गरम मसाला
पुराने वाहनों से थाना पुलिस परेशान

पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम गाजियाबाद में लगातार थाने, पुलिस बल और वाहनों की संख्या बढ़ रही है। तो वहीं यूपी पुलिस से लेकर कमिश्नरेटों में लगातार पुलिस की वर्किंग से लेकर वाहनों की व्यवस्था में सुधार किया जा रहा है। पर ऐसे में सवाल उठ रहा है कि पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद के सूत्रों से जानकारी मिली है कि इन दिनों सिटी के कई थानों में थाने के पुराने वाहन थाने और चौकियों पर लग हुए हैं। इन पुराने वाहनों की वजह से पुलिस परेशान चल रही है। तो वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीते एक सप्ताह के दौरान सिटी जोन के दो प्रमुख थानों के वाहन खराब होने की जानकारी मिली है। तो वहीं चौकी पर चलने वाली कई पुलिस की बाइकें भी खस्ता हाल हंै। एक तरफ पुलिस आधुनिकरण स्कीम चल रही है, तो दूसरी तरफ पुलिस को हाईटेक बनाने का प्रयास होता चला आ रहा है। पर पुराने और खस्ता हाल हो चुके वाहन ना सिर्फ पुलिस की रफ्तार रोक रहे हैं बल्कि उनके मिशन को भी रोकने का काम कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया है कि सिटी के जिन दो थानों में बीते दिनों थाने वाली माइक मोबाइल खराब होने की जानकारी मिली है, तो उसमे वाहन नदिया पार के एक थाने की पुरानी गाड़ी लगाई गई थी। सुनने में आया है कि उसकी भी हालत ऐसी थी कि वह ठीक से चल नहीं रही थी। ऐसे में कोई घटना या अनहोनी हो जाए, तो सब कुछ भगवान भरोसे ही चल रहा है। इसके साथ ही पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद सिस्टम में लाइन वाले इलाके की एक चौकी पर भी ऐसा ही हाल बताया जा रहा है। जहां गाड़ी अधिकांश खड़ी रहती है, तो वहीं दो और थानों को लेकर भी ऐसी ही सूचनाएं हैं। तो वहीं रेलवे लाइन के निकट वाले एक कैंपस में भी पुरानी गाड़ियों की चर्चा हमेशा सुनने को मिलती है। कुल मिलाकर पुलिस के थाना प्रभारियों के पास और प्रमुख थानों में तो अप टू डेट वाहन होने ही चाहिए ताकि वह किसी भी स्थिति और परिस्थिति से निपट सके। उनकी स्पीड और कंडीशन ठीक हो। कुल मिलाकर पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद वाले सूत्र बता रहे हैं कि जिस तरीके से बीते दिनों पुलिस के शीर्ष अधिकारियों ने रात को अलग-अलग थानों में पहुंचने का सिलसिला शुरू किया है, अगर उनकी नजरें ऐसे वाहनों पर गई तो, इस मामले में जल्द ही कोई एक्शन और फिर रिएक्शन वाला सीन भी नजर आ सकता है।
उठते सवालों का करंट
उठते सवालों का करंट

क्यों कहा कहने वाले ने कि हम आपको बता रहे हैं अंदर की बात? यूं ही तुक्के में नहीं किया है कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा ने धार्मिक पाठ? हमें पता चला है उन्हें अपने स्वर्गीय दादा जी से हुआ है तमाम ज्ञान प्राप्त? वेद पुराणों पर उनके दादा जी करते थे उनसे बहुत ज्यादा बात? देते थे वो उनको रामायण से लेकर गीता तक की सीख? इसलिए मंत्री जी ने संभाला चार घंटे तक धार्मिक मंच? दादा जी का दिया ज्ञान, कर रहा था इस बात की तस्दीक?
क्यों कहा कहने वाले ने कि पापड़ मेकिंग वाले जनपद से आ रहे हैं ठाकुर रिटर्न के संकेत? कहने वाले ने कहा वेस्टर्न वालों से लेकर प्रदेश वालों ने कोर में बेस्ट माना था ये फेस? जिसके बाद इस चेहरे का बेस हो गया मजबूत? कहने वाले ने कहा इनकी पुन: ताजपोशी का हमें शब्दों से दिया है किसी ने सबूत? बताई है हमको अंदर की बात? हो रहा है ठाकुर रिटर्न, इस बात को लिखकर रख लो आप?
