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दिल्ली

दिल्ली के चुनावी दंगल की वो पांच सीटें जिन पर हुआ बड़ा उलटफेर

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दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय ​जनता पार्टी ने शनिवार को 48 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए आम आदमी पार्टी को सत्ता से बाहर कर दिया.

आम आदमी पार्टी को 22 सीटों पर जीत मिली, वहीं कांग्रेस के खाते में एक भी सीट नहीं आ पाई. वहीं वोट प्रतिशत की बात करें तो बीजेपी को 45.56 प्रतिशत, आम आदमी पार्टी को 43.57 प्रतिशत और कांग्रेस को 6.34 प्रतिशत वोट मिले.

इस चुनाव में आम आदमी पार्टी के कई शीर्ष नेताओं को हार का सामना करना पड़ा, चाहे वो अरविंद केजरीवाल हों, मनीष सिसोदिया हों या फिर सत्येंद्र जैन.

अरविंद केजरीवाल के ख़िलाफ़ जब नई दिल्ली सीट से कांग्रेस के संदीप दीक्षित मैदान में उतरे तो मुक़ाबला त्रिकोणीय लग रहा था.
चुनाव प्रचार से लेकर वोटों की गिनती तक दिल्ली की कई सीटों पर लोगों की ख़ासी नज़र भी रही.

यहां हम ऐसी ही पांच सीटों के बारे में बात कर रहे हैं जिन पर बड़ा उलटफेर देखने को मिला-

नई दिल्ली
नई दिल्ली सीट पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी और पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा ने आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को चार हज़ार से अधिक वोटों से हरा दिया है.

2013 में केजरीवाल ने इसी सीट पर दिल्ली की तीन बार की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित को 25 हज़ार 864 वोटों से हराकर अपनी राजनीति शुरू की थी. इसके बाद उन्होंने 2015 और 2020 के चुनाव में भी इस सीट पर बड़े अंतर से जीत दर्ज की.

2020 में उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी सुनील कुमार यादव को इसी सीट पर 21 हज़ार 697 वोटों से हराया था. केजरीवाल ​पिछले तीन चुनावों में 50 फीसदी से अधिक वोट लेने में सफल रहे थे.

इस सीट का इतिहास ही रहा है कि जो भी पार्टी यहां चुनाव जीत जाती है सरकार भी उसी पार्टी की बनती है.

इस बार यहां से शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने कांग्रेस के​ टिकट पर चुनाव लड़ा. उन्हें 4,568 वोट मिले और उनकी ज़मानत जब्त हो गई.

इस सीट पर अरविंद केजरीवाल केवल 4,089 वोटों से चुनाव हार गए.

जंगपुरा
दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया यहां से 675 वोटों से हार गए. इस बार सिसोदिया पटपड़गंज की जगह जंगपुरा से मैदान में उतरे थे.

कथित शराब घोटाला मामले में जांच का सामना कर रहे सिसोदिया कई महीनों तक जेल में भी रहे.

इस सीट से वह पहली बार चुनाव लड़ रहे थे. हालांकि, आम आदमी पार्टी 2013 से ही इस सीट पर जीत हासिल कर रही थी.

इस बार भारतीय जनता पार्टी के तरविन्दर सिंह मारवाह ने 675 वोट से जीत दर्ज की है. मारवाह इस सीट पर 2013 से पहले तीन बार कांग्रेस विधायक रह चुके हैं.

इस सीट पर कांग्रेस ने दिल्ली के पूर्व मेयर फ़रहाद सूरी को चुनाव में उतार था. उन्हें 7 हज़ार 350 वोट मिले.

कालकाजी
अरविंद केजरीवाल के कथित शराब घोटाला मामले में जेल से आने के बाद आतिशी को दिल्ली का सीएम बनाया गया.

वो कालकाजी से विधायक थीं और इस बार भी उन्हें यहीं से टिकट मिला. उनके सामने बीजेपी से पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी और कांग्रेस से अल्का लांबा थीं.

बीजेपी के रमेश बिधूड़ी को उन्होंने 3 हज़ार 521 वोटों से हरा दिया. इस बार आतिशी की जीत का अंतर कम रह गया.

इससे पहले 2020 के चुनाव में आतिशी क़रीब 11 हज़ार वोटों के अंतर से बीजेपी उम्मीदवार धर्मबीर सिंह को हराकर विधायक बनीं थी.

