जुबान संभाल के
जुबान संभाल के

खलीफा पर क्यों उठा ली आयरन घोंटे वाले पूर्व जनप्रतिनिधि ने चेयर
किस्सा शहर वालों का है और शहर में गूंज रहा है। आयरन घोंटे वाले सियासत के घुटे हुए खिलाड़ी हैं। अब वो भले ही वजीर नहीं है लेकिन ऊर्जा उनमें उतनी ही है। ताश के तो वो ऐसे खिलाड़ी हैं कि आप उन्हें ताश का अर्जुन अवार्डी मान सकते हैं। पहले पंसारी जी के यहां खेल प्रतिभा का मुलाहिजा करने जाते थे। उन दिनों नवयुग मार्किट में सर्विस रोड पर बने एक दफ्तर में जाते हैं। इसी मैदान में राम लीला के पुराने खलीफा भी आते हैं। खलीफा ने बीते दिनों गुस्से में त्याग पत्र दे दिया था। दोनों महायोद्धा कमरे में थे और ताश की गड्डी फेंटी जा रही थी। विवाद ताश का पत्ता निकालने पर हुआ और इतना विवाद बढ़ गया कि आयरन घोंटे वालों ने खलीफा पर चेयर तान दी। दोनों ने कहा कि तू अभी मुझे नहीं जानता है। लेकिन दोनों ताश के ऊपर ऐसे लड़ेंगे, इस बात को पूरा शहर जान गया है। खलीफा और मंत्री जी की एक पत्ते पर हुई लड़ाई बाहर आ गई है।
लोनी में गूंज रहा है तराना, फटा कुर्ता म्यूजियम में फ्रेम करके लगाना
वैसे तो साहब का तबादला किसी रिजन से नहीं हुआ बल्कि तबादले वाले सीजन में रूटिन प्रक्रिया से हुआ। ना वेटिंग में रखे गये और ना ही कोई पनिशमेंट पोस्टिंग मिली। साहब थे और साहब ही रहेंगे। इधर तबादले पर फूल वालों के यहां ढोल बजा और सहारनपुर में स्त्री, बच्चे, बूढ़े, जवान सब विधायक जी को महान बताते हुए नए कुर्ते में हाथ लगाने के लिए उमड़ पड़े। लोनी वाले भी कम नहीं है और खास तौर से विधायक जी की बिरादरी वाले तो और चार हाथ आगे चलते हैं। जब जिक्र कुर्ते का चला तो उन्होंने कहा कि हमारे हिसाब से तो फसाना बढ़ा है तो तराना भी ऐसा होना चाहिए। कुर्ते को बाकायदा फ्रेम में जड़वाकर, विधायक आवास पर टांगा जाना चाहिए। आती जाती जनता देख ले कि उनके विधायक का कुर्ता फ टा था। अब रोज रोज थोडी ना कुर्ता फटेगा और विधायक जी तो वैसे भी नए नए आईटम लाते ही रहते हैं। हल्दीघाटी से मिट्टी लाये थे। मौलवी को जिन्न ने उन्हीं के घर पर कूटा था और शमशान घाट में खीर का हवन हो ही चुका है। ऐसे में अब ये कुर्ता भी तो याद दिलायेगा कि अपनी सरकार में विधायक जी की ऐसी तूती बोलती थी कि दरोगा ने कुर्ता फाड़ दिया और फिर विधायक जी ऐसे ही घूमे थे। बहरहाल बिरादरी वालों को नया कुर्ता भा नहीं रहा है।
जो मजा महानगर की टीम में है वो लुत्फ क्षेत्र वाली टीम में नहीं है
कप्तान, कप्तान होता है और कप्तानी भले ही महानगर की मिले लेकिन उसका जलवा होता है। फूल वालो के नए कप्तान इस बात को बता भी सकते हैं क्योंकि उन्हें क्षेत्र वाली टीम से लेकर महानगर वाली टीम का अनुभव है। महानगर वाली टीम में आने के लिए कई चेहरों ने अपने-अपने ढंग से सेटिंग बिठाई है। ऐसे ही एक चेहरे को जब ध्वज प्रणाम वाले अलाने जी भाई साहब ने समझाया तो सेटिंग वाला भी उन्हें अपनी बात समझाकर आया। उसने दो अध्यक्षों के नाम लिये और कहा कि वो दोनों के दोनों क्षेत्रीय टीम में हैं और फिर भी उन्होंने पूरे जोर महानगर के लिए लगाये। आपको क्या पता कि जो मजा महानगर वाली टीम में है वो क्षेत्र वाली पारी खेलने में नहीं है।
