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Ghaziabad Colleges

अगर सच में सरकारी स्कूलों में बेहतर पढ़ाई हो तो अभिभावक कभी पब्लिक स्कूलों की तरफ मुंह ना करें

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गाजियाबाद करंट क्राइम। कई लोग पब्लिक स्कूलों के विरुद्ध हैं। वे मानते है कि ये स्कूल अभिभावकों का शोषण करते हैं इसलिए कई लोग सोशल मीडिया पर कई तरह के व्यंग करते रहते हैं। मैने पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक कार्टून देखा था। जिसमें एक अभिभावक स्कूल की शिक्षिका से वार्ता कर रहा था। शिक्षिका कह रही थी कि आपको कापी किताब, बैग, पेंट कमीज, जूता, मौजा सभी चीजें स्कूल से लेनी होंगी। अभिभावक ने पूछा और पढ़ाई ?? शिक्षिका ने उत्तर दिया उसके लिए ट्यूशन कर लेना। ये केवल मनोरंजन की बात नहीं है कुछ अंश में इसमें सच्चाई भी है।लेकिन ये भी सच्चाई है कि पब्लिक स्कूलों में पढ़ाने का जो आकर्षण बढ़ा है उसका बड़ा कारण सरकारी स्कूलों में शिक्षण का स्तर गिरने का है। अगर सच में सरकारी स्कूलों में बेहतर पढ़ाई हो तो बहुत से अभिभावक कभी पब्लिक स्कूलों की ओर मुंह भी न करें। सरकारी स्कूलों को तो वर्ष भर में शिक्षा से इतर शिक्षकों को कई काम करने होते हैं जो उन कामों को नहीं करेगा उसे दंडित किया जाएगा। मैनें उत्तर प्रदेश में किसी एक भी शिक्षक को अच्छा न पढ़ाने या परीक्षा परिणाम न देने के लिए दंडित किए जाने का कोई समाचार नहीं सुना है। लेकिन शिक्षा से इतर कार्यों में दंड के समाचार तो प्रतिदिन समाचार पत्रों में छपते रहते हैं। मुझे कभी कभी शक होता है कि उन्होंने पब्लिक स्कूलों के आकर्षण को कम करने का एक तोड़ निकाल लिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों को सुधारने के प्रयास तो निराश होकर छोड़ दिए हैं। उन्होंने पब्लिक स्कूलों में भी पढ़ाई न हो इसके लिए प्रतिदिन बच्चों और शिक्षकों के लिए कोई न कोई ऐसा कार्यक्रम आता है जिसमें कभी रैली, कभी सभा, कभी स्वच्छता, कभी खाद बनाना, कभी जागरूकता। किसी विभाग का कोई कार्यक्रम हो उसने स्कूलों के बच्चों को भाग लेना अनिवार्य कर दिया गया है। पढ़ाई में निरंतरता और लय बहुत आवश्यक है। उसमें व्यवधान शिक्षक और बच्चों दोनों की तन्मयता को भंग करता है। जब से उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग में महानिदेशक का पद बनाकर उस पर आईएएस की नियुक्ति हुई है ,तब से लगता है कि पढ़ाई के अलावा अन्य कार्यक्रमों की बाढ़ सी आ गई है। सारे विभागों के कार्यक्रमों में स्कूल के बच्चों को शामिल किया जाय इसका लगभग प्रतिदिन एक शासनादेश सीधा शिक्षा विभाग से जारी होता है और शिक्षा अधिकारियों की उन कार्यक्रमों को अक्षरश: सम्पन्न कराने की जिम्मेदारी है। मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं कि वर्ष भर में एक भी शासनादेश बच्चों की पढ़ाई की गुणवत्ता के सुधार के संबंध में जारी नहीं होता है। पहले सीबीएसई के स्कूलो पर प्रदेश के प्रदेश के शिक्षा अधिकारियों का कोई सीधे दखल नहीं होता था लेकिन जब से पब्लिक स्कूलों में भी 25% तक गरीब बच्चों को प्रवेश देने की अनिवार्यता का कानून बना है और सभी सीबीएसई के स्कूलों का संभवत: 3 या 5 वर्ष में नवीनीकरण आवश्यक हो गया है और उसमें प्रदेश के शिक्षा विभाग के अधिकारियों का अनापत्ति प्रमाण पत्र आवश्यक कर दिया गया है। तब से इन स्कूलों पर भी प्रदेश के अधिकारियों का शिकंजा कस गया है।अब सभी स्कूल उत्तर प्रदेश के अधिकारियों के निर्देश को मानने के लिए बाध्य हैं चाहे उनके शिक्षण में कितना भी व्यवधान हो। उत्तर प्रदेश की सरकार की एक ओर विशेषता है कि यहां लोगों की कठिनाई सुनकर सुधार का कालम हट गया है।कोई किसी कठिनाई को सुनने को तैयार नहीं है, समाधान का तो अवसर ही समाप्त लगता है। देश के प्रधानमंत्री जी का कहना है कि minimum government maximum governance लेकिन उत्तर प्रदेश के अधिकारियों ने शायद इसको उल्टा पढ़ लिया है Minimum governance maximum government.