इस सीट पर कांग्रेस की प्रत्याशी अल्का लांबा को मात्र 4 हज़ार 392 वोट ही मिले और इनकी ज़मानत भी जब्त हो गई.

ओखला
आम आदमी पार्टी के मौजूदा विधायक अमानतुल्लाह ख़ान ने इस सीट पर 23 हज़ार 639 वोटों से जीत दर्ज की है. ये मुस्लिम बहुल सीट है. यहां 50 फ़ीसदी से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं.

बीजेपी के मनीष चौधरी 65 हज़ार 304 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे. 2020 में भी अमानतुल्लाह ख़ान ने भाजपा के ब्रह्मा सिंह को 71 हज़ार 664 वोटों से हराया था.

दिल्ली दंगों के अभियुक्त और जेल में बंद शिफ़ा-उर्रहमान यहां से चुनाव लड़ रहे थे.

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) से चुनाव लड़ने वाले रहमान को 39 हज़ार 558 वोट मिले हैं. वहीं कांग्रेस की अरीबा ख़ान यहां 12 हज़ार 739 वोटों के साथ चौथे स्थान पर रहीं.

मुस्तफाबाद
इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की है. बीजेपी के मोहन सिंह बिष्ट ने 17 हज़ार 578 वोटों के अंतर से आम आदमी पार्टी के आदिल अहमद ख़ान को हराया है.

2020 में यहां से पार्टी के उम्मीदवार हाजी यूनुस ने जीत दर्ज की थी. इस बार आम आदमी पार्टी ने यहां से आदिल अहमद ख़ान को टिकट दिया था.

दिल्ली दंगों के अभियुक्त और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रत्याशी ताहिर हुसैन के कारण ये सीट चर्चा में रही.

ताहिर हुसैन पहले आम आदमी पार्टी पार्षद हुआ करते थे. लेकिन दिल्ली दंगों में नाम आने के बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया था. बीते सात उन्होंने एआईएमआईएम का दामन थाम लिया था.

इस सीट पर ताहिर हुसैन को 33 हज़ार 474 वोट मिलें. ताहिर के प्रचार में पार्टी अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी स्वयं आए थे.

इस सीट पर इसे ही आम आदमी पार्टी की हार का कारण माना जा रहा है. इन्हें जेल से चुनाव के लिए कस्टडी पेरोल मिली हुई थी.

कांग्रेस ने पूर्व विधायक हसन मेहदी के बेटे अली मेहदी को टिकट दिया था. उन्हें 11 हज़ार 763 वोट मिलें. मुस्तफ़ाबाद में क़रीब 2.6 लाख वोटर हैं. यहां क़रीब 40 प्रतिशत मुस्लिम और क़रीब 60 प्रतिशत हिंदू आबादी है.

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दिल्ली

दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिक को RK पुरम पुलिस ने पकड़ा