क्यों कहा कहने वाले ने कि हम आपको बता रहे हैं अंदर की बात? अगर सबकुछ ठीक रहा होता तो अध्यक्ष वाली दावेदारी में बन जाती मिस्टर कुशवाहा की बात? सुना है किसी ने पहले हां कहकर बाद में निभा लिया ना वाला किरदार? इसी से पलट गई पूरी बाजी? इसी से मामला हो गया बाहर? कहने वाले ने कहा ये भगवागढ़ की राजनीति है? यहां कभी भी कोई हो सकता है अंदर, कभी भी कोई हो सकता है बाहर?
क्यों कहा कहने वाले ने कि हमें है हमारे विधायक संजीव शर्मा से पूरी आस? भले ही वो हमारे एरिया को दुबई ना बना पायें, मगर हमें यकीन है वो यहां का करेंगे गुडगांव की तरह विकास? वो जब से विधायक बने हैं तब से कुछ ना कुछ विकास का दे रहे हैं संदेश? सच बतायें हमें अच्छा लग रहा है चुन कर उनका फेस? सबसे बड़ी बात ये है कि क्षेत्र के विकास को लेकर उन्होंने विजय नगर में बनाया है अपना बेस?
क्यों कहा कहने वाले ने कि हमारी सलाह पहुंचा देना भगवा पहलवान के पास? हम हैं उनके शुभचिंतक, वो हैं हमारे बहुत ही खास? तो इतनी ही देना चाहते हैं उनको सलाह? वो अपने फ्रेंड के साथ शहर में ही शिफ्ट हो जायें, तभी होगा उनका भला? वहां पर मजबूती से खुद के लिए और दोस्त के लिए तैयार करें वो जमीन? क्योंकि मंत्री जी की सक्रियता का दिख रहा है हमें कुछ और ही सीन? बाकी उनकी मर्जी है हमने तो लगायी अपने दिल की अर्जी है?
क्यों कहा कहने वाले ने कि सौंफ वाले भले ही हो गये हों अपनी भगवा कमिश्नरी से पूर्व? मगर हम देख रहे हैं वो आज भी पहलवान और पहलवान के दोस्त से प्यार करते हैं अभूतपूर्व? सोशल मीडिया पर वो दोनों की खुल कर करते हैं जिंदाबाद? इससे ये साफ होता है कि उनमें नहीं है अवसरवादिता वाला भाव? पूर्व रहकर भी वो हैं दोनों के साथ? सौफं की खुशबू पहले की तरह बरकरार है साहब?
क्यों कहा कहने वाले ने कि हम बैठे थे सपा के वरिष्ठ नेता अभिषेक गर्ग के नजदीक? सच बतायें हमें उनकी एक बात लगी बहुत ही ठीक? उन्होंने कहा हमें अधिकारियों से नहीं करनी चाहिए तकरार? उनका तो होता है क्षेत्र में किरायेदार वाला किरदार? आज इधर तो कल उधर होंगे उनके दीदार? हमें मुद्दों को लेकर सत्ता पक्ष से तार्किक रूप से रखने चाहिए अपने विचार? ये भी ध्यान रखना चाहिए कि इस सबके बीच सभी से ठीक रहे हमारा व्यवहार?
क्यों कहा कहने वाले ने कि हम बैठे थे गाजियाबाद से एक बड़े जनप्रतिनिधि के नजदीक? हमने जब उनके शब्द सुने तो लगा जनप्रतिनिधि को अपने भतीजे के 100प्रतिशत अध्यक्ष बनने की है उम्मीद? उन्होंने चेहरे पर लेकर मुस्कुराहट दे दिया संदेश? कहा हमें लगता है आ रहा है हमारे भतीजे का नंबर? बड़ा संघर्षवादी रहा है इनका फेस? इसलिए हमें जो है सूचना, उसके अनुसार फाईनल होता दिख रहा है इनका केस?
क्यों कहा कहने वाले ने कि आने लगे हैं फिर से क्रान्तिकारी त्यागी जी के सोशल मीडिया पर वीडियो? वो साध रहे हैं इस वक्त विपक्षी दलों पर निशाना? कहने वाले ने कहा उनके शब्द हमेंशा क्रान्तिकारी होते हैं? उनकी राजनीति में आसान है छोड़े हुए तीर का घूम जाना? ना जाने कब लग जाये उनके दिल पर कोई बात? आ जाये कोई दर्द भरा वीडियो जनता के हाथ? हमें इसलिए हो रहा है टपके का डर? क्योंकि फिर से उन्होंने वीडियो बनाने की कर दी है शरूआत?
