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गरम मसाला

चिंटू जी

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पुलिसनामा

नवरात्रि में क्या करेगी नारी शक्ति इस बार

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पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद वाले सिस्टम में हर नवरात्रि में महिला सशक्तिकरण का नया संदेश दिया जाता है। सबसे पहले जहां गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट में पिंक बूथ की शुरूआत हुई। तो फिर इन पिंक बूथ पर परिवार परामर्श केंद्रों को भी शुरू किया गया। अब देखना होगा कि इस बार नवरात्रि के दौरान सरकार और पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद वाले के अधिकारी कौन सा नया कार्य शुरू करते हैं। वैसे बता दें कि पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद सिस्टम में इन दिनों थानों से लेकर सर्किल तक महिला सशक्तिकरण का डंका बजता है। वहीं पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद वाले सिस्टम में शीर्ष से लेकर थानों की कमान और चौकियों पर प्रभार महिला शक्ति के हाथों में है। उधर पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद वाले सूत्र बता रहे हैं कि जिस तरीके से पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद वाले सिस्टम में महिला शक्ति के नाम सर्किल बढ़ रहे हैं। उससे कहीं ना कहीं पुरुष अधिकारियों की भी टेंशन और अटेंशन बढ़नी शुरू हो गई है। उधर पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद वाले सूत्र बता रहे हैं कि आने वाले नवरात्रि के दिनों में 9 दिनों तक महिला थाना और महिला अपराध नियंत्रण को लेकर एसीपी स्तर के अधिकारी फील्ड पर उतारे जाएंगी। वह इस बार कुछ नया प्लान और अभियान चलाएंगी। सुनने में आ रहा है कि सरकार की मंशा के अनुरूप दिशा-निर्देश दिया गया है कि सार्वजनिक स्थानों, मंदिरों और स्कूल-कॉलेजों के आसपास 9 दिन पुलिस विशेष निगरानी रखने का काम करेगी। यहां किसी भी प्रकार का महिला अपराध न हो और सार्वजनिक स्थानों पर महिला अपराध रोकने के कार्यक्रमों को आयोजित किया जाएगा। जिसकी कमान खुद महिला पुलिसकर्मियों के द्वारा ही संभाली जानी है। बता दें कि वैसे भी पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद में समय-समय पर साइबर अपराध और महिला अपराध रोकने के लिए महिला सब इंस्पेक्टर के जरिए कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है लेकिन इस बार सरकार का निर्देश है कि नवरात्रि के 9 दिन कुछ अलग आयोजन और अलख जगाई जाए ताकि इसका संदेश जनता के बीच सकारात्मक के साथ जाए। सरकार महिला अपराध नियंत्रण और नारी सशक्तिकरण का संदेश भी देती चली आ रही है, इसीलिए इस बार नवरात्र पर पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद वाले सिस्टम में कौन सा नया अभियान और आयोजन होता है, यह देखने वाली बात रहेगी।

