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जुबान संभाल के

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अब डिप्टी सीएम नया कुर्ता लेकर आयें और विधायक जी को पहनायें
सरकार और सरकारी के बीच जंग ही भगवागढ़ में चली। ये बात अलग है कि सरकार वालों की एक नहीं चली और सरकारी वालों की पूरी चली। प्रथम नागरिक ने तो पिछले साल ऐलान किया था कि आई विल सी यू, आफ्टर 4 जून। कमाल ये हुआ कि बस डेढ महीने की बात रह गई, वर्ना अगला जून आ गया था। अगर इसी में पूरी दमदारी के साथ मोर्चा खोला तो क्रान्तिकारी विधायक जी ही थे। बहुत दिनों से विधायक जी फटा कुर्ता पहन रहे थे। साहब के जाते ही विधायक जी के यहां ढोल बजा और विधायक जी ने सहारनपुर पहुंच कर कथा में नया कुर्ता पहन लिया। अब जो इस पूरे सीन के क्लाईमैक्स का इंतजार कर रहे थे। उनका कहना है कि विधायक जी ने टू मच जल्दी कर दी। ये भी भला कोई बात हुई कि इधर हुआ तबादला और उधर कुर्ता बदला। अरे कोई छोटा नेता भी अनशन पर बैठ जाता है तो बिना जूस का गिलास पिये वो नहीं उठता और विधायक जी तो वैसे भी फटा कुर्ता, नंगे पैर बिना अन्न के घूम रहे थे। कम से कम इतना तो होना चाहिए था कि डिप्टी सीएम नया कुर्ता लेकर आते और विधायक जी को पहनाते। जब दो डिप्टी सीएम कंधे पर उस जंग में हाथ रख सकते हैं तो अब तो उनका साथ होना एक संदेश देता। विधायक जी ऐसी भी क्या जल्दी थी तुम्हें कुर्ता बदलने की।
हो गई उनको पीर और कहा मेरा काम नहीं है ठंडी कराना खीर
किस्सा राम वालों में गूंज रहा है और किस्से में वो यात्रा है जो कमेटी वालों ने निकाली है। पुरानी रामलीला में नया निजाम आया है तो यहां नये चेहरों के हिस्से में नया काम आया है। अब किस्से में वो खीर आ गई जिसे लेकर किसी का लहजा गरम हो गया और लहजा गरम करने का कारण खीर ठंडी होना था। बताते हैं कि सिंघल जी के संबधी साहब ने खजांची जी को सुझाव दे दिया कि ये जो खीर बनी है ये गरम है और अगर इसे ठंडी करा दिया जाये तो ठीक रहेगा। अब खंजाची जी भी कम नहीं है और उनके पास तो वैसे भी गेहूं चावल से लेकर मैदान के खर्चों का पूरा प्रभार है। उन्होंने भी लहजा बदला और कहा कि ये खीर ठंडी कराना मेरा काम नहीं है। बात भी सही है कि अगर वो अब भी पहले वाला खाल समझ रहे हैं तो वो समझ लें कि खीर भी गरम है और माहौल भी।
नवभाजपाई ले रहे हैं मौज और अभी तो आनी है इससे बड़ी बहार
फूल वालों का कुनबा एक्सटेंशन प्रोग्राम जो करा दे वो कम। नीचे वालों को इस बात का गुमान कि भाजपा में हम ही हम हैं। ऊपर वालों को इस बात की चिंता कि कैसे भी करो सरकार बनानी हैं और इसके लिए कहीं की र्इंट कहीं की रोड़ी अपने यहां बुलानी है। सीन ये है कि पुराने भाजपाईयों से ज्यादा बहुमत में नव भाजपाई हैं। अब कोई भी संघ आयु की बात नहीं करता। अब किसी की रूचि ओटीसी में नहीं है। नए भाजपाई फुल मौज में है और पुराने वाले ध्वज प्रणाम से लेकर बूथ वाली फौज में है। बात नव भाजपाईयों और मौज की चली तो शिजरे में डिप्टी सीएम से लेकर राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार आ गये। कई विधायकों और एमएलसी के नाम बाहर आ गये। कहने वाले ने कहा कि अभी क्या देखा है अभी तो देखोगे। अभी तो सरकारी कृपा का ताज भी इन्हीं नव भाजपाईयों के सर पर देखोगे। उन्होंने कई नाम गिनाये और कहा कि छोड़ो कल की बातें।

