गरम मसाला
क्या डीसीपी स्तर पर आने वाला है कोई आदेश

पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद वाले सिस्टम में बीते कुछ ही दिनों में दो गजटेड अफसरों की लोकल तबादला लिस्ट आ चुकी है। इस लिस्ट से जहां कईयों को जटका दिया है तो कई अभी संट भी नजर आ रहे हैं। उधर पुलिस कमिश्नरेट वाले सिस्टम में नई चर्चा सुनाई दे रही है। जिस तरह से एक जोन वाले साहब से एक खास चार्ज लेकर दूसरे जोन वाले साहब को दिया गया है उसकी चर्चा भी पुलिस कमिश्नरेट वाले सिस्टम में लाइन से लेकर साइड लाइन वाले इलाकों में कर रहे हैं। उधर सुनने में आ रहा है कि ंइस लिस्ट को लेकर जो रियक्शन आने थे उसके बाद एक चर्चा सुनाइ्र दे रही है कि कहीं फिर डीसीपी स्तर पर कोई फेरबदल या जोन बदलाव की चर्चा सनुाई दे रही है। उधर पुलिस कमिश्नरेट वाले सूत्र बता रहे हैं कि जिस तरह से बीते दिनों देहात वाले साहब की शक्तियां कम हुई हैं उसकी भी चर्चा हो रही है। सुनने में तो यहां तक आ रहा है कि अगर कमिश्नरेट वाले उच्च स्तर पर कोई सूचना नहीं आती है तो आने वाले दिनों में दो साहब लोगों के समीकरण बदलेंगे। उधर सुनने में आ रहा है कि मंगलवार को जो दो एडीसीपी वाले अधिकारियों की लिस्ट आई है उसने कईयों को हैरान किया है तो आने वाले दिनों में एक एसीपी और उनके साहब के बीच कहीं कोल्ड वार वाला सीन भी बन सकता है। बताया जा रहा है कि एक जिस प्रकार से नदियापार वाले एक साल वाली पारी खेल चुके हैं तो दोनों जोन वाले साहब लोगों की चर्चांए खत्म नहीं हो रही हैं। उधर देखना होगा कि आने वाले दिनों में सिटी और देहात को लेकर डीसीपी स्तर की कोई सूचना या बदलाव आता है या फिर सब कुछ सामान्य हो जाएगा। उधर पुलिस कमिश्नरेट और लखनऊ वाले सूत्र बता रहे हैं कि अगर आईपीएस अधिकारियों वाली एक और लिस्ट आई तो उसमें फिर से गाजियाबाद वाले नामों को खोजा जाएगा। कुल मिलाकर पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद वाले सिस्टम में जिस तरह से बेहद छोटी लिस्ट आई है उसके बाद कई अधिकारियों को कुछ समझ नहीं आ रहा है कि आने वाले दिनों में क्या बदलाव वाला सीन होगा। वहीं सुनने में आ रहा है कि पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद वाले सिस्टम में जिस तरह से शहर वाले साहब पर भरोसा जताया जा रहा है और उनके नेतृत्व में सारे कार्य व अभियान चल रहे हैं , उससे देहात व नदियापार को लेकर कई चर्चा चल रही है।
उठते सवालों का करंट
उठते सवालों का करंट

क्यों कहा कहने वाले ने कि विधायक जी के साथ रोज डटे नजर आते हैं लाइनपार के वीरू? उनके इस प्रेम को देखकर कई दिलजलों के दिल में लगी हुई है आग? कहने वाले कह रहे हैं, इस मोहब्बत के पीछे की बस यही वजह है कि वो समय पड़ने पर खुलवाना चाहते हैं विधायक जी के हाथों अपना भाग? सुना है उनके दिमाग में चल रहे हैं अभी से पार्षद बनने के गुणा-भाग? इसलिये उन्होंने खुद को विधायक जी के प्रति कर दिया है पूरी तरह न्यौछावर? अभी से संजो रहे हैं वो पूरी पावर?
क्यों कहा कहने वाले ने कि भगवा योद्धा की टीम में किस ठाकुर की मजबूत रहेगी लाठी? क्योंकि इस वक्त उनके आसपास पूरी तरह से एक्टिव नजर आ रहे हैं रोबिन तोमर, भानू शिशौदिया और सरदार सिंह भाटी? कहने वाले ने कहा-इतना ही नहीं पूरे बल से राम का नाम लेकर नदिया पार के रावल ने भी डाला हुआ है भगवा योद्धा के आसपास डेरा? कहने वाले ने कहा- इनमें से एक-दो को तो कुछ मिल ही जाएगा? मगर, हालात देखकर लग रहा है, खोड़ा वाले चौहान के चमन में नहीं होने देंगे ये सवेरा?
