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सच साबित हुई हमारे सूत्रों की खबर…. और आखिरकार लंबे इंतजार के बाद भाजपा ने ज्…

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सच साबित हुई हमारे सूत्रों की खबर….

और आखिरकार लंबे इंतजार के बाद भाजपा ने ज्यादातर जिला और महानगर के अध्यक्षों की घोषणा कर दी…कुछ जगह ज्यादा खींचतान और संघठन के अनुरूप जातिगत जटिलताओं के चलते कुछ जिलों और महानगर के अध्यक्षों को थोड़ा संयम रखना होगा….
बात दिल्ली से सटे गाजियाबाद की करें तो यहां पर महानगर में MG यानी कि मयंक गोयल चांद की तरह चमके तो जिले में CP यानी कि चैन पाल ने अध्यक्ष बनने का सपना देख रहे सब दावेदारों का चैन छीन लिया है…हमारी कल की पोस्ट में MG और CP के नाम को लेकर अपने सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर कल ही लिख दिया था,जिस पर आज हुई अध्यक्षों की घोषणा के बाद पक्की मोहर लग गई l बीजेपी से जुड़े कई लोगों को इसकी जानकारी पहले से ही थी l
खैर अब बात नये अध्यक्षों की कर ली जाये तो महानगर अध्यक्ष पद के लिये मयंक गोयल पहले दिन से ही मजबूत दावेदार थे l लेकिन चैन पाल गुर्जर के नाम ने सबको चौंकाया है l हालांकि दोनों अध्यक्ष पार्टी के पुराने और समर्पित कार्यकर्ता रहे है l ऐसे में किसी को भी इनके नाम पर एतराज नहीं होना चाहिये और अगर किसी को अंदरखाने होगा भी तो वो सार्वजनिक रूप से इसे जता नहीं सकते l
मयंक गोयल और उनका परिवार पहले से ही संघ मे गहरी पकड़ रखता है और इसी का नतीजा है कि आज अध्यक्ष का ताज उनके सर आया है l हालांकि अंदरखाने की बात ये भी है कि वर्तमान किसी भी जनप्रतिनिधि की पहली पसंद मयंक गोयल नहीं थे l वैश्य समाज से ही पवन गोयल और गोपाल अग्रवाल को जनप्रतिनिधियों का समर्थन था l वहीं यदि महानगर में ओबीसी चेहरे पर विचार किया जाता तो मान सिंह गोस्वामी का पलडा भारी होता l ऐसा नहीं है मयंक गोयल की राह आसान रही है l पवन गोयल के नाम पर आखिर तक चर्चा हुई थी लेकिन सूत्रों का कहना है कि गाजियाबाद के एक बड़े जनप्रतिनिधि उनके नाम को लेकर असहज थे l इसलिए बाद में उन्होंने भी मयंक गोयल के नाम पर ही अपनी मोहर लगा दी l वहीं जिला अध्यक्ष पद को लेकर खेला हो गया है l जहाँ क्षेत्र और प्रदेश के बड़े पदाधिकारी सतपाल प्रधान को ही रिपीट कराना चाहते थे l वहीं संघ से जुड़े लोग समर्पित कार्यकर्ता डीडी यादव को चाहते थे l लेकिन जातिगत समीकरण में वो फिट नहीं बैठे इसलिए उनका इंतजार और लंबा हो गया l जितेन्द्र चितोड़ा को लंबे समय से आश्वासन दे रहे प्रदेश टीम के सदस्य इस बार भी उनका कोई भला नहीं करा पाये और जिले के बागडोर ऐसे कार्यकर्ता के हाथ आ गई जिसे कुछ दिनों पहले तक कोई गिनती में नहीं गिन रहा था l हालांकि चार बार जिला उपाध्यक्ष और मंडल अध्यक्ष जैसे दायित्व निभा चुके चैन पाल गुर्जर 1992 से बीजेपी से जुड़े है l उन्हें और मयंक गोयल को धैर्य रखने और पार्टी के प्रति समर्पण का ये ईनाम कहा जा सकता है l या यूं कहें कि लोकसभा में मुहँ की खाने के बाद पार्टी को फिर से अपने जमीनी कार्यकर्ताओं की याद आयी है l क्योंकि आने वाला विधानसभा चुनाव इनके कंधों पर ही लड़ा जायेगा…….