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दक्षिणी दिल्ली। आरके पुरम थाने की टीम ने इलाके में स्क्रैप खरीदने के लिए घूम रहे एक अवैध बांग्लादेशी को पकड़ा है। आरोपी ने 2022 में बेनापोल-पेट्रापोल बॉर्डर के जरिए घुसपैठ की थी। वह कोलकाता से ट्रेन के जरिए दिल्ली पहुंचा था।
पुलिस से बचने के लिए वह लगातार ठिकाने बदल रहा था। पुलिस आरोपी को एफआरआरओ (विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय) के जरिए वापस बांग्लादेश भेज रही है।
दक्षिण-पश्चिम जिला पुलिस उपायुक्त सुरेंद्र चौधरी ने बताया कि 13 मार्च को आरके पुरम थाने की टीम को सूचना मिली कि एक संदिग्ध व्यक्ति बाजार से कबाड़ खरीदने के लिए मोहम्मदपुर गांव में घूम रहा है। टीम ने मौके पर पहुंचकर संदिग्ध व्यक्ति को पकड़ लिया।
बांग्लादेश का निकला
प्रारंभिक पूछताछ में उसने दावा किया कि वह मालदा, पश्चिम बंगाल का रहने वाला है। हालांकि सत्यापन के बाद उसकी असली पहचान अफजुद्दीन गाजी उर्फ ​​गाजी निवासी गांव सैगुरा थाना मुंसीगंज जिला ढाका (बांग्लादेश) के रूप में हुई।
आरोपी अफजुद्दीन ने अपने गांव के मदरसे से दूसरी कक्षा तक पढ़ाई की है। उसके दो भाई और दो बहन हैं। उसने दलाल रफीक के जरिए बेनापोल-पेट्रापोल सीमा पार की थी, जिसके लिए उसने 4000 रुपये लिए थे। रफीक ने रात में कंटीले तारों की बाड़ काट दी थी, जिसके जरिए वह और तीन अन्य लोग सीमा पार कर घुसपैठ कर गए थे।
सुबह उन्हें आगे की यात्रा के लिए पास के बस टर्मिनल पर ले जाया गया। वहां से सभी कोलकाता पहुंचे, जहां से उन्होंने ट्रेन पकड़ी और दिल्ली आ गए। यहां उन्होंने विभिन्न जगहों पर काम किया। पहले वह पुरानी दिल्ली में कूड़ा बीनने का काम करता था।
अलग-अलग कॉलोनियों से खरीदता था कबाड़
फिर उसने अलग-अलग बाजारों और कॉलोनियों से कबाड़ खरीदना शुरू कर दिया। पुलिस ने आरोपी अफजुद्दीन गाजी उर्फ ​​गाजी को एफआरआरओ, आरके पुरम के समक्ष पेश किया।
एफआरआरओ के उप निदेशक ने विदेशी अधिनियम, 1948 के तहत भारत में उसकी आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया और उसे बांग्लादेश भेजे जाने तक सेवा सदन, शहजादा बाग में रखने का आदेश दिया।

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ग़ाजियाबाद

60 लाख के गांजे के साथ क्राइम ब्रांच पुलिस कमिश्नरेट ने किया 12वीं पास तस्कर गिरफ्तार

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कई राज्यों से होकर निकलता था गांजे का ट्रक – साड़ियों में छुपाया जाता था नशे का माल

गाजियाबाद : त्यौहारी सीजन के बीच पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद में क्राइम ब्रांच की टीम ने उड़ीसा से दिल्ली-एनसीआर में लाकर गांजा तस्करी करने वाले शातिर गांजा तस्कर को गिरफ्तार किया है।
पुलिस ने इसकी निशानदेही पर लगभग 121 किलो गांजा, जिसकी कीमत लगभग 60 लखा रुपए से अधिक बताई जा रही है। क्राइम ब्रांच की टीम ने बताया है कि 12वीं पास एटा का रहने वाला 22 वर्षीय मोहित यादव बीते कई सालों से इस धंधे को अंजाम दे रहा था। क्राइम ब्रांच गाजियाबाद के एडीसीपी पीयूष कुमार सिंह ने बताया है की सूचना के बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया है। साथ ही कैंटर गाड़ी और माल बरामद किया गया है। इसके अन्य साथियों की पुलिस तलाश कर रही है।
उड़ीसा से दिल्ली-एनसीआर तक आता था माल
क्राइम ब्रांच की टीम ने आरोपी मोहित यादव से पूछताछ की है,तो उसने बताया है कि उसे एक चक्कर के 20 हजार रुपये मिलते थे। यह उड़ीसा से माल लेकर दिल्ली-एनसीआर आता था। इस दौरान कई राज्यों की सीमा से होकर कैंटर गुजरता था। कैंटर में साड़ियां रखी रहती थीं, जिससे पुलिस और अन्य जांच करने वाली टीम सोचती थी कि इसमें माल जा रहा है जबकि इसमें मादक पदार्थ की तस्करी की जाती थी। पुलिस ने बताया है कि इसके कई साथियों की पुलिस तलाश कर रही है। कैंटर में मौजूद दो अन्य साथी फरार हैं। पुलिस उनको भी ढूंढने का काम कर रही है।
आरोपी नहीं रखता था मोबाइल और कोड वर्ड में करता था बात
करंट क्राइम : पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद सिस्टम के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पकड़ा गया आरोपी मोबाइल नंबर बंद कर देता था और जब गांजा सप्लाई को निकलता था, तो वह मोबाइल भी कम इस्तेमाल में करता था। साथ ही जिन लोगों से वह फोन पर बात करता था, उनसे कोड वर्ड में बातचीत किया करता था।

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उत्तर प्रदेश

पोस्ट ऑफ द डे

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