जुबान संभाल के
जुबान संभाल के

जब भाजपाईन ने दे दिये कांग्रेस पार्षद को 10 में से 10 नंबर
सोशल मीडिया पर आप अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त कर सकते हैं। पार्षदों के रिपोर्ट कार्ड को लेकर जब पब्लिक से उनके मन की बात पूछी गई और वार्ड का रिपोर्ट कार्ड उनके हाथ में दिया गया तो सीन कई स्थानों पर हार्ड हो गया। एक वार्ड ऐसा है जहां हमेशा कांग्रेस जीतती आई है। कमाल ये हुआ कि यहां भाजपा आईटी मोर्चा की कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर खुलकर कांग्रेस के पार्षद राहुल मुलायम की जमकर तारीफ की। कह दिया कि आदर सम्मान करने वाले और एक आवाज में ही सबके लिए खड़े होने वाले हैं। काम भी अच्छे से करते हैं और मिलनसार हैं। ये बड़ी बात थी कि इस वार्ड में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भले ही अपने पार्षद के लिए कुछ नहीं लिखा। लेकिन ये उससे भी बड़ी बात थी कि भाजपा की महिला कार्यकर्ता ने खुलकर कांग्रेस पार्षद की जमकर तारीफ की। ये एक अच्छी बात है कि अगर बात निष्पक्ष रूप से किसी के लिए कहनी हो तो राजनीति में भी इतनी नैतिकता और इतना साहस होना चाहिए कि अगर कोई सही है तो उसे सामने आकर सही कह दें।
भगवा वकील साहब ने दी दलीलए हमारे वार्ड में तो सियासी लोग रहते हैं
वैसे तो वो कौन सा मौहल्ला है जहां हर राजनीतिक दल के लोग नहीं रहते। सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी बूथ टीम वार्ड टीम बनाते ही हैं। इस समीकरण से हर गली मौहल्ले में हर दल के पदाधिकारी मिल जायेंगे। लेकिन जब बात पार्षद के कार्यकाल की आई तो एक वार्ड ऐसा भी था जहां भगवा वकील साहब ने बढ़िया दलील दी और रिपोर्ट कार्ड से खुद को दूर कर लिया। उन्होंने लिख दिया कि हमारे यहां पर तो ज्यादातर पोलिटिक्ल पार्टी के लोग हैं और अगर सच में सच जानना है तो क्षेत्र में सर्वे कराओ। वकील साहब भी कभी दावेदार थे और आगे दावेदार हो सकते हैं। उन्हें भी पता होगा कि वार्ड की चाबी तो एक्स वालों के हाथ में सौंप दी गई है। जिनका जनता ने कल्याण किया था। उनका तो कल्याण हुआ नहीं है और क्या पता सर्वे में सच सामने आ जाये। वैसे भी वकील साहब की एक अच्छी आदत ये है कि वो खुद को विवादों से दूर रखते हैं और उनके पास संगठन वाला ऐसा काम भी है कि उन्हें तो सबको साथ लेकर चलना है। लेकिन अगर बात राय वाली आ गई है तो जितने बेहतरीन अंदाज में उन्होंने अपनी राय दी हैए उसमें उन्होंने एक तरह से सबकुछ कह भी दिया है और किसी को नाराज भी नहीं किया है