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आईपीएल द्वारा आईएमई कॉलेज में पोक्सो का प्रशिक्षण सत्र आयोजित

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गाजियाबाद। आई0एम0ई0 कॉलेज, राजेन्द्र नगर, साहिबाबाद में समाधान अभियान और इंडिया पेस्टिसाइड्स लिमिटेड कंपनी की संयुक्त परियोजना ‘चुप्पी तोड़ – हल्ला बोल’ के अंतर्गत शनिवार को पोक्सो एक्ट 2012 पर छात्रों के लिए एक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रविराज सिंह इंस्पेक्टर साइबर क्राइम साहिबाबाद, एवं विशिष्ट अतिथि महिला चोकी टीम साहिबाबाद थाना,और किशन गोइन्का,मेंटर ग्लोबल ग्रांट पार्टनर्स रोटरी क्लब/डायरेक्टर वशुंधरा बायो साइंस प्राइवेट लिमिटेड उपस्थित रहे। समाधान अभियान की संस्थापक निदेशिका अर्चना अग्निहोत्री ने छात्रों को बाल यौन शोषण से बचाव और पोक्सो एक्ट-2012 के बारे के विषय में विस्तृत जानकारी दी।
उन्होंने बच्चों को किसी भी प्रकार के यौन शोषण के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया। मुख्य अतिथि ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि समय बदल गया है, टेक्नोलॉजी बहुत जरूरी है, लेकिन सतर्क रहना भी आवश्यक है, अन्यथा आप मुश्किल में पड़ सकते हैं। उन्होंने पोक्सो एक्ट की जानकारी एवं बाल यौन शोषण की रोकथाम के लिए संस्था के द्वारा किए जा रहे प्रयासों की प्रशंसा की। कार्यक्रम में सभी शिक्षकों एवं छात्रों को बाल यौन शोषण के विषय में जानकारी दी गई। कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित अतिथि गणों को आई0एम0ई0 कॉलेज के सहयोग से सम्मानित किया गया। संस्था की निदेशक अर्चना अग्निहोत्री ने सबका धन्यवाद किया।

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सुंदर दीप फार्मेसी कॉलेज ने किया एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन

