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उत्तर प्रदेश

सुप्रीम कोर्ट का सख्त निर्देश, स्कूलों-अस्पतालों के पास से हटाए जाएं आवारा कुत्ते, एक्सप्रेसवे-हाइवे से मवेशी, 8 हफ्तों का दिया समय

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नई दिल्ली। करंट क्राइम। सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के मामले में सुनवाई करते हुए शुक्रवार को एक और फैसला दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश कर कहा कि सभी आवारा पशुओं को सड़कों, राज्य के हाईवे और राष्ट्रीय राजमार्गों से हटाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर राज्यों के साथ-साथ राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और नगरपालिकाओं को भी निर्देश जारी किया है। कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 13 जनवरी को करेगी।
देश के कई राज्यों में सड़कों और हाईवे पर खुले घूम रहे आवारा मवेशियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि हाईवे और सड़कों से आवारा मवेशियों को तुरंत हटाया जाए। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि आवारा पशुओं को हटाने के लिए हाईवे निगरानी टीमें बनाई जाएं जो उन्हें पकड़ कर सड़कों से हटाएगी और शेल्टर होम्स में रखेगी।
आवारा कुत्तों से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, बस स्टैंडों, खेल परिसरों और रेलवे स्टेशनों से आवारा कुत्तों और अन्य ऐसे मवेशियों को तुरंत हटाए जाने और उन्हें आश्रय गृह भेजने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए 8 हफ्ते का समय दिया है।
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में आगे आवारा कुत्तों के मुद्दे पर भी आदेश जारी किया। कोर्ट ने कहा कि सभी शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों, बस और रेलवे स्टेशनों से आवारा कुत्तों को हटाया जाए और उन्हें शेल्टर होम में जगह दी जाए। साथ ही उन्हें टीकाकरण के बाद भी उसी इलाके में न छोड़े जाने के निर्देश दिए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों- जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने सुनवाई के दौरान कुत्तों के काटने के मामलों में चौंकाने वाली बढ़ोतरी की बात कही और आदेश दिया कि अधिकारी आवारा कुत्तों को पकड़ने के बाद उन्हें शेल्टर में टीके दिए जाएं. इसके अलावा सार्वजनिक जगहों पर आवारा कुत्तों के दोबारा न घुसने देने के इंतजाम भी तय हों।

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उत्तर प्रदेश

‘वंदे मातरम‘ केवल एक रचना नहीं, बल्कि राष्ट्रभक्ति और स्वतंत्रता संग्राम की सामूहिक चेतना का प्रतीक हैः योगी आदित्यनाथ

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लखनऊ। करंट क्राइम। राष्ट्रगीत ’वंदे मातरम’ की रचना के 150 वर्ष पूरे होने पर पूरे देश में आज स्मरणोत्सव का आयोजन किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दिल्ली में एक विशेष कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। वही, उत्तर प्रदेश में एक वर्ष तक ऐतिहासिक स्मरणोत्सव मनाया जाएगा। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के लोकभवन सभागार में मुख्य कार्यक्रम की शुरुआत की।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर कहा कि यह गीत केवल एक रचना नहीं, बल्कि राष्ट्रभक्ति और स्वतंत्रता संग्राम की सामूहिक चेतना का प्रतीक है, और राज्य सरकार इसे वर्षभर जन-जन तक पहुंचाएगी। राज्य के सभी स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी कार्यालयों में आज से वंदे मातरम का सामूहिक गायन शुरू हो गया है।
लोकभवन में आयोजित भव्य समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वंदे मातरम को भारतीय अस्मिता का आधार बताया। उन्होंने कहा कि यह गीत आज़ादी के दीवानों का प्रेरणास्रोत रहा है और इसके 150 वर्ष पूरे होना हर नागरिक के लिए गर्व की बात है। उन्होंने घोषणा की कि उत्तर प्रदेश में स्मरणोत्सव का आयोजन चार चरणों में किया जाएगा, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों को भी शामिल किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों और शिक्षकों को निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि नई पीढ़ी को बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के इस अमर गीत के महत्व, इतिहास और स्वतंत्रता आंदोलन में इसकी भूमिका के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाए।
राष्ट्रगीत ’वंदे मातरम’ की रचना प्रसिद्ध उपन्यासकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने 7 नवंबर 1875 को की थी और इसे उनके प्रसिद्ध उपन्यास ’आनंदमठ’ में प्रकाशित किया गया था। यह गीत जल्द ही देश की पहचान बन गया और ब्रिटिश राज के विरोध में एक शक्तिशाली नारा बन गया। वर्ष 1896 में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में महान कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे पहली बार सार्वजनिक रूप से गाया था।
स्वतंत्रता के बाद, भारत की संविधान सभा ने 1950 में इसे राष्ट्रीय गीत के रूप में अंगीकार किया, जिससे इसे राष्ट्रगान ’जन गण मन’ के समान ही सम्मान प्राप्त हुआ।
उत्तर प्रदेश सरकार ने स्मरणोत्सव को प्रभावी बनाने के लिए राज्य के सभी शिक्षण संस्थानों को निर्देश दिया दिया है। आज से वर्षभर, प्रदेश के सभी विद्यालयों और महाविद्यालयों में वंदे मातरम का सामूहिक वाचन और गायन अनिवार्य कर दिया गया है।
इसके साथ ही, वंदे मातरम के इतिहास और राष्ट्रीय महत्व पर आधारित निबंध प्रतियोगिताएं, कविता पाठ और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। यह पहल न केवल विद्यार्थियों में राष्ट्र प्रेम की भावना मजबूत करेगी, बल्कि उन्हें भारतीय साहित्य और इतिहास से भी जोड़ेगी।