लिख कर रख लो नहीं आ रहा है उनका नाम महानगर वाली किसी भी लिस्ट में
नए कप्तान की टीम में कौन आयेगा और कौन नहीं आयेगाए इसे लेकर कई चेहरे तैयारी में है। कई खुलकर साथ चल रहे हैं तो कई गुपचुप तरीके से अपनी सेटिंग बिठा रहे हैं। राजनीति में सभी की अपनी हसरतें होती हैं और इन हसरतों को पूरा करने के लिए अपने अपने स्तर पर कसरतें भी होती हैं। अभी लिस्ट आई नहीं है लेकिन ट्विस्ट आने शुरू हो गये हैं। दरअसल ये माना जा रहा है कि जिनके नाम आयाम में हैं वो समझ लें कि महानगर वाली टीम में वही आ रहे हैं। अब जब मंडल प्रवासी वाली लिस्ट जारी हुई तो इसमें कई नाम हैं जो नहीं है। और सुना है कि इसी के बाद से इंटरनल घमासान मच गया है। बताने वाले भी बता रहे हैं कि लिखकर रख लो उनका नामए नहीं ही आयेगा।
जुबान संभाल के
जुबान संभाल के

भर जाता है मैदान मगर उस हॉल को भरने के लिए क्यों लगती हैं बसें
फूल वालों का कार्यक्रम हो तो उसकी तैयारियां भी होती हैं और टारगेट भी तय होते हैं। फूल वालों के यहां तो वैसे भी पोलिटिक्ल बेगार करने के लिए मारा मारी मच रही है। फूल वाले कार्यक्रम अगर मैदान में करते हैं तो बसों का जिक्र नहीं आता। लेकिन पंडित जी वाले उस हॉल में ऐसा क्या है कि उसे भरने के लिए बसें लगायी जाती हैं। बीतें दिनों कार्यक्रम हुआ तो नए अध्यक्ष ने भी हाथ उठाकर संकल्प दिलाया कि 6000 देवतुल्य आने हैं। वो तो देवतुल्य ने ही धीरे से कहा कि हुजूर-ए-आला इसकी तो क्षमता ही 1000 की है। सितम ये भी हुआ कि जब कार्यक्रम हुआ तो हॉल के बाहर बसें खड़ी थी। ये बसें बृजविहार से लेकर अन्य जगहों से आर्इं थी। यानी तय हो गया कि हॉल भरने के लिए बसें लगार्इं गई। अब जब परशुराम वालों ने कार्यक्रम किया तो ये पूरी तरह भगवा रंग में रंगा था। हॉल वही दीन वाला दयाल था और बसों का वही हाल था। आयोजक ने बताया कि बड़ी मेहनत करी है हमने 12 बसें लगार्इं थी तब जाकर भीड हुई है। यानी सांसद, विधायक, मेयर को बुलाने के बाद भी एक 1000 की क्षमता वाले हॉल को भरने के लिए अगर 12 बसें लगानी पड़ रही हैं तो अब इस हॉल का वास्तू हो जाना चाहिए। ठाकुरद्वारे से दुर्गा भाभी चौक आते हैं, कोई बस नहंी लगाते हैं। रामलीला मैदान में कार्यक्रम कर लेते हैं, कोई बस नहीं लगाते हैं। मगर इस 1000 की कैपेसिटी वाले हॉल में ऐसा क्या है कि कोई 4 बस लगा रहा है तो कोई एक दर्जन बसें लगा रहा है।
कौन से मंत्री जी लिखने जा रहे हैं महाराज जी के जीवन पर किताब