क्यों कहा कहने वाले ने कि लाइनपार के मिस्टर नागर, जो भर देते हैं गागर में सागर? हम देख रहे हैं आजकल वो भगवा योद्धा के साथ बैक-टू-बैंक हर मीटिंग में नजर आ रहे हैं? अपनी सक्रियता से से मजबूत किया हुआ है उन्होंने टावर? कहने वाले ने कहा- सिर्फ अभी से नहीं भगवा कमांडर के कार्यकाल से मिस्टर नागर का भगवा योद्धा के साथ उठना-बैठना है जारी? कहने वाले ने कहा-जब बहुत से चेहरे दूरी बनाकर चल रहे थे, तब मंदी के जमाने में मिस्टर नागर कर रहे थे भगवा योद्धा को अध्यक्ष पद मिले ये वाला अरमान सभी में जारी?
क्यों कहा कहने वाले ने कि क्रांतिकारी विधानसभा के मिस्टर कसाना ने 53 नंबर को बना लिया है अपना टैग? जब भी वो किसी मीटिंग में जाते हैं, वहां पर इस नंबर का दिखाते हैं वो स्वैग? मीटिंग के फोटो फेसबुक पर अपलोड करके वो करते हैं हमेशा 53 नंबर का जिक्र? कहने वाले ने कहा- उन्होंने लड़ना शुरू कर दिया है अभी से चुनाव? 2027 का अभी से डाल दिया है उन्होंने दांव?
क्यों कहा कहने वाले ने कि हमारे पास अंदर से आई है एक बात? सुना है एक जनप्रतिनिधि का खास अपने ही जनप्रतिनिधि के प्रतिनिधि से है बहुत ज्यादा नाराज? वो करता है हमेशा प्रतिनिधि के पद से हटने की अरदास? जब भी कोई उसे चेहरा मिलता है, वो कहता है कि ये चेहरा मुझको नहीं होता है बर्दाश्त? इस चेहरे ने बड़ा कर दिया है हमारे प्रतिनिधि के आसपास डेरा? ना जाने कब आएगा हमारी उम्मीदों का सवेरा?
क्यों कहा कहने वाले ने कि जब से आई है अध्यक्ष वाली कमान फिर से मैडम कोई शक के पास? तब से हो गया है हमें अभी से भविष्य की एक घोषणा का आभाष? हमें पता है कि पार्टी संगठन में महामंत्री वाला पद करेगी एक महिला चेहरे के लिये पास? हमें उम्मीद है कि इस पद पर होने जा रही है उदिता दीदी की एंट्री? उनके पक्ष में फाइनल होता दिख रहा है प्रस्ताव? कहने वाले ने कहा- अगर महामंत्री वाले पद पर आएंगी उदिता, तो ये देखकर बहुत ही खुश नजर आएंगी दीदी रनिता?
क्यों कहा कहने वाले ने कि क्रांतिकारी विधानसभा के क्रांतिकारी विधायक का इस तरह साइलेंट रहना हमको नहीं है भाता? हमें तो उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों की लत सी लग गई है? जब भी हम उन्हें नॉर्मल मूड में देखते हैं, हमको बिल्कुल भी मजा नहीं है आता? कहने वाले ने कहा- हम तो फिर से उनकी नई क्रांति का कर रहे हैं इंतजार? तब तक हमें ऐसे ही काटना होगा समय? ऐसा लग रहा है, जैसे हमारा एक-एक दिन हो रहा हो बेकार?
क्यों कहा कहने वाले ने कि हम बैठे थे जायसवाल जी के प्रिय सुपारी पसंद सिंघल जी के पास? हम टटोल रहे थे उनको कि क्या वो भगव योद्धा की टीम में आने का कर रहे हैं प्रयास? उन्होंने अपने हाव-भाव से क्लियर कर दिया है कि फिलहाल मेरी नहीं है टीम में जाने की आस? कहने वाले ने कहा- टीम में जाकर वो करेंगे भी क्या, जब वो पूरी मजबूती से देखते हैं मिस्टर जायसवाल के सभी सामाजिक काज?
