ग़ाजियाबाद
तीनों विधानसभाओं के विधायक रहे हैं पूरी शिद्दत से दहाड़
नहीं आ रही सैकिंड लाइन दावेदारी की कोई गूंज बाहर
गाजियाबाद । राजनीति में आप पक्ष के विधायक रहे, विपक्ष के विधायक रहें, लेकिन आपके सामने चुनौतियां अंदरूनी और बाहरी दोनों रहती हैं। बाहरी चुनौतियों से ज्यादा भीतरी चुनौतियों से जूझना होता है। जिस सीट पर आप हैं उस सीट के लिये कोई और भी खुद को तैयार कर रहा होता है। राजनीति में एक विपक्ष पक्ष के भीतर भी होता है। किसी भी सीट से कोई सांसद हो, विधायक हो और भले ही वो सिटिंग जनप्रतिनिधि हो, लेकिन उन्हीं की पार्टी का कोई चेहरा उम्मीदवारी की उम्मीद में खुद को वेटिंग में मान रहा होता है। हर दल में ये होता है और कोई ना कोई चेहरा दावेदारी के रोल में होता है। ये दावेदारी दावेदार के बोल में दिखाई देती है, वो कार्यक्रमों में एक्टिव रहते हैं, वो क्षेत्र में होर्डिंंग लगवाते हैं, नेताओं से मुलाकात करत हैं और कई बार उस विधानसभा के कई काम ऐसा कराकर लाते हैं जो मौजूदा जनप्रतिनिधि को बेचैन करते हैं। अगर, निगम पार्षदों की बात करें तो यहां कई वार्ड ऐसे हैं जिनमें पार्षद के समानांतर उनकी पार्टी के कई चेहरे लगातार काम करते हैं। ये चेहरे लाइनपार से लेकर शहर के कई वार्डों में हैं। लेकिन विधानसभाओं की बात करें तो शहर विधानसभा क्षेत्र, साहिबाबाद विधानसभा क्षेत्र और मुरादनगर विधानसभा क्षेत्र में अभी खुलकर ऐसी दावेदारी दिखाई नहीं दे रही है। तीनों विधानसभाओं के विधायक अपने-अपने क्षेत्र में विकास की दहाड़ लगा रहे हैं, लेकिन सैकिंड लाइन वाला कोई दावेदारी दिखाई नहीं दे रहा है। हालांकि कौन सामने आता है, ये चुनावी ईयर में ही पता चलता है क्योंकि आस्थाओं का गियर तभी बदलता है। सैकिंड लाइन की दावेदारी में फिलहाल तो कोई नहीं है लेकिन जो राजनीति जातने हैं वो ये भी जानते हैं कि अभी 2025 चल रहा है। फिर 2026 शुरु होगा और इस साल के शुरू होते ही 2027 की तैयारी शुरु हो जाएगी। तब जो नाम आएंगे वो तब देखेंगे लेकिन फिलहाल अभी इन तीनों विधायकों के सामने भाजपा का कोई चेहरा टिकट दावेदारी के लिये नहीं है। अगर बात कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा, मुरादनगर अजीतपाल त्यागी और शहर विधायक संजीव शर्मा की करें तो इनकी बॉडी लैंग्वेज बताती है कि ये तीनों चेहरे अभी से चुनावी मोड में हैं।
सुनील शर्मा लेकर चल रहे हैं मजबूत टीम और मजबूत थीम
सुनील शर्मा लगातार दूसरी बार साहिबाबाद क्षेत्र से विधायक हैं। वैसे वो तीसरी बार विधायक हैं। उन्हें भाजपा की राजनीति का चाणक्य भी माना जाता है। वो अब सरकार में कैबिनेट मंत्री है, लेकिन जब बात विधानसभा की आती है तो देश की सबसे बड़ी विधानसभा का ये सबसे बड़ा खिलाड़ी बहुत ही सधे हुए अंदाज में खेल रहा है। वो विधानसभा को फ्री हैंड नहीं छोड़ रहे हैं। वो ये जता देते हैं कि यह उनकी पॉलिटिकल कर्म लैंड है और इसे वो अपने ही हिसाब से सींच रहे हैं। जब बात मंडल अध्यक्षों की आई तो उन्होंने इसे संगठन पर नहीं छोड़ा बल्कि उन्होंने मोर्चा संभाला और दस में दस मंडल अध्यक्ष वो अपनी गुड बुक के बनवाकर लाए। वो अपनी विधानसभा में उत्तरांचल समाज से लेकर पूर्वांचल समाज तक पूरी तरह एक्टिव हैं। रोजाना वो जनता से मुलाकात करते हैं, संवाद कायम रखते हैं और चुनावी मोड हैं।
संजीव शर्मा की सुबह और शाम जनता और कार्यकर्ताओं के नाम
संजीव शर्मा लगातार दो बार महानगर अध्यक्ष रहे हैं। अब वो शहर विधयाक हैं। अगर उनकी वर्किंग को देखें तो वो यहां पूरी तरीके से अपनी फील्डिंग लगा रहे हैं। वो लाइनपार में भी जनता के बीच है और शहर में भी जनता के बीच हैं। अगर विधायक संजीव शर्मा की फेसबुक पोस्ट देखें तो उनकी गुडमॉर्निंग ही जनसुनवाई के साथ अपने घर पर होती है। वो शाम को कार्यकर्ताओं के सुख-दुख में हैं और उनका फोकस कार्यकर्ता और जनता है। कार्यकर्ताओं के यहां जाते हैं और सबसे बड़ी बात ये है कि विधायक संजीव शर्मा आम कार्यकर्ता के बर्थ-डे से लेकर उनके यहां हुई किसी गमी में दुख-दर्द में शामिल होते हैं और उनकी फेसबुक पोस्ट ये बताती है कि रोजाना कई प्रोग्राम अपलोड होते हैं। संजीव शर्मा की सुबह और शाम जिस तरह से जनता और कार्यकर्ताओं के नाम है उसमें वो एक संबंधों का एक बड़ा सेतु तैयार कर रहे हैं और यहां भी मयंक गोयल के नाम की चर्चा तो जरूर चलती है, लेकिन अभी उन्होंने भी दावेदारी का इजहार नहीं किया और कोई अन्य चेहरा भी सामने नहीं आया है।
अजीतपाल त्यागी फेसबुक पर कम और फेस-टू-फेस ज्यादा
मुरादनगर विधायक अजीतपाल त्यागी की बात करें तो राजनीति, जनसेवा, समाजसेवा उन्हें अपने पिता से विरासत में मिली है। राजनीति का एक बड़ा वो चेहरा हैं और कमाल का नेटवर्क उनके पास है। मुरादनगर विधायक अजीतपाल त्यागी की बात करें तो वो फेसबुक पर कम और फेस-टू-फेस ज्यादा दिखाई देते हैं। मुरादनगर का देहात बताता है कि वो यहां की राजनीति के सबसे बड़े चेहरे हैं। रोजाना कार्यकर्ताओं से मुलाकात है, रोजाना क्षेत्र की जनता से मुलाकात है। अपनों के हर दुख-दर्द में शामिल होते हैं। हर खुशी में शामिल होते हैं और वो ऐसा चेहरा है जिसके सामने अभी कोई दावेदार नजर नहीं आ रहा है। कोई चेहरा टिकट की दावेदारी में भी नहीं दिखाई दे रहा है।