अब वो दौर नहीं है जब मंहगाई की बात होती थी, क्राइम की बात होती थी, विकास की बात होती थी, शिक्षा की बात होती थी। अब तो सरकार के मंच से कह चुके कि विकास इतना जरूरी नहीं है जितनी जरूरी सुरक्षा है। वो बांग्लादेश और कश्मीर का उदाहरण दे रहे हैं। मंत्री जी चतुर सुजान हैं और जानते हैं कि कौन से मौके पर क्या कहना है। उन्हें पता है कि विकास की बेला नहीं है इसलिए उन्हें महकमा भले ही कम्प्यूटर वाला मिला। मगर वो कभी कथा के मंच पर बैठ जाते हैं तो कभी अध्यात्म का संदेश देते हैं। सुना है कि मंत्री जी अब मठ वाले महाराज के जीवन पर किताब लिखने वाले हैं। फूल वाले भी कम नहीं है और उन्हें भी भनक लग गई है। वो अभी से कहने लगे हैं कि किताब विताब कुछ नहीं है। सब महाराज जी को सेट करने का सोचा-समझा प्लान है।
जब भी माऊथ खोलना तो इसकी तारीफ उसके सामने मत करना
फूल वालों की पोलिटिक्ल चूल अलग ही है। फौज वालों को सियासी वनवास देने के लिए ऐसे हाथ मिलाये थे कि रिश्तेदार भी फेल कर दिये थे। रोज दिल्ली जायें और बुराई करें। आखिरकार फौज वाले तो चले गये लेकिन अब जो नई फौज है उनमें किसी दिन फौजदारी हो जायेगी। नौबत ये आ गई है कि देवतुल्य अब ये देख लेते हैं कि अपने ही दल के इस माननीय की तारीफ उस माननीय के सामने करनी है या नहीं। बुराई का कुछ असर हो या ना हो लेकिन तारीफ के इफैक्ट जरूर आ लेते हैं। फूल वाले ही बता रहे हैं कि अगर संगठन वालों के सामने विधानसभा वालों की अगर गलती से भी तारीफ कर दी तो सारी बुराई तारीफ करने वाले में नजर आयेगी। ये हाल एक जगह का नहीं है और अब तो ये मैसेज धीरे धीरे उस ग्रुप में फैल गया है जो नई वाली टीम में सेट होने से लेकर कृपा वाले फ्रेम में आना चाहता है। उन्होंने जुबान से ये संदेश दे दिया है कि देखो जब भी माऊथ खोलना तो सोच समझ कर खोलना और उनकी तारीफ में कुछ मत बोलना।
जुबान संभाल के
जुबान संभाल के

विधायक जी का चेला क्यों छू रहा है रोजाना मैडम जी के पांव
सियासत में चरण वंदना का एक अलग ही जलवा है। जो चरण की शरण में है वो जानते हैं कि इसका फल जरूर मिलता है। लेकिन चरण हमारे छुओगे और चेलागर्दी दूसरी जगह करोगे, ये नहीं चलेगा। मैडम जी राजनीति की पुरोधा हैं और तंज की वो बढ़िया वाली योद्धा हैं। उन्होंने एक चेला बनाया और चेले पर ऐसी कृपा हुई कि उसके घर भी जनप्रतिनिधि वाला बोर्ड लग गया। लेकिन मैडम जी को खबर लगी कि चेला तो बहुत ही तेज चल रहा है। चेला उस विधायक की शरण में पहुंच गया। जिस विधायक से मैडम जी की बिल्कुल नहीं बन रही। चेला दोनों हाथों में लड्डू रखने के चक्कर में था लेकिन मैडम अगर इतना तेज चलने दें तो हो लिया काम। सुना है कि पहले तो उसके महकमें के अधिकारी को आदेश दिया कि सीन पुन: मुष्को भव: वाला कर दो। यानी जो इसकी पहली स्थिति थी, इसे वहीं ला दो। उसके बाद उन्होंने निर्देश दिये कि ये रोज रोज आकर मेरे पांव ना छुए। सुना है कि अब उसे कह दिया गया है कि जाओ और जाकर विधायक की गोद में ही बैठ जाओ। हमारे यहां तो हमें काम करते ही दिखाई देना। वैसे भी मैडम जी का पुराना रिकार्ड है कि वो ज्यादा दिन तक किसी पर ज्यादा मेहरबान नहीं होती।