अगला विश्लेषण….कैसे बदल जाएगी देखते ही देखते आस्था और वफ़ा…..

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महाकुंभ के बाद होली ने दिया सनातन विरोधियों को जवाब, सीएम योगी ने दिया एकता का संदेश

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि महाकुंभ के बाद अब होली के त्योहार ने सनातन धर्म के विरोधियों को जवाब दे दिया है. मुख्यमंत्री ने होली के अवसर पर शुक्रवार सुबह होलिका दहन के भस्म के तिलक से शुरुआत करने और फिर घंटाघर से निकलने वाली भगवान नृसिंह की पारंपरिक रंगभरी शोभायात्रा में शामिल होकर होली खेली.

सीएम योगी ने शाम तक गोरखनाथ मंदिर में होली मिलन कार्यक्रम में उमड़े लोगों पर फूलों की बौछार की. इस अवसर पर उन्होंने सभी को होली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा कि महाकुंभ के बाद अब होली ने सनातन धर्म के विरोधियों को जवाब दे दिया है और पूरे प्रदेश में शांति तथा सौहार्दपूर्ण तरीके से होली का आयोजन संपन्न हुआ है.

मुख्यमंत्री ने गोरखनाथ मंदिर के महंत दिग्विजयनाथ स्मृति भवन सभागार में आयोजित होली मिलन कार्यक्रम में कहा कि जो लोग सनातन धर्म की परंपराओं पर और सनातन धर्म पर सवाल उठाते थे, उन लोगों को जवाब है होली. जो लोग सनातन को बदनाम करते हैं और हमेशा दुष्प्रचार करते हैं कि सनातन धर्म जाति के नाम पर, मत और संप्रदाय के नाम पर, क्षेत्र और भाषा के नाम पर, अगड़ी-पिछड़ी के नाम पर, छुआछूत और अस्पृश्यता के नाम पर बंटा है, इन दुष्प्रचारों का जवाब महाकुंभ के बाद आज होली ने भी दे दिया है.

उन्होंने कहा कि होली पर एक साथ हर भारतवासी, हर सनातन धर्मावलंबी गले मिल रहा था, रंग और गुलाल लगा रहा था, उत्साह-उमंग के साथ भारत की सनातन परंपरा को मजबूती प्रदान कर रहा था. यही तो हमारी सबसे बड़ी ताकत है. महाकुंभ के बाद होली के पर्व ने अपनी परंपरा और संस्कृति के प्रति श्रद्धा और आस्था का भाव प्रदर्शित कर यही संदेश दिया है कि सनातन लोगों के बीच कोई बंटवारा नहीं है.

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि बंटवारा तो सनातन धर्म को बदनाम करने वालों की बुद्धि में है, ऐसे लोगों की बुद्धि दूषित है. सीएम ने कहा कि देश ने लंबे समय तक गुलामी झेली है और आक्रांताओं ने होली, दीपावली जैसे पर्व-त्योहार और महाकुंभ जैसे आयोजनों को बाधित करने का प्रयास किया लेकिन सनातनियों की अधिक आस्था के चलते वे कभी सफल नहीं हो पाए.

उन्होंने कहा कि सनातन धर्म को जीवन पद्धति कहा जाता है. इसमें अगर कभी कोई विकृति आ गई हो तो उसमें सुधार का मार्ग हमारे पर्व-त्योहार स्वयं ही आगे बढ़ा देते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया देख रही थी जब 13 जनवरी से 26 फरवरी के बीच, 45 दिनों के प्रयागराज महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं का पावन त्रिवेणी में डुबकी लगाना दुनिया के लिए कौतुक और आश्चर्य का विषय था. दुनिया के लिए यह चमत्कार था लेकिन सनातन धर्मावलंबियों के लिए वह सामान्य जीवन पद्धति का हिस्सा था. क्योंकि कुंभ की परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है. यह भारत की ज्ञान की परंपरा और ऋषि परंपरा है.

