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अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला मामले में ब्रिटिश नागरिक को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

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नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 3600 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदे से जुड़े वित्तीय अनियमितता के मामले में जेल में बंद ब्रिटिश नागरिक क्रिश्चियन मिशेल जेम्स को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने आरोपी मिशेल को जमानत देने के साथ ही, मुकदमे का ट्रायल शुरू नहीं किए जाने पर भी सवाल उठाया।
जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने सभी तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखने के बाद आरोपी मिशेल को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। पीठ ने अपने आदेश में कहा है ‘मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखने से पता चलता है कि याचिकाकर्ता 6 वर्षों से अधिक समय से न्यायिक हिरासत के तहत जेल में है। सीबीआई द्वारा मामले में अब तक 3 आरोपपत्र और 2 पूरक आरोपपत्र दाखिल किए जाने के बाद भी जांच अभी भी जारी है। पीठ ने कहा कि इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए हम आरोपी को जमानत पर रिहा करने का आदेश देते हैं। शीर्ष अदालत ने आरोपी मिशेल को जमानत देते हुए निर्देश दिया है कि वह अपना पासपोर्ट का नवीनीकरण कराने के बाद, इसे संबंधित अदालत में जमा करा दें। इसके साथ ही, शीर्ष अदालत ने कहा है कि जमानत की अन्य शर्तें ट्रायल कोर्ट द्वारा निर्धारित की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ ब्रिटिश नागरिक क्रिश्चियन मिशेल की अपील पर विचार करते हुए, यह आदेश दिया है। उच्च न्यायालय ने 25 सितंबर, 2024 को मिशेल को जमानत देने से इनकार कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ट्रायल शुरू होने में देरी पर सवाल उठाया और सीबीआई से पूछा कि आप आरोपी को जेल में क्यों रखना चाहते हैं, जबकि 6 साल बाद आपने आरोपपत्र दाखिल कर दिया है और जांच पूरी हो चुकी है? जस्टिस नाथ ने यह टिप्पणी तब की, जब सीबीआई की ओर से जमानत याचिका का विरोध किया गया। उन्होंने सीबीआई से वकील से मुकदमे की स्थिति के बारे में सवाल किया और कहा कि मुकदमा शुरू क्यों नहीं किया गया। जस्टिस मेहता ने भी सीबीआई से कहा कि अभियोजक के तौर पर यह आपका कर्तव्य है, आपको इन छह सालों तक ट्रायल शुरू करने से किसने रोका? सीबीआई के वकील ने पीठ से मामले की सुनवाई शुक्रवार को रखने का आग्रह करते हुए कहा कि वे आगे की जांच के बारे में सक्षम अधिकारी से निर्देश मांगेंगे और पूछेंगे कि क्या सीबीआई इसे जारी रखना चाहती है? हालांकि कोर्ट ने इस दलील को ठुकराते हुए कहा कि हम आरोपी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दे रहे हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि सीबीआई अपना जांच जारी रख सकती है।

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दिल्ली

पूरा भारत आपका आभारी रहेगाः पीएम मोदी

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अचानक एयरबेस पहुंचकर सेना के जवानों से मिले पीएम

नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर पर राष्ट्र को संबोधित करने के बाद पीएम मोदी आज सुबह आदमपुर एयरबेस पहुंचे। वहां उन्होंने वायुसेना के जवानों से मुलाकात की और उनका हौसला बढ़ाया। पीएम मोदी ने जवानों से बातचीत की जिन्होंने उन्हें जानकारी दी। बहादुर जवानों से मिलकर पीएम मोदी खुश दिखे और उनका जोश बढ़ाया।
जवानों का बढ़ाया जोश इस बीच पीएम मोदी सेना के जवानों से बातचीत भी करते दिखे। जवानों ने उन्हें जानकारी दी और वो बहादुर जवानों से बातचीत करते हुए खुश दिखे। पीएम का यह दौरा पूरी तरह से गोपनीय रखा गया था और इसकी किसी को पूर्व सूचना नहीं थी।

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हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के लिए मुर्शिदाबाद जाएंगी CM ममता

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि वह मई के पहले सप्ताह में हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले का दौरा करेंगी. एक सरकारी कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि मैं मई के पहले सप्ताह में मुर्शिदाबाद के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करूंगी. वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में मुर्शिदाबाद में हिंसा भड़क उठी, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग अपने घरों से भाग गए.