क्यों कहा कहने वाले ने कि संगठन वाले और एक जनप्रतिनिधि के बीच बढ़ गई है पहले से भी ज्यादा खाई? कहने वाले ने कहा- ये खाई अभी आगे और भी बढ़ेगी, भले ही दोनों लोगों के सामने चेहरे पर लगाकर चलते हों मुस्कराहट वाली डाई? कहने वाले ने कहा-अगर किसी को है संगठन में जाने की आस, तो हमारी उस चेहरे को सलाह है, वो ना जाएं जन जनप्रतिनिधि के पास? वो बिल्कुल भी नहीं करेंगे किसी भी चेहरे की सिफारिश? अगर, बाइचांस ऐसा हो भी गया तो ये सिफारिश सामने से हो जाएगी खारिज?
क्यों कहा कहने वाले ने कि बीप-बीप वाले चाचा को भी शायद हो गया है इस बात का एहसास? भगवा योद्धा के अंगने में उनकी दाल नहीं गलेगी साहब? सुना है इसलिये भगवा चचा डाल रहे हैं आजकल विधायक जी के यहां पर डेरा? कभी सांझ होती है तो कभी निकलता है उनका वहां पर सवेरा? कहने वाले ने कहा- फॉर्च्यूनर के दौर में वो जान चुके हैं कि कोई नहीं चलाना चाहेगा टवेरा?
जुबान संभाल के
जुबान संभाल के

जब भाजपाईन ने दे दिये कांग्रेस पार्षद को 10 में से 10 नंबर
सोशल मीडिया पर आप अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त कर सकते हैं। पार्षदों के रिपोर्ट कार्ड को लेकर जब पब्लिक से उनके मन की बात पूछी गई और वार्ड का रिपोर्ट कार्ड उनके हाथ में दिया गया तो सीन कई स्थानों पर हार्ड हो गया। एक वार्ड ऐसा है जहां हमेशा कांग्रेस जीतती आई है। कमाल ये हुआ कि यहां भाजपा आईटी मोर्चा की कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर खुलकर कांग्रेस के पार्षद राहुल मुलायम की जमकर तारीफ की। कह दिया कि आदर सम्मान करने वाले और एक आवाज में ही सबके लिए खड़े होने वाले हैं। काम भी अच्छे से करते हैं और मिलनसार हैं। ये बड़ी बात थी कि इस वार्ड में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भले ही अपने पार्षद के लिए कुछ नहीं लिखा। लेकिन ये उससे भी बड़ी बात थी कि भाजपा की महिला कार्यकर्ता ने खुलकर कांग्रेस पार्षद की जमकर तारीफ की। ये एक अच्छी बात है कि अगर बात निष्पक्ष रूप से किसी के लिए कहनी हो तो राजनीति में भी इतनी नैतिकता और इतना साहस होना चाहिए कि अगर कोई सही है तो उसे सामने आकर सही कह दें।
भगवा वकील साहब ने दी दलीलए हमारे वार्ड में तो सियासी लोग रहते हैं
वैसे तो वो कौन सा मौहल्ला है जहां हर राजनीतिक दल के लोग नहीं रहते। सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी बूथ टीम वार्ड टीम बनाते ही हैं। इस समीकरण से हर गली मौहल्ले में हर दल के पदाधिकारी मिल जायेंगे। लेकिन जब बात पार्षद के कार्यकाल की आई तो एक वार्ड ऐसा भी था जहां भगवा वकील साहब ने बढ़िया दलील दी और रिपोर्ट कार्ड से खुद को दूर कर लिया। उन्होंने लिख दिया कि हमारे यहां पर तो ज्यादातर पोलिटिक्ल पार्टी के लोग हैं और अगर सच में सच जानना है तो क्षेत्र में सर्वे कराओ। वकील साहब भी कभी दावेदार थे और आगे दावेदार हो सकते हैं। उन्हें भी पता होगा कि वार्ड की चाबी तो एक्स वालों के हाथ में सौंप दी गई है। जिनका जनता ने कल्याण किया था। उनका तो कल्याण हुआ नहीं है और क्या पता सर्वे में सच सामने आ जाये। वैसे भी वकील साहब की एक अच्छी आदत ये है कि वो खुद को विवादों से दूर रखते हैं और उनके पास संगठन वाला ऐसा काम भी है कि उन्हें तो सबको साथ लेकर चलना है। लेकिन अगर बात राय वाली आ गई है तो जितने बेहतरीन अंदाज में उन्होंने अपनी राय दी हैए उसमें उन्होंने एक तरह से सबकुछ कह भी दिया है और किसी को नाराज भी नहीं किया है