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विधायक जी का चेला क्यों छू रहा है रोजाना मैडम जी के पांव
सियासत में चरण वंदना का एक अलग ही जलवा है। जो चरण की शरण में है वो जानते हैं कि इसका फल जरूर मिलता है। लेकिन चरण हमारे छुओगे और चेलागर्दी दूसरी जगह करोगे, ये नहीं चलेगा। मैडम जी राजनीति की पुरोधा हैं और तंज की वो बढ़िया वाली योद्धा हैं। उन्होंने एक चेला बनाया और चेले पर ऐसी कृपा हुई कि उसके घर भी जनप्रतिनिधि वाला बोर्ड लग गया। लेकिन मैडम जी को खबर लगी कि चेला तो बहुत ही तेज चल रहा है। चेला उस विधायक की शरण में पहुंच गया। जिस विधायक से मैडम जी की बिल्कुल नहीं बन रही। चेला दोनों हाथों में लड्डू रखने के चक्कर में था लेकिन मैडम अगर इतना तेज चलने दें तो हो लिया काम। सुना है कि पहले तो उसके महकमें के अधिकारी को आदेश दिया कि सीन पुन: मुष्को भव: वाला कर दो। यानी जो इसकी पहली स्थिति थी, इसे वहीं ला दो। उसके बाद उन्होंने निर्देश दिये कि ये रोज रोज आकर मेरे पांव ना छुए। सुना है कि अब उसे कह दिया गया है कि जाओ और जाकर विधायक की गोद में ही बैठ जाओ। हमारे यहां तो हमें काम करते ही दिखाई देना। वैसे भी मैडम जी का पुराना रिकार्ड है कि वो ज्यादा दिन तक किसी पर ज्यादा मेहरबान नहीं होती।

विधायक जी मत चलो इतना तेज, नहीं हो सकता लैंड यूज चेंज
विधायक जी की स्पीड इन दिनों देखते ही बन रही है। विकास की आंधी ऐसी है कि वो सेना की जमीन में घुस रहे हैं, रेलवे की जमीन में घुस रहे हैं। और अब सुना है कि निगम की जमीन में भी घुस रहे हैं। जमीन खाली करा रहा है नगर निगम और विधायक जी चाहते हैं कि किसी भी अधिनियम ये जमीन विकास वाले कॉलम में आ जाये। अब वो जमीनों का हिसाब मांग रहे हैं तो खबर उन तक भी पहुंची है जो मौके पर बुल्डोजर लेकर पहुंच रहे हैं। यहां निगम के पुराने खिलाड़ी ने ही कहा कि विधायक जी जमीन पर कुछ ज्यादा ही तेज चल रहे हैं। हमारी तो उन्हें यही सलाह है कि विधायक जी इतना तेज मत चलो क्योंकि जमीन का लैंड यूज चेंज नहीं हो सकता। चारागाह की जमीन चारागाह के नाम ही रहेगी और वैसे भी निगम वाले अपनी जमीन विधानसभा वालों को नहीं देंगे। विधायक जी चाहें तो सांसद जी को साथ लेकर लखनऊ में मुख्यमंत्री से मिल सकते हैं और दिल्ली से रक्षा मंत्री के यहां जा सकते हैं।

कोई उनसे राय मांग रहा है जो वो सलाह देने के लिए इतने बेचैन हैं
नगर निगम में फुल मैजोरिटी फूल वालों की है। कमाल ये है कि फुल मैजोरिटी के बाद भी फूल वाले एक्स पार्षदों को ये शिकायत है कि अधिकारी मनमानी कर रहे हैं और फूल वाले कुछ नहीं बोल रहे। तीन एक्स हो चुके निगम के योद्धाओं ने मीडिया वाले बुला लिये और मन की बात रखी। तीनों ही जीडीए बोर्ड मैम्बर रहे हैं और दो को पार्टी ने टिकट नहीं दिया और एक पुरोधा तो लहर में हार गये। निगम वालों तक बात पहुंची तो उनका कहना है कि वो कब इस बात को फील करेंगे कि उनकी पारी फिनिश हो चुकी है। उनसे कोई राय मांग रहा है या वो खुद ही सलाह देने के लिए बेचैन हो रहे हैं। कहने वाले ने कहा कि दरअसल पूरी लाईफ निगम में कटी है और अब वो इस बात को आसानी से नहीं पचा पा रहे हैं कि उन्हें निगम से रिटायर कर दिया गया है। उनकी सेवाओं की जरूरत जब पार्टी और जनता ने नहीं मानी तो हम कहां से मान लेंगे।

