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गरम मसाला

जुबान संभाल के

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जो मिले नामित बनवाने के लिये वो लड़े ही थे भाजपा को हराने के लिये
फूल वालों के यहां मेला लग गया नामित पार्षद वाली लिस्ट में अपना नाम चढ़वाने के लिये। फूल वाले जनादेशी चाह रहे थे कि किसी भी भगवा कलेशी को बात की हवा न लगे और दस के दस नाम आ जायें। मगर रायता फैला और ऐसा फैला कि भगवा दफ्तर से लेकर जनप्रतिनिधियों के घर तक मेला लग गया। अध्यक्षी मांग रहा मडंल प्रभारी भी नामित पार्षद वाली लाईन में लग गया। हाईकमान ने पहले ही फरमान सुना दिया था कि इनके नामों पर विचार करना है और इन इन के नामों पर कोई भी लीडर कंसीडर ही नही करेगा। जो भाजपा को हराने के लिये बागी होकर चुनाव लड़े थे वो भी लाईन में लग लिये नामित पार्षद बनने के लिये। जड़ खोदने में फूल वाले भी कम नही हैं और वो भी चुनावी शिजरा निकाल लाये हैं। लेकिन उम्मीद वाले भी पूरे होपफुल हैं और वो कह रहे है कि नई हवा है नई भाजपा हैं। उनका कहना है कि जब बागी को मडंल की कमान सौंपी जा सकती है तो बागी को भी नामित वाली पार्षदी दी जा सकती है। देवतुल्य हैरान है कि अगर चुनावी लालच में इन बगावत वालों को मुंह ही ना लगाते तो ये दिन ही नही आते। उनका कहना है कि विद्रोही पर किस बात की कृपा और कौन सी कृपा होनी है।
एयरपोर्ट आईसक्रीम वाले संभाल लेगें और वो निगम का विकास देख लेगें
भगवा गढ़ की कहानी भी अजीब हैं और इतनी अजीब है कि अभी निगम की ना कपास का पता है और ना सूत का जिक्र हैं मगर केसरिया जुलाहो में लठम लठ हो रही है। कोर में नाम मांगे गये और इस छोर से लेकर उस छोर तक बैठे कोर वाले ने अपने अपने नाम दे दिये। देवतुल्यों का दर्द ये है कि उन्हे इस बात की चिंता नही है कि उनका नाम गया या नही गया उन्हे तो फिक्र इस बात की है फलाने माननीय जी ने किसका नाम लिया और उसका नाम गया या नही गया। इन सब के बीच चर्चा दिल्ली गेट वाले मित्तल जी को लेकर है। सुना है कि कविनगर वालों ने उनके नाम की पैरवी की है और उनके पसंदीदा नाम में ये नाम गया है। अभी कन्फर्म नही है लेकिन बिरादरी वाले फूलों से लेकर पार्टी वाले फूलों तक शोर मच गया। वरिष्ठ फ्लावर ने ही फायर उगलते अंदाज में कहा कि सब कुछ उन्ही को दे दो। जब एयरपोर्ट आलरेडी दे दिया है तो अब निगम भेजने का क्या मतलब है। समझाने वाले ने फिर समझाया कि तुम कुछ भी कर लो मगर ये कृपा की रेवड़ी हैं और ये अपनो अपनो को ही दी जायेगी। रही बात एयरपोर्ट की तो उसे आईसक्रीम वाले मित्तल जी संभाल लेगें। ज्यादा दिक्कत भी नही होगी क्योंकि नामित में नाम आते है मित्तल जी एयरपोर्ट वाली जिम्मेदारी से त्यागपत्र दे देगें और हमारे सासंद जी तत्काल इस्तीफा स्वीकार करते हुये आईसक्रीम वाले मित्तल जी फुल्ली संभाल लेगें एज ए सलाहकार। दूसरे मित्तल जी निगम में विकास देख लेगें। जनता को मित्तल ब्रर्दर से कोई शिकायत नही हैं लेकिन बिरादरी वाले अदर्स ऐसे हैं जो इसी बात से दुखी है कि सब कुछ इन्हे ही मिल रहा है। कृपा का बादल यहीं बरस रहा है।
क्या पैरवी करेगा किसी गरीब की ये मुकदमों से डरता विपक्ष
जब फूल वाले विपक्ष में थे तो चूल हिला देते थे अफसरशाही की। उनकी सरकार क्या आई वो तो तकरार भी भूल गये। चलो फूल वालों की सरकार है और हैंडपंप वाले सहयोगी अंदाज में हैं मगर साईकिल वालो की तो सरकार नही है। हाथी वालों की तो सरकार नही है और हाथ वाले भी जनता के पैरोकार हैं। लेकिन भगवा गढ़ में साईकिल वाले ही अपोजीशन वाली पोजीशन में दिखाई देते हैं बाकी के दल तो सरकार के सहयोगी दल वाली भूमिका में दिखाई देते हैं। अपोजीशन वालों के लिये जनता की लड़ाई का मतलब इतना है कि जाकर अधिकारी को ज्ञापन दे आओ और फोटो जरूर।

चिंटू जी

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हंसी खुशी

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