उन्होंने कहा कि प्रयागराज महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालु स्नान करने आए. इसके साथ ही दुनिया में ऐसा कोई सनातन धर्मावलंबी नहीं होगा जिसके घर महाकुंभ का गंगाजल न पहुंचा हो, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मॉरीशस की यात्रा पर गए थे और मॉरीशस के राष्ट्राध्यक्ष को उन्होंने गंगाजल भेंट किया.

सीएम ने खुद प्रदेश में होली के आयोजन की जानकारी लेने का जिक्र करते हुए कहा कि पूरे प्रदेश में लोग आनंद के साथ होली खेलते रहे. उन्होंने कहा कि हजारों वर्षों की विरासत में मिली पर्व और त्योहारों की परंपरा को हमें संभाल कर रखना होगा. यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने पर्व और त्योहारों को किसी रूढ़िवाद का या किसी दुष्प्रवृति का शिकार नहीं बनने दें. जब तक ऋषि परंपरा की इस विरासत को इसी आस्था और श्रद्धा भाव के साथ आगे बढ़ाएंगे, तब तक दुनिया की कोई ताकत हमारा बाल बांका नहीं कर सकती.

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बीजेपी संगठन चुनाव में गाजियाबाद महानगर में जरनल और जिले में ओबीसी की होगी ताजपो…

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बीजेपी संगठन चुनाव में गाजियाबाद महानगर में जरनल और जिले में ओबीसी की होगी ताजपोशी…..महानगर में MG या PG किसके सिर सजेगा ताज़ , जिले में AP या DD या CP छीन लेगा सबका चैन…..
थोक के भाव में अध्यक्ष पद के लिये आवेदन करने वाले जो पद से पिछड़ने वाले है आखिरकार इन यशस्वी,तेजस्वी और ओजस्वी युवा और वरिष्ठ नेताओं का आखिर क्या होगा अगला टार्गेट …