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आपस में कितने ही उठवालो हाथ मगर इसका होना नहीं है कोई लाभ
फूल वालों के यहां इन दिनों बेगारी के लिए भी देवतुल्यों में मारा-मारी मची हुई है। अब जब तक टीम घोषित नहीं हो जाती तब तक सीन ये चल रहा है कि समय बिताने के लिए करना है कुछ काम। आपस में बैठ कर खुद ही तय कर लेते हैं किसके हिस्से में आयेगा कौन सा काम। किस्सा फूल वालों में नदिया पार के यूथ फ्लोर ब्रिगेड की हाथ उठायी रस्म को लेकर चला। पता चला कि पूर्व पार्षद के सन को लेकर उनके समर्थकों ने कहा कि ये ही महामंत्री बनेंगे। बाकी सबने हाथ उठा दिया कि यही बनेंगे। सीन यहीं खत्म नहीं हुआ और सूत और कपास के बिना अगली लट्ठम-लट्ठा तब हुई जब वहीं मौजूद दूसरे यूथ ने कहा कि जब तुम महामंत्री बन जाओ तो हमें भी उपाध्यक्ष और मंत्री बनवाना। सुना है ये खबर जब उस खेमे तक पहुंची है तो वहां हंस हंस कर बुरा हाल हो गया है। खुद ही नाम तय कर लिये, खुद ही ये तय कर लिया कि कौन क्या बनेगा। यहां पर भाजपाई ने कहा कि उन्हें इतनी तो समझ होनी चाहिए कि आपस में पर्चियां डालने से हाईकामन वालों के यहां पदों की अर्जियां स्वीकार नहीं होती हैं। अगर हाथ उठाकर ही फैसले होने होते तो फिर ये संगठन चुनाव वाला सिस्टम ही भाजपा में नहीं होता।

एक वोट पर किसने लगाया है क्रॉस, इसकी हो रही है गोपनीय जांच
ठाकुर वाले द्वार पर एक परिवार के दस रिश्तेदार चुनावी रण में आ गये। सितम ये हुआ कि नौ हार गये और दसवें की इज्जत ऐसे बची कि उसने दोनों पैनल से पर्चा दाखिल कर दिया और ऐन मौके पर एक पैनल से नाम वापस ले लिया। लिहाजा वो निर्विरोध चुनाव जीत गये। किसी ने कसम खा ली कि मैंने तो किसी को वोट ही नहीं दिया। पूछने वाले पूछ रहे हैं कि महाराज जब वोट नहीं देना था तो फिर वहां एक घंटे बैठकर किसे सपोर्ट करने गये थे। सुना है कि एक वोट कैंसिल हो गया और कैंसिल भी इसलिए हो गया क मतदाता ने भलाई बुराई के डर से किसी को वोट नहीं दिया और मतदान पत्र पर क्रॉस का निशान लगा दिया। अब अगर वोट दे देते तो क्रॉस वोटिंग होती लेकिन इस वाले क्रॉस ने तो किसी को एक वोट से हरवा दिया है। सुना है कि टैम्पल वाले इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या ये वो ही वाला एक वोट तो नहीं है। जिनका दावा है कि मैंने वोट ही नहीं दिया।

हाथी वाले लाला जी भी अब थक गये सिटी महावत वाले पद से
कांग्रेस वाले लाला जी इस उम्मीद में समाजवादी में आये कि खुद ना सही धर्मपत्नी को मेयर का चुनाव लड़ायेंगे। साईकिल वाले सम्राट की तो पुरानी आदत है सिम्बल देने के बाद उसे वापस ले लेते हैं। ना यकीन हो तो दिवंगत सागर शर्मा की पत्नी मधु शर्मा से पूछ लो। ना यकीन हो तो पूर्व विधायक सुरेन्द्र मुन्नी से पूछ लो और इस बात को अब नीले हो चुके लाला जी भी बता देंगे। लाला जी तो वैसे भी कांग्रेस से सपा में आये और सपा से बसपा में आ गये। चुनाव का नतीजा तो सारे महावतों को पहले से ही पता था लिहाजा लाला जी भी जानते ही होंगे। हाथी वाले मुनीम बताते हैं कि सहयोग की राशि को एडजस्ट किया गया और जिस पार्टी ने जिले का प्रधान बनाने का चलन है उस पार्टी में लाला जी को सिटी का प्रधान बनाया गया। शुरू में लग रहा था कि लाला जी सियासी हसरतों की पूरी कसरतों का मुलाहिजा करेंगे। लेकिन लाला जी भी धीरे धीरे साईलेंट मोड में आ गये। पहले वो बर्थडे वाले केक के सीन में गायब से रहे तो 14 अप्रैल को भी सीन कुछ ऐसा ही रहा। सुना है कि लाला जी अब सिटी महावत वाले पद से फैडअप हो गये हैं।