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पुलिसनामा

कब दूर होगा पुलिस आॅफिस का अंधेरा

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पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम गाजियाबाद बनने के बाद कई तरह के बदलाव और प्रयास हुए हैं। कई व्यवस्था बेहतर हुई हैं, तो कई को ठीक करने का प्रयास हो रहा है। वहीं पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद वाले सिस्टम में चर्चा हो रही है कि कमिश्नरेट पुलिस आॅफिस का कायाकल्प किया गया था यहां लाइट लगाई गई थी ,बाहर नया बोर्ड लगा था लेकिन बीते लंबे समय से ना तो बोर्ड जल रहा है। ना मुख्य गेटों की लाइटें जल रही हैं। रात को यहां अंधेरे का राज रहता है। अंधेरे की वजह से इस मार्ग से अब कम ही लोग निकल रहे हैं। केवल गारद रूम और साइड वाले आॅफिस की लाइटें जलती हैं, जो आसपास पर कोई असर नहीं डालती है। उधर इस अंधेरे की चर्चा पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद सिस्टम में एक कार्यालय में भी शुरू हो गई है। बता दें की बीते कुछ समय पहले ही पुलिस कमिश्नरेट की लाइन में बड़ी संख्या में लाइटें लगवाने के साथ ही खेल के मैदान को दूधिया रोशनी से रोशन और जगमग करने का काम किया गया। तो वहीं लाइन के गेट और अन्य स्थानों पर भी बड़ी संख्या में लाइटें लगवाई गई हंै। इसका मकसद है कि यहां के डार्क जोन को खत्म करने का काम किया जाए। तो अब पुलिस आॅफिस के आसपास की स्थिति कब सुधरती है, इसकी चर्चा शुरू हो गई है। वैसे सूत्र बता रहे हैं इस आॅफिस में अधिकांश समय दिन में ही भीड़ और माहौल रहता है। शाम होते ही है खाली और अंधेरे में डूब जाता है। यही वजह है कि यहां की लाइटों की ओर अभी तक किसी ने ध्यान नहीं दिया है। बताया जा रहा है की खास अवसरों पर ही यहां की सजावट और रखरखाव पर ध्यान दिया जाता है, पर लंबे समय से मामला ऐसा ही चल रहा है। उधर पुलिस कमिश्नरेट वाले गाजियाबाद सिस्टम में जिस तरीके से एक थानेदार के पक्ष में समाज वाले लोग आए हैं, उसको लेकर भी पुलिसकर्मियों में एक नई चर्चा शुरू हो गई है। अब कहा तो यहां जा रहा है कि यह पुलिस के ही द्वारा अंदर खाने प्लांट कराया गया कार्यक्रम था, पर बताया जा रहा है कि कहीं ना कहीं भगवा विधायक को डाउन करने के लिए यह रणनीति अधिकारियों के स्तर से ही तैयार करवाई गई थी। कुल मिलाकर देखना होगा कि आने वाले कुछ दिनों में अंधेरे को दूर करने के लिए क्या प्रयास होता है और पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद में खाकी और खादी के बीच चल रहे मामले में क्या हल और फल मिलता है।

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उठते सवालों का करंट

उठते सवालों का करंट

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क्यों कहा कहने वाले ने कि क्रान्तिकारी धरा के क्रान्तिकारी विधायक ने इस वक्त बनाया हुआ है क्रान्तिकारी माहौल? हम देख रहे हैं इस मामले में क्रान्तिकारी धरा के कई बड़े चेहरे खामोश हैं ? पक्ष और विपक्ष में कोई कुछ भी नहीं रहा है भूल? हमें थी इस बात की जानकारी कि सौम्य मावी जी नए साल से शुरू करेंगे खुद की क्रान्तिकारी पारी? छोड़ेंगे वो भी शब्दों के बाण? मैटर इतना बैटर चल रहा है, आखिर क्यों खामोश हैं अब उनकी जुबान?

क्यों कहा कहने वाले ने कि हम आपको बता रहे हैं अंदर की बात? जिले में तो होनी थी जाट चेहरे की ताजपोशी? मगर मामला कुछ ऐसा बना कि बिगड़ गई बात? कहने वाले ने कहा राजनीति में कई मामलों में होता है चुप रहने का कायदा? खामोशी से मिलता है कई बार बहुत ज्यादा फायदा? मगर सुना है किसी बात का इन जाट दावेदार ने ही फैला दिया था रायता? फिर क्या था रायता फैला और दूर तक हो गया मामला मैला? सन्नाटा हो गये उनके सारे अरमान? कुछ इस तरह से आया फिर पिक्चर में गुर्जर चेहरे का नाम?

क्यों कहा कहने वाले ने कि हमें अंदर से पता चली है बात? पुराने संगठन के आठ निष्क्रिय चेहरों का संदेश कोई भगवा योद्धा गोयल साहब तक पहुंचाने का कर रहा है प्रयास? वो करना चाहता है पुराने कार्यकाल के इन सभी आठ चेहरों के निष्क्रिय क्रियाकलापों को शेयर? मगर गोयल साहब इस वक्त बहुत ज्यादा बिजी चल रहे हैं? चाह कर भी वो इस चेहरे से नहीं मिल रहे हैं? ये चेहरा निष्क्रियता की पूरी गाथा का डाटा लेकर बैठा है अपने साथ? ताकि इनमें से कई चेहरे संगठन में स्थान ना बना पायें साहब?

क्यों कहा कहने वाले ने कि हम दे रहे हैं सवाल के माध्यम से एक विधायक को सलाह? वो थोड़ा अपने आस-पास के घेरे को कम करें, तभी होगा कुछ भला? कहने वाले ने कहा उनका जनता दरबार रहता है जोरदार? हर किसी की शिकायत पर उनका फोन अधिकारियों से बात करने के लिए निकल आता है जेब से बाहर? मगर भीड़ में शामिल कुछ चेहरे बैठा रहे हैं खामोशी से पहरे? ऐसा हम नहीं कुछ खास लोग ही इस बात को हैं कह रहे? कहने वाले ने कहा उनको अपना जनसुनवाई वाला दायरा करना होगा छोटा? ना जाने कौन सा सिक्का निकल जाये अचानक खोटा?