बाद में यह विरोध प्रदर्शन मालदा, दक्षिण 24 परगना और हुगली सहित कई अन्य जिलों में फैल गया. यहां आगजनी, पथराव और सड़क जाम की खबरें आईं. पिछले हफ्ते, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने ममता के न जाने के अनुरोध को नज़रअंदाज़ करते हुए मुर्शिदाबाद का दौरा किया था.

पीड़ित चाहते हैं सुरक्षा
आनंद बोस ने शनिवार को मुर्शिदाबाद का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि पीड़ित सुरक्षा की भावना चाहते हैं और उन्होंने केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के समक्ष अपनी चिंताओं को उठाने का वादा किया. आनंद बोस ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि वे सुरक्षा की भावना चाहते हैं और निश्चित रूप से कुछ अन्य मांगें और सुझाव भी हैं.

उन्होंने कहा कि इन सभी पर विचार किया जाएगा. हम उनके संपर्क में रहेंगे. निश्चित रूप से, बहुत प्रभावी सक्रिय कदम उठाए जाएंगे. मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर विपक्ष ने ममता पर निशाना साधा है. इस बीच, मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर राजनीति शुरू हो गई है, विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर तीखे हमले किए हैं और सत्ता में आने पर कार्रवाई करने की कसम खाई है.

जनता को गुमराह कर रही हैं
बीजेपी ने ममता की है सुवेंदु अधिकारी ने हिंसा के पीछे लोगों के खिलाफ बुलडोजर से न्याय की धमकी दी है. उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद से हिंदुओं को खदेड़ा जा रहा है और उनसे एकजुट होने की अपील की गई है. बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ममता बनर्जी की स्थिति को गलत तरीके से संभालने के लिए दोषी ठहराया और उन पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि पुलिस रिपोर्ट उनके इस दावे का खंडन करती है कि बाहरी लोग जिम्मेदार थे.

माकपा ने न्यायिक जांच की मांग की है, जिसमें भाजपा और टीएमसी दोनों पर बेरोजगारी और मुद्रास्फीति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए प्रतिस्पर्धी सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. कोलकाता में एक रैली को संबोधित करते हुए माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने दावा किया कि दोनों पार्टियां 2026 के राज्य चुनावों से पहले मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए मिलीभगत कर रही हैं. शक्ति प्रदर्शन में वामपंथी दल ने ब्रिगेड परेड मैदान में एक बड़ी रैली के साथ अपने अभियान की शुरुआत की.

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‘पांच दिन में हटाएं वीडियो…’, रामदेव के ‘शरबत जिहाद’ वाले बयान को दिल्ली हाईकोर्ट ने बताया अक्षम्य और अविश्वसनीय

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नई दिल्ली। हमदर्द के रूह अफजा के खिलाफ बाबा रामदेव की शरबत जिहाद टिप्पणी पर दिल्ली हाई कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि टिप्पणी ने अदालत की अंतरात्मा को झकझोर दिया है और यह अक्षम्य है। कोर्ट ने रामदेव के खिलाफ हमदर्द के मुकदमे की सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की है।
किसी ब्रांड या समुदाय का नाम नहीं लिया- रामदेव
हाल ही में रामदेव ने पतंजलि के गुलाब के शरबत का प्रचार करते हुए दावा किया था कि हमदर्द के रूह अफजा से अर्जित धन का उपयोग मदरसे और मस्जिद बनाने में किया जाता है। बाद में, रामदेव ने अपनी टिप्पणी का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने किसी ब्रांड या समुदाय का नाम नहीं लिया।
रामदेव के खिलाफ मुकदमा दायर
बता दें कि हमदर्द ने रामदेव के वीडियो को सोशल मीडिया से हटाने की मांग करते हुए रामदेव के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। हमदर्द की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह एक चौंकाने वाले के साथ ही सांप्रदायिक विभाजन का मामला भी है। उन्होंने कहा कि रामदेव की टिप्पणी नफरत फैलाने वाले भाषण के समान है।

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