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गाजियाबाद। सुंदर दीप फार्मेसी कॉलेज, गाजियाबाद ने पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट आॅफ एनिमल्स, नई दिल्ली के सहयोग से नॉन-एनिमल मेथड्स फॉर ड्रग डेवलपमेंट एंड सेफ्टी टेस्टिंग इन इंडिया: न्यू पाथ फॉर न्यू ड्रग्स विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया। इस अवसर पर सुंदर दीप ग्रुप आॅफ इंस्टीटूशन और एस डी जी आई ग्लोबल यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष महेंद्र अग्रवाल और उपाध्यक्ष अखिल अग्रवाल ने छात्र एवं छात्राओं को शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम के संरक्षक प्रोफेसर (डॉ.) प्रसनजीत कुमार (वाईस चांसलर, एसडीजीआई ग्लोबल यूनिवर्सिटी) ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि वैज्ञानिक अनुसंधान में सटीकता और गुणवत्ता के लिए आधुनिक तकनीकों को अपनाना बेहद आवश्यक है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. रोहित बिष्ट (साइंटिस्ट, रेगुलेटरी टेस्टिंग, पेटा इंडिया, नई दिल्ली) ने अपने अनुभव और विशेषज्ञता साझा करते हुए बताया कि पेटा इंडिया भारत में पशु अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक अग्रणी संगठन है।
कॉलेज के निदेशक और कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर (डॉ.) आर. डी. गुप्ता ने उद्घाटन भाषण में छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि फार्मास्युटिकल क्षेत्र में नई तकनीकों को आत्मसात करना छात्रों के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम की समन्वयक सुष्मिता मिश्रा (एसोसिएट प्रोफेसर, सुंदर दीप फामेर्सी कॉलेज) ने कार्यक्रम का संचालन बेहतरीन तरीके से किया। कार्यक्रम मे डॉ. राजीव रतन (रजिस्ट्रार, एसडीजीआई ग्लोबल यूनिवर्सिटी), डॉ. शालिनी शर्मा (प्रिंसिपल एसपीएस, एसडीजीआई ग्लोबल यूनिवर्सिटी), डॉ. नितिन कुमार, डॉ. सीमा जैन, नेहा जैन और निधि सिंह एवं सुंदर दीप कॉलेज आॅफ फार्मेसी के सभी अध्यापक, छात्र-छात्राये और स्टाफ सदस्यो ने उत्साह पूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम का समापन डॉक्टर प्रसून कुमार सक्सेना के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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आईएमएस यूनिवर्सिटी में एक दिवसीय द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘सिंपोजियम’ का आयोजन

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गाजियाबाद। आई०एम०एस० (यूनिवर्सिटी कोर्सेस कैम्पस) गाजियाबाद में शनिवार को बायोसाइंस विभाग द्वारा एक दिवसीय द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी (सिंपोजियम) का आयोजन किया गया। जिसका विषय भोजन एवं स्वास्थ्य सुरक्षा में नई तकनिकी का उपयोग रहा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में डा. रितु कुलश्रेष्ठ (निदेशिका वल्लभ भाई पटेल चेस्ट इन्स्टीट्यूट नई दिल्ली), डा. दीपक पराशर (मेडिकल कालेज आफ विसकन्सेन सुयुक्त राज्य अमेरिका), डा. अरनब शर्मा (वैज्ञानिक युनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर शेल्सविग, जर्मनी) एवं संस्थान के निदेशक डा. अरुण कुमार सिंह द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष पुष्प अर्पित कर किया गया। सिंपोजियम कार्यक्रम में सभी शिक्षकों, वैज्ञानिकों, प्रोफेसर, कम्पनी डेलीगेट्स के साथ में लगभग 350 से अधिक छात्र-छात्राएं सम्मिलित हुये। कार्यक्रम में विभिन्न पुरस्कार भी वितरित किये गये। संस्थान के बायोसाइंस विभाग के सहप्राध्यापक डा. स्वाति त्यागी एवं डा. संदीप गौतम ने कार्यक्रम का संचालन किया। विभागाध्यक्षिका डा. सुरभी जौहरी ने छात्रों एवं अध्यापकों को सम्बोधित करते हुए उन्हें द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी (सिंपोजियम) 2025 में सम्मिलित एवं सम्मानित होने के लिये धन्यवाद दिया।

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