वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। सरकारे तो देश में बहुत सी आई और गई लेकिन मौजूदा केंद्र सरकार आने के बाद सेल्फी का चलन कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। सेल्फी के चक्कर में कई की जान जा चुकी है और अब यह सेल्फी के चलते सरकारी टीचरों की नौकरी पर बात आ गई है।
महिला शिक्षक इससे अपने मान और सम्मान को भी जोड़कर चल रही है। महिला शिक्षक पहले भी सेल्फी से हाजिरी देने के प्रस्ताव को नकार चुकी है। अब एक बार फिर से यह मामला गंूज रहा है। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर सेल्फी मुद्दे पर शिक्षा अधिकारियों की शिकायत की है।
उनका कहना है कि शिक्षा अधिकारियों द्वारा परिषदीय शिक्षकों की उपस्थिति एक एप के माध्यम से सेल्फी द्वारा दिए जाने का शिक्षकों पर दबाव बनाया जा रहा है। जबकि शासन स्तर से इस संबंध में किसी भी प्रकार की कोई गाइड लाइन जारी नहीं की गई है। संघ का कहना है कि मॉनिटिरिंग के नाम पर सेल्फी अपलोड कराना न केवल शिक्षकों के मान-सम्मान एवं मर्यादा से खिलवाड़ है, बल्कि उनकी निजता का हनन भी है। वही महिला शिक्षकों का भी कहना है कि शिक्षा में गुणवत्ता के लिए मॉनिटिरिंग अथवा किसी भी प्रकार के निरीक्षण के लिए टीचर कभी खिलाफ नहीं रहे हैं, लेकिन सेल्फी के द्वारा मॉनिटिरिंग बिल्कुल स्वीकार नहीं की जाएगी। यह समाज में शिक्षकों की छवि को धूमिल करने का प्रयास है। संघ का कहना है कि जनपद का प्रत्येक शिक्षक न केवल समय से विद्यालय जाकर शिक्षण कार्य करता है, बल्कि शासन द्वारा चलाई गई समस्त योजनाओं को भी क्रियान्वित करता है। इसके बावजूद भी शिक्षकों को संदिग्धता के घेरे में खड़ा किया जा रहा है। शिक्षकों ने सेल्फी से हाजिरी को लेकर बिल्कुल इंकार कर दिया है। खासतौर से महिला शिक्षकों में खुद की सेल्फी रोजाना अधिकारी को भेजे जाने के आदेश को लेकर रोष व्याप्त है।