क्यों कहा कहने वाले ने कि सांवरिया जी की तेजी दे रही है ना जाने किस बात के संदेश? आज कल बहुत ज्यादा एक्टिव किया हुआ है उन्होंने अपना फेस? समाजिक कार्यक्रमों से लेकर राजनीतिक कार्यक्रमों में वो भर रहे हैं पूरी शिद्दत से उड़ान? ऐसा लग रहा है उन्होंने अभी से बनाना शुरू कर दिया है 2027 का प्लान? उनकी सांवरियां सी मुस्कुराहट के पीछे छुपा है यही संदेश? साहिबाबाद, शहर या मुरादनगर में से पार्टी किसी एक विधानसभा पर जरूर उतारेगी वैश्य फेस?
गरम मसाला
दो थ्री-स्टार और 30 टू-स्टार किए गए सेट

पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद सिस्टम में तीन जोन हैं। हर जोन का अपना अलग ही स्वैग है। कहीं पर डीसीपी पॉवर मैन हैं तो कहीं पर एसीपी साहब लोग पूरे मैनेजमैंट को चला रहे हैं। वहीं बीते दिनों नदिया पार की एक लोकल लिस्ट आउट होने की जानकारी मिली है। बताया जा रहा है इसमें दो थ्री स्टार अलग अलग थाने और एसीपी कार्यालय में सेट किए गए हैं। तो वहीं 30 उपनिरीक्षक यानी टू-स्टार भी शामिल हंै। वहीं पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद वाले सूत्रों से जानकारी मिली है कि 17 ऐसे टू-स्टार हैं जो लाइन से पहले ट्रांस हिंडन जोन पहुंचे थे और अब ट्रांस हिंडन जोन से उनको अलग-अलग थानों में भेजा गया है। तो वहीं 11 चौकी प्रभारी के भी कार्यक्षेत्रों में बदलाव किया गया है। इसके पीछे की वजह साफ नहीं है। तो किसी को हल्का मिला है, तो किसी को चौकी वाला गिफ्ट भी मिला है। कोई पिंक बूथ से चौकी गया है, तो किसी को साइबर सेल से अटैच किया गया है। कुल मिलाकर पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद में बीते दिनों बड़ी संख्या में लाइन से अलग-अलग जोन में टू-और थ्री-स्टार भेजे गए थे। तो वहीं ट्रांस जोन में 32 वाली लिस्ट में दो थ्री स्टार और 30 टू-स्टार ऐसे हैं जिनको अब नई जगह से जोड़ दिया गया है। इस लिस्ट के बाद अब यह जल्द ही अपने नए वाले ठिकाने पर पहुंच जाएंगे। तो वहीं पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद वाले सूत्र बता रहे हैं कि बड़ी संख्या में थानों से टू-स्टार अटैक किए गए हैं। इसमें कई ऐसे हैं जो कभी भी रवाना किया जा सकते हैं, तो कई ऐसे हैं जो पूर्व में यहां रह चुके हैं। कुल मिलाकर देखना होगा कि पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद सिस्टम में जिस तरीके से बीच-बीच में शॉर्ट लिस्ट आ रही हैं, उसका सिलसिला आने वाले दिनों में किस जोन का आता है और क्या होली से पहले अभी पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद के थाना प्रभारी स्तर वाली लिस्ट में भी किसी प्रकार का टविस्ट् देखने को मिलेगा। इसके साथ ही पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद वाले सूत्र बता रहे हैं कि जिस तरीके के हाल और हालत चल रहे हैं, आने वाले दिनों में फिर एक बार एसीपी स्तर के कुछ फेस बदलाव की ओर मिल सकते हैं। सूचना मिली है कि एक महिला एसीपी को बीते दिनों जिम्मेदारी मिलने की चर्चा थी अभी देखना होगा कि वह कब पटरी पर आती हैंं। वहीं जिस तरीके से ट्रांस हिंडन वाली लिस्ट आई है ,उसमें कई जगह खुशी तो कई को थोड़ा गम भी महसूस हो रहा होगा।
गरम मसाला
जुबान संभाल के

अगर विपक्ष होता लायक तो नही बनते पावर फूल वाले जन नायक