क्यों कहा कहने वाले ने कि कोई कितना ही करे क्रासिंग वाली सिंह मैडम को इग्नोर करने का प्रयास? मगर सिंह मैडम का मामला यहां से लेकर ऊपर तक मजबूत है, ऐसा हमको पता है साहब? जितना उन्हें किया जायेगा कमजोर? उतनी ही वो होंगी मजबूत? सत्ता के गलियारों में उनके परिवार का है मजबूत वजूद? किसी के रोकने से नहीं रूकेगा उनका रथ? ये बात आठ नहीं बल्कि सोलह आने है सच?

क्यों कहा कहने वाले ने कि ना जाने क्या हुआ समाजसेवी अग्रवाल जी का वादा? सुना है उन्होंने सुपरकूल नाईसमैन गुप्ता जी का बड़ा सम्मान कार्यक्रम कराने का कभी किया था इरादा? फरवरी में बनाई थी उन्होंने हिंदी भवन में बड़ा सम्मान समारोह करने की योजना? अब तो मार्च का महीना भी बीतने वाला है? क्या उन्होंने बंद कर दिया है इस योजना पर सोचना? कुछ तो रही होगी जरूर वजह? वैसे भी अग्रवाल जी जब तक कोई बड़ा कार्यक्रम ना कर लें? तब तक कहां आता है उनको मजा?

क्यों कहा कहने वाले ने कि कहीं वो पूरे मान से बना ना दे कोई बड़ा रिकार्ड? हम चाहते हैं कि उन्हें अपनी सक्रियता के लिए मिलना चाहिए पार्टी से बड़ा अवार्ड? पश्चिम क्षेत्र के अब तक उन्होंने संयोजक और सहसंयोजक के तौर पर सफल कराये हैं तमाम प्रोग्राम? हर प्रोग्राम में उनको विशेष रूप से जिम्मेदारी मिली है श्रीमान? देखना अब ये है कि पूरे मान से पार्टी गोस्वामी जी का कितना करेगी ध्यान? कुछ तो होगी उस कार्यकर्ता में बात? जिसका हर आयाम में जोड़ा जाता है नाम?

क्यों कहा कहने वाले ने कि क्रासिंग वाले श्रीवास्तव भैया ने भगवा योद्धा गोयल साहब की ताजपोशी के बाद बहुत दिनों बाद मारा है ऊभारा? फिर से भगवागढ़ की सक्रिय पॉलिटिक्स में उनका चेहरा दिखने लगा है दोबारा? देखना अब ये है कि भगवा योद्धा उनको अपनी टीम में देंगे कोई स्थान? या फिर पहले की तरह ही हवा हो जायेंगे श्रीवास्तव जी के अरमान? फिलहाल तो उनके चेहरे पर लौटी है बहुत दिनों बाद मुस्कान?

क्यों कहा कहने वाले ने कि भगवा माहौर को विशेष रूप से रखना होगा खुद पर ध्यान? हम बता रहे हैं कि पार्टी के एक प्रमुख चेहरे के रडार पर आ गये हैं? उनको लेकर बनाने वाले बना रहे हैं कुछ परिवर्तन का प्लान? वैसे हम यहां पर एक बार करना चाहते हैं क्लीयर? ये वो माहौर नहीं है जो रहते हैं भगवा राम के दिल के बहुत ही ज्यादा नियर?

क्यों कहा कहने वाले ने कि नदिया पार के पूर्व सौंफ वाले भगवा कमिश्नर और मिस्टर मीत अपने दिल को ठीक करने के बाद हो गये हैं फिर से एक्टिव? वो गोयल साहब की टीम में पद पाना चाहते हैं इफैक्टिव? दोनों ने फेसबुक से लेकर मिलकर दे दी है गोयल साहब को बधाई? देखना अब ये है कि ये आसानी से पा लेंगे संगठन वाली मंजिल? या पहलवान और पहलवान के दोस्त की मोहब्बत के इफैक्ट देंगे इनके साथ दिखाई?

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