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अवर अभियन्ता ने तय कर दिया जनप्रतिनिधि की निधि से उनका हिस्सा
किस्सा इंटरलॉकिंग टाईल, नाली-खडंजे से जुड़ा है और किस्से में 30 परसेंट का हिस्सा गूंज रहा है। टेंडर के रेट तो ब्लो होते सुने थे लेकिन यहां तो कमीशन का रेट डबल से भी हाई हो गया। महकमा सूत्र बताते हैं कि हमारे यहां तो सामान्यता कमीशन का रेट 12 परसेंट चल रहा है। 15 तक भी हो जाता है लेकिन उससे आगे नहीं जाता है। किसी जनप्रतिनिधि की सवा खोखे की निधि विकास में लगनी है। अब जो अवर अभियन्ता है उन्होंने साहब को बता दिया कि विकास के हम ही तो नीति नियंता है। सुना है कि स्मॉल इंण्डस्ट्री वलो ने जेई साहब ने सीधे जनप्रतिनिधि को ही अप्रोच कर लिया। विभागीय भाषा में जो फीस जानी थी उसे सीधे 30 कर दिया। तय हो गया कि आप 30 पकड़ो बाकी हम देख लेंगे। सुना है कि 30 वाली फीस से जनप्रतिनिधि इनते खुश हुए कि उन्होंने सारी निधि ही अवर अभियन्ता को सौंप दी और कहा कि आप जानों किस विधि लगनी है। मामले में पारदर्शिता रहे इसलिए 8-8 लाख के दो काम तो दूसरों को दिये गये हैं और बाकी काम का टेंडर फाईल समेत जेई ने ले लिया है।

पार्षद नंबर एक दो तीन और स्कूल की नाली खुलने का सीन
मामला उस वार्ड का है जहां एक पार्षद को जनता ने जिताया। एक पार्षद अपने आप ही विकास के लिए भागा फिर रहा है और एक पार्षद अभी से तैयारी कर रहा है। अब वो जमाने चले गये जब ये समझते थे कि पार्षद का काम सीवर, नाले की सफाई कराना है। अब तो अगर पार्षद का काम स्कूल वाले ने नहीं किया तो वो स्कूल की नाली और सीवर जाम करा दे। सुना है वार्ड के मैम्बर ने स्कूल वालों से एडमिशन के लिए कहा और स्कूल वालों ने मैम्बर के कहने पर एडमिशन नहीं किया। मैम्बर ने अपनी ताकत दिखाई और स्कूल की नाली बंद करा दी। सुना है कि सफाई वालों से भी कह दिया कि 100 मीटर इधर और 100 मीटर उधर मामला जाम ही रहने देना है। अब पोलिटिक्स केवल पार्षद ही नहीं जानते हैं। स्कूल वाले भी सियासी खिलाड़ी हो रहे हैं। सुना है स्कूल की वाईस प्रिंसिपल इसी वार्ड में रहती है और उसे पता था कि वार्ड में एक नहीं तीन पार्षद हैं। उसने निर्वाचित पार्षद को छोड़ा और स्वयंभू पार्षदों को पकड़ लिया। सुना है कि दोनों पार्षदों ने तत्काल प्रभाव से पहले तो नाली साफ करा दी और सुना है कि अब टूटी नाली को रिपेयर भी करा रहे हैं। स्कूल वाले भी कम नहीं है और वो भी फूल वालों की आपसी फूट का फुल लाभ इस तरह से उठा रहे हैं।

केवल भैया के दम पर नहीं पार होने वाली है महानगर की टीम वाली नैय्या
भाजपा की महानगर टीम का गठन होना है और रौनक मेला गाजियाबाद के अशोक नगर से लेकर दिल्ली के अशोका रोड तक लग रहा है। कई चतुर सुजान तो ऐसे हैं जिन्होंने ध्वज प्रणाम वालों के चरण पकड़ लिये हैं। उन्हें लग रहा है कि अलाने जी भाईसाहब और फलाने जी भाईसाहब के फोन पर काम हो जायेगा। कुछ को लग रहा है कि भैया के ही इर्द गिर्द घूमने से हम उनके शागिर्द हो जायेंगे और टीम में आ जायेंगे। कुछ ऐसे हैं जो ये मानकर चल रहे हैं कि सीन ऐसा है कि इनके हाथ में कुछ खास है नहीं। लिहाजा वो प्रदेश और क्षेत्र पर फोकस कर रहे हैं। उनका कहना है कि यहां ताजपोशी होते ही नाम फाईनल होंगे और गाजियाबाद वाले देखते रह जायेंगे और हम घोषित होकर आ भी जायेंगे।

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