कमल वालो की नगरी में कमाल ये है कि सरकार भी कमल वालों की ओर मोर्चा भी कमल वाले खोल देते हैं। फैसला उनका विरोध उनका धरना उनका जूस उनका और गले में माला उनके और जिंदाबाद उनकी। ई रिक्शा का मामला हो तो शहर विधायक आ जाते हैं। पैठ बाजार का मामला हो तो क्रांतिकारी विधायक से लेकर चौधरी मैडम मोर्चा खोलते हैं। पुलिस के फैसले पर प्रशासन का हथौड़ा चलता है मगर जय जयकार फूल वालों की हो जाती है। जिस मुददे पर विपक्ष वालों की जय होनी चाहिये थी उस मुददे पर पक्ष वाले महफिल लूट कर ले जाते हैं। ऐसा नही है कि विपक्ष वाले आवाज नही उठाते हैं मगर एकजुट होकर नही उठाते हैं। साईकिल वाले पंडित जी को पुलिस जेल भेज देती है तो साईकिल वाले ही एकजुट होकर आवाज उठाते हैं मगर तब तक फूल वाली पार्षद और फूल वाले विधायक फुल के्रेडिट ले जाते हैं। अगर जनता की इस लड़ाई में हाथ वाले भी आते और हाथी वाले भी आते तो ये संदेश जाता कि अपोजीशन मैदान में आ गया। मगर यहां अपोजीशन के उदासीन रहने के पीछे का सीन मुकदमे का डर भी है। क्रांतिकारी विधायक नही डरे क्रांतिकारी मैडम पार्षद दिलेर निकली और उन्होने नाराजगी की परवाह किये बिना मोर्चा खोला। अब जब फैसला पक्ष में आया है तो यकीनन पैंठ बाजार वालों की नजर में ये दोनो जन नायक भी बनकर उभरे हैं। अगर विपक्ष लायक होता तो सरकार का विधायक सरकार की पार्षद कैसे जन नायक होते।
सियासत में आता है लोचा इसलिये कमाडंर तुम मत बनना सकंट मोचा
अच्छी खासी पालिटिक्स चल रही थी और बिना हींग फिटकरी लगे ही रंग चोखा आ रहा था। मगर जिस टिकट को अमर अजर माना जा रहा था उसी में पालिटिकल धोखा हो गया। इसी बीच वो महामहिम हो गये और कमांडर भी विधानसभा के माननीय हो गये। सुना है कि मोतीनगर में भगवा कमांडर को खुराना जी ने सकंटमोचक बुलाया। किस्सा गाजियाबाद तक भी आया तो सर्मथकों ने कहा कि ऐसा है कि इन्हे कमांडर ही रहने दो। फ्लैशबैक में जाकर बताया कि कलेश का पैक ही ये बात रही थी। युद्व के वो जनरल हो सकते हैं मगर बचाव के सकंट मोचक तो मुल्क के बादशाह ही रहेगें। इस बात को बताने के लिये माननीय जी स्पेशली गाजियाबाद आये और रामलीला मैदान के मंच पर माईक से बता कर गये कि युद्व किनके कहने पर रूका और किनके आदेश पर बच्चे सेफ घर आये। बता दिया कि सकंटमोचक असली तो मुल्क के वजीरे आजम ही हैं। इसके बाद सकंटमोचक के टिकट पर ही सकंट आ गया और पालिटिक्स में मोच आ गई। इसलिये भगवा कमांडर के चाहने वालों ने कहा कि खुराना जी को इल्म नही है कि ऐसा कहना भी जुल्म हैं। इसलिये चुनाव खत्म सकंटमोचक का टाईटल भी वहीं रखो। खुराना जी को क्या पता कि यहां इन्ही बातो से खुराफात हो जाती है। उनकी सियासत में नही चाहिये कोई लोचा इसलिये भगवा कमांडर नो नीड टू बी अ सकंट मोचा।
बोला वो माली ऐसा है कि फूल वालों के कहने से नही लगेगा एक पौधा
निगम वालों के यहां माली की ताकत तो ये है कि वो पहलवान मेंबर को गाली भी देगा और बैकफुट पर भी पहलवान को ही आना पड़ा। ताजा किस्सा भगवा वार्ड का है और पार्क के पौधो को लेकर मेंबर के एंगर को भी माली ने हैंगर पर टांग दिया। साफ कह दिया कि मेंबर के कहने से पेड़ छटने की बात तो दूर एक पौधा भी पार्क में नही लगेगा।
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