युवा और वरिष्ठ नेताओं का आखिर क्या होगा अगला टार्गेट …

जितनी उत्सुकता किसी चुनाव के लिये गाँव की पंचायत से लेकर संसद की पंचायत के चुनाव में प्रत्याशियों और उनके समर्थकों को होती है ऐसा ही आलम बीजेपी के संगठन के जिला और महानगर अध्यक्ष पदों को लेकर बीजेपी देवतुल्य कार्यकर्ताओं से लेकर जनप्रतिनिधियों में भी दिख रहा है l जो लोग इन पदों की दौड़ में है ,उनमे से जो गंभीर दावेदार है l उन लोगों को आज की रात काफी भारी रहने वाली है और आज रात वो केवल करवटें बदल बदल कर ही काटेंगे l यूपी के सभी जिला और महानगर अध्यक्ष पद की घोषणा के लिये रविवार दोपहर 2:00 बजे का समय मुकर्रर किया गया है l इसके लिये संगठन में शीर्ष पदों पर विराजमान लोगों ने रणनीति के तहत वहां के प्रभारियों को एक्टिव कर दिया है कि वो वहां मौजूद रहकर गुटबाजी और पद ना मिलने से हताश और नाराज कार्यकर्ताओं को होंसला दे l दरअसल अब बीजेपी के संगठन के अध्यक्ष पद पर आसीन महानुभावों का जलवा चुने या नामित जनप्रतिनिधियों से कम नहीं होता बल्कि कंही कंही तो संगठन सर्वोपरि सिद्धांत के चलते ज्यादा तवज्जो मिलती है l बात इतनी भर नही है दरअसल पदों को लेकर मारा मारी मचने की एक बड़ी वज़ह 2027 के विधानसभा चुनाव भी है ,क्योंकि अब जो भी संगठन का ढांचा तैयार होगा, ऐसे में विधानसभा चुनाव कराने की जिम्मेदारी उसी के कंधों पर होगी और विधानसभा चुनाव लड़ने वाले दावेदार जनप्रतिनिधियों के अपने खेमे के जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष नहीं होंगे तो कई के दावेदारी के गणित भी गड़बड़ायेगें l इसी को ध्यान में रखते हुए विधायक और सांसद भी अपने चहेतो के लिए अपने अपने आकाओं के दरबार में हाजिरी लगाकर अपने पंसदीदा चेहरे के नाम पर सहमती बनाने में लगे थे l दिल्ली दरबार से लेकर लखनऊ तक और संघ के बड़े बड़े भाई साहबो तक नमस्ते से लेकर चरण वंदन का कार्यक्रम चालू रहा l
आखिर संगठन के पदों के लिये इतनी कसरत क्यूं हो रही है l आखिर इसके पीछे की वज़ह क्या है जो इसके लिए इतनी आपाधापी मची हुई है क्योंकि संगठन में तो पार्टी के लिए बिना किसी लाभ या वेतन के दिन रात काम करना पड़ता है और इसमें संगठन का व्यक्ति अपने परिवार तक को ज्यादा समय तक नहीं दे पाता l फिर भी आखिर क्यों अध्यक्ष पद के लिये इतनी ज्यादा महत्वकांक्षा है l जब बीजेपी की सरकार सत्ता में नहीं थी l तो अध्यक्ष पद के लिए इतनी जद्दोजहद नहीं होती थी l जो आजकल दिख रही है l दरअसल इसकी बड़ी वज़ह वो ग्लैमर है ,जो संगठन के पदों पर आसीन लोगों के कार्यक्रम में दिखता है l जो तवज्जो अध्यक्ष को मिलती है l जिसे नये से नये और पुराने से पुराने सभी कार्यकर्ता अपनी आँखों से देखते है l उस सब के लिए वो भी सपने संजोते है l साथ ही किस तरह अध्यक्षों के जन्मदिन हो या शादी की सालगिरह या फिर कोई और मौका वो सब किसी बड़े समारोहों की तरह सेलिब्रेट किये जाते है l उसकी चकाचौंध नये उभरते युवा नेताओं से संगठन के बाकी पदाधिकारियों को भी ख़ासा आकर्षित करती है l साथ ही दशकों तक पार्टी का झंडा उठाने वाले वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के मन को भी ये चमक दमक वाले कार्यक्रम कंही ना कंही कचोटने वाले होते है ,कि रात दिन एक करके वो पार्टी को यहां तक लाये है और वो ही आज हासिये पर है l बल्कि उनसे ज्यादा पूछ तो जुमा जुमा चार दिन पहले दूसरे दलों से आये लोगों को उनसे ज्यादा तवज्जो संगठन के लोग ही देने लग जाते है l ऐसे में वे उस समय को याद करते है जब उन्होंने इस पार्टी को उस समय अपने खून पसीने से सींचा जब परिस्थितियां विषम थी और पार्टी का झंडा उठाने वाले चंद लोग हुआ करते थे l लेकिन वो सब बीती बातें है l अब नई भाजपा है नया जोश है और जिसे जो सोचना है सोचे यहां किसी को कोई फर्क़ नहीं पड़ता l अध्यक्षीयनीत परंपरा है या यूं कहें महानगर से क्षेत्रीय और प्रदेश से राष्ट्रीय अध्यक्ष ऐसे पद है l जो अपने अपने स्थानों पर संगठन की शक्ति के केंद्र है और इनके इर्दगिर्द ही पार्टी की समस्त राजनीति घूमती है और ये सब केवल अध्यक्ष पद तक सीमित नहीं रहेगा l अध्यक्ष पद के बाद संगठन की टीम में जगह पाने के लिये फिर एक बार यही क्रम दोहराया जायेगा l आज जो लोग अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल है उन्हीं में से ना जाने कितने लोग संगठन की नीचे की सीढ़ियां उतरते उतरते संगठन के निचले पायदान पर काबिज होने के लिये हर जोर आजमाइश करते नजर आयेंगे…..



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