विधायक जी मत चलो इतना तेज, नहीं हो सकता लैंड यूज चेंज
विधायक जी की स्पीड इन दिनों देखते ही बन रही है। विकास की आंधी ऐसी है कि वो सेना की जमीन में घुस रहे हैं, रेलवे की जमीन में घुस रहे हैं। और अब सुना है कि निगम की जमीन में भी घुस रहे हैं। जमीन खाली करा रहा है नगर निगम और विधायक जी चाहते हैं कि किसी भी अधिनियम ये जमीन विकास वाले कॉलम में आ जाये। अब वो जमीनों का हिसाब मांग रहे हैं तो खबर उन तक भी पहुंची है जो मौके पर बुल्डोजर लेकर पहुंच रहे हैं। यहां निगम के पुराने खिलाड़ी ने ही कहा कि विधायक जी जमीन पर कुछ ज्यादा ही तेज चल रहे हैं। हमारी तो उन्हें यही सलाह है कि विधायक जी इतना तेज मत चलो क्योंकि जमीन का लैंड यूज चेंज नहीं हो सकता। चारागाह की जमीन चारागाह के नाम ही रहेगी और वैसे भी निगम वाले अपनी जमीन विधानसभा वालों को नहीं देंगे। विधायक जी चाहें तो सांसद जी को साथ लेकर लखनऊ में मुख्यमंत्री से मिल सकते हैं और दिल्ली से रक्षा मंत्री के यहां जा सकते हैं।
कोई उनसे राय मांग रहा है जो वो सलाह देने के लिए इतने बेचैन हैं
नगर निगम में फुल मैजोरिटी फूल वालों की है। कमाल ये है कि फुल मैजोरिटी के बाद भी फूल वाले एक्स पार्षदों को ये शिकायत है कि अधिकारी मनमानी कर रहे हैं और फूल वाले कुछ नहीं बोल रहे। तीन एक्स हो चुके निगम के योद्धाओं ने मीडिया वाले बुला लिये और मन की बात रखी। तीनों ही जीडीए बोर्ड मैम्बर रहे हैं और दो को पार्टी ने टिकट नहीं दिया और एक पुरोधा तो लहर में हार गये। निगम वालों तक बात पहुंची तो उनका कहना है कि वो कब इस बात को फील करेंगे कि उनकी पारी फिनिश हो चुकी है। उनसे कोई राय मांग रहा है या वो खुद ही सलाह देने के लिए बेचैन हो रहे हैं। कहने वाले ने कहा कि दरअसल पूरी लाईफ निगम में कटी है और अब वो इस बात को आसानी से नहीं पचा पा रहे हैं कि उन्हें निगम से रिटायर कर दिया गया है। उनकी सेवाओं की जरूरत जब पार्टी और जनता ने नहीं मानी तो हम कहां से मान लेंगे।
-
Entertainment20 hours ago
Trending Video: Shinchan Digging Deepest Hole to Find Treasure! 🤑
-
उठते सवालों का करंट10 hours ago
उठते सवालों का करंट
-
Birthday11 hours ago
जन्मदिन
-
Entertainment24 hours ago
Trending Video: I Survived 100 Hours In An Ancient Temple
-
उत्तर प्रदेश10 hours ago
चलती डबल डेकर बस में लगी आग, पांच यात्री जिंदा जले, यात्रियों में मची चीख पुकार….
-
जुबान संभाल के10 hours ago
जुबान संभाल के
-
Entertainment16 hours ago
Trending Video: सूजी मूंगदाल फरा नाश्ते के लिए परफेक्ट स्वाद सेहत सादगी नो फ्राई नो झंझट । Steamed Sooji Fara recipe
-
Entertainment12 hours ago
Trending Video: Dungu Thili Promo | Bou Buttu Bhuta | Babushaan, Cookies, Bunty | Kuldeep, Antara | Sidharth Music