जितनी उत्सुकता किसी चुनाव के लिये गाँव की पंचायत से लेकर संसद की पंचायत के चुनाव में प्रत्याशियों और उनके समर्थकों को होती है ऐसा ही आलम बीजेपी के संगठन के जिला और महानगर अध्यक्ष पदों को लेकर बीजेपी देवतुल्य कार्यकर्ताओं से लेकर जनप्रतिनिधियों में भी दिख रहा है l जो लोग इन पदों की दौड़ में है ,उनमे से जो गंभीर दावेदार है l उन लोगों को आज की रात काफी भारी रहने वाली है और आज रात वो केवल करवटें बदल बदल कर ही काटेंगे l यूपी के सभी जिला और महानगर अध्यक्ष पद की घोषणा के लिये रविवार दोपहर 2:00 बजे का समय मुकर्रर किया गया है l इसके लिये संगठन में शीर्ष पदों पर विराजमान लोगों ने रणनीति के तहत वहां के प्रभारियों को एक्टिव कर दिया है कि वो वहां मौजूद रहकर गुटबाजी और पद ना मिलने से हताश और नाराज कार्यकर्ताओं को होंसला दे l दरअसल अब बीजेपी के संगठन के अध्यक्ष पद पर आसीन महानुभावों का जलवा चुने या नामित जनप्रतिनिधियों से कम नहीं होता बल्कि कंही कंही तो संगठन सर्वोपरि सिद्धांत के चलते ज्यादा तवज्जो मिलती है l बात इतनी भर नही है दरअसल पदों को लेकर मारा मारी मचने की एक बड़ी वज़ह 2027 के विधानसभा चुनाव भी है ,क्योंकि अब जो भी संगठन का ढांचा तैयार होगा, ऐसे में विधानसभा चुनाव कराने की जिम्मेदारी उसी के कंधों पर होगी और विधानसभा चुनाव लड़ने वाले दावेदार जनप्रतिनिधियों के अपने खेमे के जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष नहीं होंगे तो कई के दावेदारी के गणित भी गड़बड़ायेगें l इसी को ध्यान में रखते हुए विधायक और सांसद भी अपने चहेतो के लिए अपने अपने आकाओं के दरबार में हाजिरी लगाकर अपने पंसदीदा चेहरे के नाम पर सहमती बनाने में लगे थे l दिल्ली दरबार से लेकर लखनऊ तक और संघ के बड़े बड़े भाई साहबो तक नमस्ते से लेकर चरण वंदन का कार्यक्रम चालू रहा l
आखिर संगठन के पदों के लिये इतनी कसरत क्यूं हो रही है l आखिर इसके पीछे की वज़ह क्या है जो इसके लिए इतनी आपाधापी मची हुई है क्योंकि संगठन में तो पार्टी के लिए बिना किसी लाभ या वेतन के दिन रात काम करना पड़ता है और इसमें संगठन का व्यक्ति अपने परिवार तक को ज्यादा समय तक नहीं दे पाता l फिर भी आखिर क्यों अध्यक्ष पद के लिये इतनी ज्यादा महत्वकांक्षा है l जब बीजेपी की सरकार सत्ता में नहीं थी l तो अध्यक्ष पद के लिए इतनी जद्दोजहद नहीं होती थी l जो आजकल दिख रही है l दरअसल इसकी बड़ी वज़ह वो ग्लैमर है ,जो संगठन के पदों पर आसीन लोगों के कार्यक्रम में दिखता है l जो तवज्जो अध्यक्ष को मिलती है l जिसे नये से नये और पुराने से पुराने सभी कार्यकर्ता अपनी आँखों से देखते है l उस सब के लिए वो भी सपने संजोते है l साथ ही किस तरह अध्यक्षों के जन्मदिन हो या शादी की सालगिरह या फिर कोई और मौका वो सब किसी बड़े समारोहों की तरह सेलिब्रेट किये जाते है l उसकी चकाचौंध नये उभरते युवा नेताओं से संगठन के बाकी पदाधिकारियों को भी ख़ासा आकर्षित करती है l साथ ही दशकों तक पार्टी का झंडा उठाने वाले वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के मन को भी ये चमक दमक वाले कार्यक्रम कंही ना कंही कचोटने वाले होते है ,कि रात दिन एक करके वो पार्टी को यहां तक लाये है और वो ही आज हासिये पर है l बल्कि उनसे ज्यादा पूछ तो जुमा जुमा चार दिन पहले दूसरे दलों से आये लोगों को उनसे ज्यादा तवज्जो संगठन के लोग ही देने लग जाते है l ऐसे में वे उस समय को याद करते है जब उन्होंने इस पार्टी को उस समय अपने खून पसीने से सींचा जब परिस्थितियां विषम थी और पार्टी का झंडा उठाने वाले चंद लोग हुआ करते थे l लेकिन वो सब बीती बातें है l अब नई भाजपा है नया जोश है और जिसे जो सोचना है सोचे यहां किसी को कोई फर्क़ नहीं पड़ता l अध्यक्षीयनीत परंपरा है या यूं कहें महानगर से क्षेत्रीय और प्रदेश से राष्ट्रीय अध्यक्ष ऐसे पद है l जो अपने अपने स्थानों पर संगठन की शक्ति के केंद्र है और इनके इर्दगिर्द ही पार्टी की समस्त राजनीति घूमती है और ये सब केवल अध्यक्ष पद तक सीमित नहीं रहेगा l अध्यक्ष पद के बाद संगठन की टीम में जगह पाने के लिये फिर एक बार यही क्रम दोहराया जायेगा l आज जो लोग अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल है उन्हीं में से ना जाने कितने लोग संगठन की नीचे की सीढ़ियां उतरते उतरते संगठन के निचले पायदान पर काबिज होने के लिये हर जोर आजमाइश करते नजर आयेंगे…..



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