लिख कर रख लो नहीं आ रहा है उनका नाम महानगर वाली किसी भी लिस्ट में
नए कप्तान की टीम में कौन आयेगा और कौन नहीं आयेगाए इसे लेकर कई चेहरे तैयारी में है। कई खुलकर साथ चल रहे हैं तो कई गुपचुप तरीके से अपनी सेटिंग बिठा रहे हैं। राजनीति में सभी की अपनी हसरतें होती हैं और इन हसरतों को पूरा करने के लिए अपने अपने स्तर पर कसरतें भी होती हैं। अभी लिस्ट आई नहीं है लेकिन ट्विस्ट आने शुरू हो गये हैं। दरअसल ये माना जा रहा है कि जिनके नाम आयाम में हैं वो समझ लें कि महानगर वाली टीम में वही आ रहे हैं। अब जब मंडल प्रवासी वाली लिस्ट जारी हुई तो इसमें कई नाम हैं जो नहीं है। और सुना है कि इसी के बाद से इंटरनल घमासान मच गया है। बताने वाले भी बता रहे हैं कि लिखकर रख लो उनका नामए नहीं ही आयेगा।
पुलिसनामा
किस थाने में चल रही है कोल्डवॉर

पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद वाले सिस्टम में बीते दिनों बदलाव वाली एक्सप्रेस चली थी। इसे अभी तक कमिश्नरेट सिस्टम की सबसे छोटी लिस्ट बताया जा रहा है। तो सूत्र बता रहे हैं कि इस तबादला लिस्ट आने के बाद पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद सिस्टम के सिटी जोन में एक थाने में ट्विस्ट आया हुआ है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यहां के प्रभारी और एक टू-स्टार के साथ इन दिनों कोल्डवॉर में हैं। सुनने में आया है कि प्रभारी थाने से ज्यादा टू-स्टार से मामला व तालमेल सेट करने में लगा हुआ है। पर टू-स्टार है कि प्रभारी के साथ मामला बन नहीं रहा है। उधर पुलिस हैं कि खेत के इलाके वाले थाने में इन दिनों अलग सीन चल रहा है। प्रभारी ने भले कार्यालय में सलामी दे दी हो लेकिन अभी मामला परी ताह सेट नहीं हो पा रहा है। उनके यहां के जो खुलासे और सफलता मिल रही हैं उसमें उनसे ज्यादा एसीपी की मेहनत और मार्गदर्शन बताया जा रहा है। वहीं पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद वाले सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अगर कुछ दिनों में प्रभारी ने अपनी हालत न सुधारी तो हालत बिगड़ और बदल सकते हैं। उनके इलाके में रात वाले खास इलाके में उनकी मौजूदगी बेहद कम है। वहीं पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद वाले सूत्र बता रहे हैं कि वह जिस थ्री-स्टार के लिए पूर्व में एक थाने में अपनी सेवाएं दे चुके हैं पर अब सिस्टम और सिस्टम वाले बदल चुके हैं। कुल मिलाकर जिस तरीके से एक थाने में दो टू-स्टार के बीच कोल्डवॉर वाला जो सीन चल रहा है उसकी स्टाफ के बीच में तो चर्चा है ही, साथ ही अन्य अधिकारियों तक भी इस बात की गूंज है। कुल मिलाकर अभी सिटी वाले साहब नए हैं, उनको अभी फील्ड पर भी कम देखा जा रहा है, इसलिए वह खेत वाले इलाके तक शायद दस्तक ना दे पा रहे हों। पर जिस तरीके का मामला चल रहा है और हालात बन रहे हैं, उसके लिए अगर प्रभारी ने थाने वाली वार को बंद नहीं किया, तो उनको या उनके टू-स्टार को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। कुल मिलाकर देखना होगा की पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद वाले सिस्टम में आलाधिकारी किसका साथ देते हैं और किस पर करवाई होती है, यह रोचक और रोमांचक रहेगा। कुल मिलाकर सूत्रों पर भरोसा करें तो अभी प्रभारी को अपने वर्किंग स्टाइल में बहुत बदलाव की आवश्यकता है, जैसा अभी तक पता चला है।
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