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उत्तर प्रदेश

बकाया राशि नहीं देने वाले 43 बिल्डरों का आवंटन रद्द करेगा नोएडा प्राधिकरण

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नोएडा। करंट क्राइम। बकाया राशि को लेकर नोएडा प्राधिकरण अब बिल्डरों को कोई राहत नहीं देगा। राहत पैकेज के तहत बकाया राशि देने का अवसर दिया गया था। इसकी समय सीमा खत्म हो गई है। इसके बाद भी 43 बिल्डरों ने बकाया राशि को जमा नहीं किया है।

प्राधिकरण ने 43 बिल्डर को नोटिस जारी कर अंतिम बार याद दिलाया है। इसके बाद भी अगर बकाया जमा नहीं किया तो उनका आवंटन रद्द की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
नोएडा प्राधिकरण सूत्रों ने कहा कि शासन से बोर्ड बैठक के मिनट्स प्राप्त होते ही प्राधिकरण राहत पैकेज को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। जिन बिल्डरों ने तय अवधि में बकाया नहीं चुकाया है, उनके खिलाफ आरसी जारी करने की जाएगी।
अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों के आधार पर यूपी सरकार ने 21 दिसंबर 2023 को राहत पैकेज संबंधी शासनादेश जारी किया था। इसके तहत पहले चरण में उन 57 बिल्डर परियोजनाओं को शामिल किया गया था जिनका कोई मामला न्यायालय में लंबित नहीं था।
मार्च-अप्रैल 2024 से इन बिल्डरों ने बकाया राशि जमा करनी शुरू की थी। इनमें से 35 बिल्डरों ने केवल 25 प्रतिशत रकम जमा की और आगे की किस्तें नहीं दीं। राहत पैकेज के नियमों के मुताबिक, 100 करोड़ रुपये तक के बकायेदारों को एक वर्ष में पूरी राशि जमा करनी थी, परंतु अधिकांश ने ऐसा नहीं किया। इसके अलावा 12 बिल्डरों ने आंशिक भुगतान किया है, जबकि 10 बिल्डरों ने कोई राशि नहीं जमा की। इन सभी 57 परियोजनाओं पर प्राधिकरण का लगभग 5,500 करोड़ रुपये बकाया है।
हाल में हुई बोर्ड बैठक में प्राधिकरण के चेयरमैन दीपक कुमार ने बिल्डरों को 31 अक्टूबर तक की अंतिम मोहलत दी थी। अब समय सीमा समाप्त होने के बाद राहत पैकेज समाप्त कर दिया गया है। शासन स्तर से निर्देश मिलने के बाद इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

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